राष्ट्रपति से मिला विपक्षी प्रतिनिधिमंडल, पीएम मोदी के मणिपुर दौरे और संसद में वक्तव्य की मांग की
विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दल के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर उनसे आग्रह किया कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मणिपुर के मुद्दे पर संसद में वक्तव्य देने के लिए कहें।
उन्होंने उनसे यह मांग भी की कि मणिपुर में शांति बहाली के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राज्य का दौरा करना चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस मुलाकात के बाद बताया कि विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान उन्हें हरियाणा में दंगों के बारे में भी अवगत कराया।
राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमंडल में खरगे के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और कई अन्य दलों के नेता शामिल थे।
इस मुलाकात के बाद राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खरगे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है। वहां घटने वाली घटनाओं, खासकर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के बारे में उन्हें अवगत कराया। हम राष्ट्रपति का ध्यान आकर्षित करने के लिए मिले।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को वहां का दौरा करना चाहिए था। 92 दिन हो गए, उसके बारे में वह कुछ नहीं बोले।’’
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘हमारी मुख्य मांग यही है कि प्रधानमंत्री वहां जाएं, बात करें। शांति स्थापित करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए, वहां के लोगों को राहत देनी चाहिए।’’
उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा इस मामले में संसद के भीतर बयान दिए जाने की भी मांग की।
उन्होंने कहा, ‘‘हम लोकसभा में जब अपनी बात रख-रखकर थक गए, तो अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा। इस पर कल ही चर्चा होनी चाहिए थी। ’’
खरगे के अनुसार, विपक्ष राज्यसभा में नियम 267 के तहत चर्चा चाहता है, लेकिन सरकार नहीं सुन रही है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘सरकार हमें सदन में बोलने नहीं दे रही। मेरे माइक को तुरंत बंद कर दिया जाता है। यह सरकार न संविधान को बचाना चाहती है और न ही संविधान के उसूलों पर चलना चाहती है। इसलिए हम एक होकर मजबूती के साथ लड़ेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली से सटे राज्य में दंगे हो रहे हैं, लेकिन कोई संज्ञान नहीं लेता। हमने ये सारी बातें राष्ट्रपति को बतायीं।’’
विपक्षी दलों के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति मुर्मू को एक ज्ञापन भी सौंपा है जिसमें मणिपुर की स्थिति का विस्तृत उल्लेख करने के साथ ही उनके दखल की मांग की गई है।
ज्ञापन में विपक्ष के 21 सांसदों के हालिया मणिपुर दौरे का उल्लेख करते हुए दावा किया गया है कि हिंसा का असर भयावह है तथा वहां 200 से अधिक लोगों की मौत हुई है और 500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति को दिए ज्ञापन में यह आरोप भी लगाया कि संसद में प्रासंगिक प्रावधानों के तहत नोटिस दिए जाने के बावजूद चर्चा नहीं कराई जाती, विपक्ष को चुप करा दिया जाता है और बीच में माइक बंद कर दिया जाता है।
उन्होंने राष्ट्रपति से कहा, ‘‘हम मणिपुर में अविलंब शांति बहाली सुनिश्चित करने के लिए आपके दखल का आग्रह करते हैं। इस तबाही के लिए जवाबदेही तय होनी चाहिए। प्रभावित लोगों को न्याय दिलाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए। हम आपसे प्रार्थना करते हैं कि आप प्रधानमंत्री पर दबाव बनाएं कि वह मणिपुर के हालात पर संसद में वक्तव्य दें और विस्तृत एवं समग्र चर्चा हो।’’
तृणमूल कांग्रेस की सांसद सुष्मिता देव ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा मणिपुर के दो समुदायों की दो बहादुर महिलाओं को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया जाना चाहिए ताकि एक मजबूत संदेश दिया जा सके।
विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के कुछ सांसदों ने 29-30 जुलाई को मणिपुर का दौरा किया था। वे राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले विपक्षी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।
विपक्ष मणिपुर हिंसा पर संसद में नियम 267 के तहत चर्चा के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बयान देने की मांग कर रहा है जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन मणिपुर पर एक अल्पकालिक चर्चा चाहता है जिस पर जवाब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह देंगे।
PHOTO | Opposition alliance INDIA submitted a memorandum to President Droupadi Murmu over their demand for PM Modi's statement in Parliament on the Manipur issue.
(Source: Third Party) pic.twitter.com/yhNU2FtMmZ— Press Trust of India (@PTI_News) August 2, 2023
‘इंडिया’ के घटक दलों के 21 सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने 29-30 जुलाई को मणिपुर का दौरा किया था। प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर जोर दिया था कि अगर मणिपुर में पिछले तीन महीने से जारी जातीय संघर्ष की समस्या को जल्द हल नहीं किया गया, तो देश के लिए सुरक्षा समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर में जातीय हिंसा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और इस मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही अब तक बाधित रही है।
मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर कांग्रेस ने संसद में जारी गतिरोध के बीच गत सप्ताह लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिस पर सदन में चर्चा के लिए मंजूरी दे दी गई थी। इस पर आठ से 10 अगस्त तक चर्चा होगी। चर्चा के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जवाब दे सकते हैं।
(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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