विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र के निजीकरण का हो रहा है विरोध
दिल्ली: केंद्र सरकार ने एक और सरकारी पीएसयू को निजी हाथो में सौंपने का एलान किया है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 27 जनवरी को राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड या विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र (वीएसपी) के निजीकरण को सिद्धांत रूप में मंजूरी दी थी। जिसके बाद से ही राजनितिक दल और मज़दूर संगठन इसका विरोध कर रहे है। इसको लेकर आंध्र प्रदेश में विरोध प्रदर्शन चल रहा है।
मज़दूर संगठन सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन ने कहा कि वह सामरिक व्यापार के माध्यम से विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र के निजीकरण के लिए सरकार की विनाशकारी चाल का विरोध कर रहे आम लोगों को बधाई देते हैं। जबकि वहां की सत्ताधारी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने सोमवार को विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र (वीएसपी) के निजीकरण की सरकार की योजना का लोकसभा में विरोध किया। पार्टी ने कहा कि प्रदेश सरकार आंध्र प्रदेश के विकास के लिये केंद्र के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।
इसके साथ ही आंध्रा की मुख्य विपक्षी दल तेलगू देशम पार्टी के विधायक गंटा श्रीनिवास राव ने शनिवार को वीएसपी के निजीकरण के विरोध में अपना इस्तीफा सौंप दिया। विधायक ने अपना त्यागपत्र अध्यक्ष को भेजा और उन्हें ये स्वीकार करने का आग्रह किया. एक दिन पहले ही विधायक ने मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी से इस विषय में हस्तक्षेप करने की मांग की थी।
जबकि वाम दल भी इसका विरोध कर रहे हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई)के सैकड़ो कार्यकर्त्ता और ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओ ने विशाखापत्तनम में एक विशाल बाइक रैली निकली। सीपीआई नेता नरसिंह राव ने फैसले केंद्र के फैसला विरोध करते हुए कहा इस्पात सयंत्र का निजीकरण केंद्र बड़ा ही दुर्भायपूर्ण फैसला बताया है। उन्होंने कहा इस प्लांट के कारण राज्य का विकास हुआ है।
मज़दूर संगठन सीटू ने अपने बयाना में कहा कि विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र, की स्थपना लोगो के लोगों के सतत संघर्ष और आंदोलन के बाद हुआ है। शुरूआत में इसमें कई तरह की बाधाएं आईं जिसके बाद इसने खुद को स्थपति किया है। इसमें कुछ कमियां हैं जिसे दूर किया जा सकता है। सयंत्र ने अपनी परिचालन क्षमता में लगातार सुधार किया है और आधुनिकीकरण और विस्तार को सफलतापूर्वक किया है और श्रमिकों ने उस प्रक्रिया में बड़ी भूमिका निभाई है। वीएसपी लगातार काफी लंबे समय तक लाभांश और करों के रूप में राष्ट्रीय खजाने में योगदान दे सकता है इसके अलावा बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी प्रदान करता है और सामुदायिक विकास में भी काफी योगदान देता है।
कहा जाता है की स्टील प्लांट के इस आंदोलन में तक़रीबन 30 लोगो ने अपनी जान गंवाई थी। इस आंदोलन में एकबार फिर विशाखापट्टनम स्टील… आंध्र का हक़.. यह नारा दिया जा रहा है। हालाँकि ये नारा 1970 ने काफी लोकप्रिय हुआ था।
इस संयंत्र की स्थापना 1977 में हुई थी। पर पिछले काफ़ी सालों से कई सरकारी संयंत्रों के तरह यह संयत्र भी नुकसान में जा रहा है। इसी कारण से बुधवार को केंद्र सरकार ने संयंत्र के 100 फ़ीसदी निजीकरण की घोषणा की लेकिन यह प्लांट लगभग 65000 लोगो को रोज़गार देता है, लोगों में डर है की, अगर इसका निजीकरण हो गया तो उनकी नौकरी उनसे छिन जाएगी।
सीटू के राष्ट्रीय महसचिव तपन सेन ने अपने बयान में कहा यह स्वागत योग्य है कि विशाखापट्टनम के मजदूर वर्ग या उस मामले में पूरे आंध्र प्रदेश ने एकजुटता के साथ आंदोलन की किया और सरकार के इस रवैये उपयुक्त भाषा में तुरंत जवाब दिया। उन्होंने कहा स्टील प्लांट के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन में सभी ट्रेड यूनियनों द्वारा भाग लिया जा रहा है और साथ ही लोगों को भी परेशान किया जा रहा है।
सेन ने कहा लोगों और श्रमिकों के ऐसे एकजुट संघर्ष के लिए एकजुटता का विस्तार किया, जो कि सयंत्र को निजी हाथों में सौंपने के नापाक कदम का विरोध करने के लिए और सामान्य तौर पर विशाखापत्तनम में चल रहे संघर्ष के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए मज़दूरों को एकजुट होने को कहा । हर जगह निजीकरण के कदम का विरोध किया जाना चाहिए और राष्ट्र और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए लोगों की सामूहिक रूप से विरोध करना होगा।
इसके आलावा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए वाईएसआरसीपी के मिथुन रेड्डी ने कहा कि वीएसपी में 20 हजार अनुबंध श्रमिक कार्यरत हैं और आंध्र प्रदेश के लोगों के लिये यह भावनात्मक विषय है।
उन्होंने कहा कि कंपनी पर ऋण 22 हजार करोड़ रूपये है जबकि कंपनी के तहत भूमि पार्सल का बाजार मूल्य 1 लाख करोड़ रूपये है। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री राज्य को आगे बढ़ाने के लिये अथक परिश्रम कर रहे हैं और इसमें केंद्र की मदद की जरूरत है।
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