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कहानियाँ ज़िन्दा हो जाती हैं कहने के अंदाज़ से  

आज इंटरनेट के दौर में कहानी और कहानी सुनाने की बात शायद अनोखी लगे पर बहुत से ऐसे लोग हैं जो अभी भी कहानियाँ और उनके कहने के अंदाज़ को ज़िन्दा रखे हुए हैं।

आज इंटरनेट के दौर में कहानी और कहानी सुनाने की बात शायद अनोखी लगे पर बहुत से ऐसे लोग हैं जो अभी भी कहानियाँ और उनके कहने के अंदाज़ को ज़िन्दा रखे हुए हैं। ऐसे ही दो क़िस्सागो केन शापली (स्कॉटिश क़िस्सागो) और गीता रामानुजम  (कथालया इंटरनेशनल अकादमी की क़िस्सागो) से वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बात की।  

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