पुतिन ने यूक्रेन वार्ता में दिलचस्पी का दिया संकेत
प्रसिद्ध अमेरिकी पत्रकार टकर कार्लसन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का जो साक्षात्कार किया है, उसकी खूबी यह है कि इसमें लगभग हर किसी के लिए कुछ न कुछ है - चाहे वे इतिहासकार हों जो अतीत को याद करते हैं; राजनयिक हों जो इतिहास को अलग-थलग करके देखते हैं और उसे संदर्भ से बाहर ले जाते हैं; स्पाईमास्टर्स हों जो शांत योद्धा होते हैं और जिनकी लड़ने की क्षमता (एड्रेनालाईन) हमेशा बरकरार रहती है; राजनीतिशास्त्री हों जो झूठी कहानियाँ गढ़ने का प्रयास करते हैं; और यहां तक कि निश्चित रूप से एक या दो ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति और एक गैर-ब्रिटिश मूल के ब्रिटिश प्रधानमंत्री, जिनके हाथ खून से सने हो सकते हैं।
कार्लसन ने बड़ी ही विनम्रतापूर्वक कहा कि वे खुद पुतिन के साथ बैठना चाहते थे क्योंकि "ज्यादातर अमेरिकियों को इस बात की जानकारी नहीं है" कि यूक्रेन युद्ध कैसे "दुनिया को नया रूप दे रहा है।"
इस चर्चा में, जैसे-जैसे उनकी दो घंटे की लंबी बातचीत आगे बढ़ी, एक विशाल परिदृश्य उभर कर सामने आया:
• रूस की उत्पत्ति से लेकर "कृत्रिम राज्य" अर्थात यूक्रेन तक;
• दोस्तोवस्की से रूस की रूह तक;
• सोवियत संघ के ढहने के बाद रूस का पश्चिमी गठबंधन का हिस्सा बनने की लालसा को अमेरिका की फटकार से लेकर उत्तरी काकेशस में अलगाववाद और आतंकवाद के लिए सीआईए के समर्थन तक;
• नाटो के विस्तार से लेकर यूक्रेन में उसके ठिकानों की उपस्थिति तक;
• अमेरिका द्वारा यूरोप में एबीएम प्रणाली की सक्रिय तैनाती से लेकर रूस में हाइपरसोनिक स्ट्राइक सिस्टम से मुकाबला करने तक;
• डॉलर के शस्त्रीकरण से लेकर डी-डॉलरीकरण के बढ़ते झटके तक; और,
• अमेरिका को बदलती भू-राजनीतिक हक़ीक़त के साथ तालमेल बिठाने की निहायत जरूरत तक, कि "दुनिया अब बदल रही है।"
इस साक्षात्कार ने इंटरनेट पर तहलका मचा दिया और ट्विटर यानि एक्स पर इसे करोड़ों व्यूज मिले हैं। इस साक्षात्कार की गूंज संभवतः नवंबर के चुनाव के प्रचार के दौरान भी जारी रह सकती है।
स्वतंत्र राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रॉबर्ट कैनेडी जूनियर ने लिखा: “टकर कार्लसन को कई दिनों से बदनाम किया जा रहा है। लीगेसी मीडिया और डेमोक्रेटस उन पर इसलिए नाराज़ हैं कि वे केवल अपना काम कर रहे हैं। अमेरिकी विचारोत्तेजक वार्ता को समझ सकते हैं। हम खतरनाक विचारों या विपरीत विचारों को समझ सकते हैं जो एमएसएम नेरेटिव में फिट नहीं बैठते हैं। आइए हम खुद निर्णय लें।”
इसमें कोई संदेह नहीं कि, यूक्रेन-युद्ध साक्षात्कार का मुख्य विषय था। शांति की संभावना के बारे में पूछे जाने पर पुतिन ने कहा कि, "यदि आप वास्तव में लड़ाई बंद करना चाहते हैं, तो आपको हथियारों की आपूर्ति बंद करनी होगी।" पुतिन ने आगे कहा कि, ''यह कुछ ही हफ्तों में खत्म हो जाएगा। बस इतना ही करना है।"
यह बेहद आसान समाधान पुतिन के उस विश्वास पर आधारित है, जिसे उन्होंने फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद से लगातार दोहराया है, कि यह मूल रूप से एक गृह युद्ध और एक भाईचारापूर्ण युद्ध है जिसने परिवारों, रिश्तेदारों और दोस्तों को विभाजित कर दिया है, जो शायद नहीं हो होया यदि पश्चिमी शक्तियां हानिकारक, घुसपैठ न करतीं।
तीन ऐसे जुड़े हुए कारण हो सकते हैं जिनकी वजह से पुतिन ने सीमित उग्रता दिखाई है। सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह साक्षात्कार तब आया है जब युद्ध के मैदान में गति रूस के पक्ष में आ गई है। इसके अलावा, गहरे तौर पर, यूक्रेन को सहायता देने के लिए कांग्रेस का प्रतिरोध अमेरिका में पार्टी की गतिशीलता और मतदाताओं के रुख में परिवर्तन को रेखांकित करता है।
रिपब्लिकन पार्टी, जो कभी रूस के ख़िलाफ़ अपने कड़े विरोध के लिए जानी जाती थी, अब अलगाव की वजह से झुक रही है और कुछ हलकों में तो मॉस्को के प्रति सहानुभूति भी है।
निःसंदेह, यदि अमेरिकी राजनीति उग्र है, तो यह पुतिन के कारण नहीं, बल्कि लोकलुभावनवाद के विकास, समाज के ध्रुवीकरण के कारण है, जो ऐतिहासिक जड़ों वाली आंतरिक घटनाएं हैं। दशकों के द्विदलीय शीत युद्ध के बाद दुनिया में अमेरिका की भूमिका के बारे में आम सहमति, कई लोगों के लिए, वैश्वीकरण, अवैध प्रवासियों का प्रवाह, विदेशी युद्ध आदि ने सोचने के पुराने तरीके को बदनाम कर दिया है।
दूसरा कारक मॉस्को में कुछ हलकों में यह उभरती हुई भावना हो सकती है कि हालांकि राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने डोनबास में संघर्ष को समाप्त करने के अपने जनादेश से मुंह मोड़कर "अपने मतदाताओं को धोखा दिया है", और इसके बजाय खुद के हित में निर्णय लिया कि यह यूक्रेन के लिए "लाभकारी और सुरक्षित" है। ... नव-नाज़ियों और राष्ट्रवादियों के साथ न लड़ें, क्योंकि वे आक्रामक और बहुत सक्रिय हैं, आप उनसे कुछ भी उम्मीद कर सकते हैं, और दूसरी बात, अमेरिका के नेतृत्व वाला पश्चिम उनका समर्थन करता है और हमेशा उन लोगों का समर्थन करेगा जो रूस का विरोध करते हैं" - फिर भी, वे अभी भी मास्को से बातचीत कर सकते हैं।
पुतिन ने डेविड अराखामिया द्वारा यूक्रेनी टेलीविजन पर एक साक्षात्कार में उस आश्चर्यजनक खुलासे को याद किया, जिन्होंने मार्च 2022 में इस्तांबुल में रूसी अधिकारियों के साथ बातचीत करने के लिए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था और वास्तव में, अंतिम दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए थे, कि "हमारे इस्तांबुल से लौटने के बाद, बोरिस जॉनसन ने कीव का दौरा किया और कहा कि हमें रूसियों के साथ किसी भी चीज़ पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहिए और 'आइए बस युद्ध लड़ें'।
अराखामिया को उद्धृत करने के लिए, जो वर्तमान में यूक्रेनी संसद में सत्तारूढ़ पार्टी के गुट के नेता और ज़ेलेंस्की के शीर्ष सलाहकार हैं, “यदि यूक्रेन तटस्थता पर सहमत होता तो युद्ध 2022 के वसंत में समाप्त हो सकता था। रूस का लक्ष्य हम पर दबाव बनाना था ताकि हम तटस्थ रहें। यह उनके लिए मुख्य बात थी: यदि हम तटस्थता स्वीकार करते, तो वे युद्ध समाप्त करने के लिए तैयार थे, जैसा कि फिनलैंड ने एक बार किया था। और हमें यह वचन देना होगा कि हम नाटो में शामिल नहीं होंगे। यही मुख्य बात है।”
यकीनन, यहीं पर कीव में सत्ता संघर्ष और सशस्त्र बलों के पूर्व कमांडर-इन-चीफ जनरल वालेरी ज़ालुज़नी का निष्कासन तीसरे कारक के रूप में सामने आता है। गौरतलब है कि सोमवार को तास की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की विदेशी खुफिया सेवा के प्रमुख सर्गेई नारीश्किन ने मॉस्को में एक बयान जारी किया था कि अमेरिका और उसके जी-7 सहयोगी यूक्रेनी शासन से दलबदल को लेकर घबराए हुए हैं और कीव में एक विशेष प्रतिनिधि नियुक्त करने का विचार बना रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ज़ेलेंस्की तय रेखा पर काम करें। नारीश्किन ने संकेत दिया कि जी-7 देशों में इस तरह के डर का एक आधार मौजूद है।
दरअसल, कार्लसन के साथ साक्षात्कार के अंतिम चरण में, पुतिन ने एक विदाई संदेश भी दिया कि "यदि इच्छा हो तो (शांति वार्ता) के विकल्प हैं।"
उन्होंने आगे कहा: “अब तक, युद्ध के मैदान में रूस को रणनीतिक हार देने के बारे में हंगामा और चीख-पुकार मची हुई है। अब उन्हें (नाटो को) जाहिर तौर पर यह एहसास हो रहा है कि यदि संभव हो तो इसे हासिल करना मुश्किल है। मेरी राय में, परिभाषा के अनुसार यह असंभव है, ऐसा कभी नहीं होने वाला है। मुझे ऐसा लगता है कि अब पश्चिम में जो लोग सत्ता में हैं उन्हें भी इसका एहसास हो गया है।
“यदि ऐसा है और यदि एहसास हो गया है, तो उन्हें सोचना होगा कि आगे क्या करना है। हम इस वार्ता के लिए तैयार हैं...अधिक सटीक रूप से कहें तो वे इच्छुक हैं लेकिन यह नहीं जानते कि इसे कैसे किया जाए। मैं जानता हूं वे ऐसा चाहते हैं। ऐसा सिर्फ मैं ही नहीं देखता बल्कि मैं जानता हूं कि वे ऐसा चाहते हैं लेकिन वे यह समझने के लिए संघर्ष कर रहे हैं कि इसे कैसे किया जाए... खैर, अब उन्हें सोचने दीजिए कि स्थिति को कैसे पलटा जाए। हम इसके ख़िलाफ़ नहीं हैं।”
बड़ा सवाल यह है कि क्या बाइडेन प्रशासन इस पर रोक लगाएगा। जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने 9 फरवरी को व्हाइट हाउस का दौरा किया था। राष्ट्रपति बाइडेन के साथ बैठक से पहले अपनी मीडिया टिप्पणी में, स्कोल्ज़ ने पुतिन के इरादों पर संदेह करते हुए कहा, “वह अपने पड़ोसी देशों के क्षेत्र का हिस्सा हासिल करना चाहते हैं। जो केवल साम्राज्यवादी – साम्राज्यवाद है। और मुझे लगता है कि यह आवश्यक है कि हम यूक्रेन का समर्थन करने और उन्हें अपने देश की रक्षा करने का मौका देने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए।
हालाँकि, अपनी ओर से, बाइडेन सतर्क रहे। बाद में, पश्चिम एशियाई घटनाक्रम पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक विस्तृत व्हाइट हाउस रीडआउट में केवल इतना कहा गया: “राष्ट्रपति बाइडेन और चांसलर स्कोल्ज़ ने रूस के आक्रामक युद्ध के खिलाफ यूक्रेन के संघर्ष में उसके प्रति अपने दृढ़ समर्थन की पुष्टि की है। राष्ट्रपति ने यूक्रेन की आत्मरक्षा में जर्मनी के अनुकरणीय योगदान की सराहना की और चांसलर स्कोल्ज़ ने निरंतर अमेरिकी समर्थन के महत्व पर जोर दिया।”
ऐसा लगता है कि इसकी बड़ी संभावना है कि बाइडेन प्रशासन कम से कम नवंबर तक संघर्ष को जीवित रखने का इरादा रखता है, जबकि इसका मुख्य ध्यान पश्चिम एशियाई विकास पर होगा जिसका नवंबर चुनावों में राष्ट्रपति की उम्मीदवारी पर सीधा असर होगा।
एमके भद्रकुमार एक पूर्व राजनयिक हैं। वे उज्बेकिस्तान और तुर्की में भारत के राजदूत रह चुके हैं। विचार निजी हैं।
सौजन्य: इंडियन पंचलाइन
मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
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