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जनता और समाज का मुद्दा उठाने वाले नेताओं को लोगों ने चुना

इस बार चुनावी मैदान में कई ऐसे नाम भी थे जो अक्सर जनता और अपने समाज की आवाज़ बनकर उनके हितों से जुड़े मुद्दे लगातार सड़क पर उठाते रहे हैं और जनता ने उन्हें जिताकर संसद में भेजने का काम किया है।
chadrasekhar and amra ram

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आ चुके हैं। ये नतीजे कई मायनों में दिलचस्प रहे। बीजेपी का 400 पार का दंभ टूट गया। राम मंदिर को चुनाव की धुरी बनाने की कोशिश में जुटी बीजेपी अयोध्या में ही हार गई। इसके अलावा इस बार चुनावी मैदान में कई ऐसे नाम भी थे जो अक्सर जनता और अपने समाज की आवाज़ बनकर उनके हितों से जुड़े मुद्दे लगातार सड़क पर उठाते रहे हैं और जनता ने उन्हें जिताकर संसद में भेजने का काम किया है। इन्हीं नेताओं में भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर, सीकर से अमराराम व अन्य हैं।

चंद्रशेखर: सबसे पहले बात करते हैं भीम आर्मी चीफ़ चंद्रशेखर की। चंद्रशेखर ने उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से बड़ी जीत दर्ज की। आपको बता दें चन्द्रशेखर 2015 में भीम आर्मी के गठन के बाद ख़ासा सुर्खियों में आए। उन्होंने दलित समाज के मुद्दे को लेकर सड़कों पर संघर्ष करना शुरू किया और देखते ही देखते उन्होंने दलित समाज के एक प्रमुख चेहरे के रूप में जगह बना ली। इस चुनाव में वो बिना किसी गठबंधन के चुनावी मैदान में थे। चंद्रशेखर को 512552 वोट मिले जबकि दूसरे नंबर पर रहे भाजपा के ओम कुमार को 361079 वोट मिले। उनकी यह जीत पर कई जानकार उन्हें बीएसपी और मायावती के विकल्प के तौर पर देख रहे है। चंद्रशेखर देशभर में दलितों की एक बुलंद आवाज के तौर पर उभरे हैं। बीते दिनों देश में जो भी जन आंदोलन हुए उसमें उन्होंने अपना समर्थन जरूर दिया है।

अमराराम : इसी तरह से सीकर लोकसभा सीट से माकपा उम्मीदवार अमराराम ने दो बार के सांसद सुमेधानंद को कड़ी शिकस्त दी। एक किसान नेता के रूप में अमराराम की अपनी विशेष पहचान है। आपको बता दें शेखावाटी में उनकी गिनती मजबूत किसान नेताओं में होती है। बीते सालों में उन्होंने कई किसान आंदोलनों में हिस्सा लिया और लगातार किसानों के मुद्दे उठाते रहे। वो छात्र जीवन से ही लागतार संघर्ष कर रहे है वो छात्रसंघ के अध्यक्ष,ग्राम प्रधान सेलकर कई बार विधायक रहे है। अभी कुछ साल पहले मोदी सरकार द्वारा वापस लिए गए तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर से अधिक समय तक चले आंदोलन का प्रमुख चेहरा थे। इसके आलवा उन्होंने राजस्थान में किसानों के बिजली, फसल के दाम और बीमा कंपनियों के मनमानी के खिलाफ कई आंदोलन लड़े और जीते है। कई दशक के संघर्ष के बाद अमराराम दिल्ली आ रहे हैं।

पप्पू यादव: अब बात करते हैं पप्पू यादव की जिन्हें बिहार में ज़मीन से जुड़ा नेता माना जाता है। शायद यही वजह है कि पूर्णिया लोकसभा सीट से पप्पू यादव निर्दलीय ही चुनावी मैदान में कूद पड़े और ज़मीन पर आम जनमानस के बीच संपर्क साधने में कामयाब रहे और जीत दर्ज की। दरअसल पप्पू यादव इंडिया ब्लॉक की ओर से इस सीट के प्रबल दावेदार थे लेकिन आरजेडी ने बीमा भारती को इस सीट से उम्मीदवार बना दिया जिसके बाद पप्पू यादव निर्दलीय ही चुनाव समर में उतर गए। आपको बता दें पप्पू यादव इससे पहले भी दो बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल कर चुके हैं। हालांकी पप्पू यादव को एक बाहुबली नेता के तौर पर भी जाना जाता रहा है। उन पर माकपा के नेता अजीत सरकार की हत्या का भी आरोप लगा था लेकिन पिछले कुछ सालों में उन्होंने अपनी छवि बदली और वर्तमान में वो एक जन नेता के तौर पर अपनी छवि बनाई है।

राजा राम : बात करते हैं बिहार के काराकाट लोकसभा सीट की जिसके नतीजे वाक़ई चौंकाने वाले रहे। क्योंकि ये सीट भोजपुरी सुपर स्टार पवन सिंह के वजह से चर्चा में रही क्योंकि उन्होंने भाजपा से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ा था। यहां से भाकपा-माले के उम्मीदवार राजा राम ने पवन सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा जैसे दिग्गज नामों को शिकस्त दी। राजाराम भी किसानों से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाते रहे हैं। वे अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति बिहार-झारखंड यूनिट के राज्य प्रमुख हैं और अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव भी हैं। उन्होंने बिहार मे किसानों के सावलों पर कई आंदोलन लड़े और जीते है। अब वो गरीब और किसानों की आवाज बनकर दिल्ली पहुंच रहे है।

राजकुमार रोत: अगर हम बांसवाड़ा के परिणाम को देखे तो ये बेहद दिलचस्प है। जहां भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) के प्रत्याशी और वर्तमान में चौरासी के विधायक राजकुमार रोत भाजपा उम्मीदवार महेंद्रजीत मालवीय से 2.47 लाख वोटों से जीते हैं। जीत के बाद राजकुमार रोत ने मीडिया से बातचीत की और कहा यह ऐतिहासिक चुनाव था। विधानसभा उपचुनाव में भारत आदिवासी पार्टी के जीत दर्ज करने पर राजकुमार रोत ने कहा कि यहां धनबल और बाहूबल सहित सारे फैक्टर फेल हो गए। चुनाव में अहसास कराया कि जनता बाहूबली है, नेता नहीं। उन्होंने कहा कि राजस्थान की हालिया सरकार फेल हो गई है। उनकी (भाजपा) राजस्थान में सरकार होते हुए भी हार का सामना करना पड़ा। राजकुमार दक्षिणी राजस्‍थान के डूंगरपुर-बांसवाड़ा क्षेत्र के आदिवासियों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। वे विधानसभा चुनाव 2018 में सबसे युवा विधायक के रूप में चुने गए। राजकुमार रोत ने बीटी पार्टी से चौरासी विधानसभा से चुनाव लड़ा था और जीते।

सन् 2023 के विधानसभा चुनाव में राजकुमार ने भारत आदिवासी पार्टी से चुनाव लड़ते हुए करीब सत्तर हजार मतों से विजय प्राप्‍त की। 

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