तबरेज़ अंसारी लिंचिंग मामला: दोषियों को हुई सज़ा लेकिन क्या शाइस्ता को मिला इंसाफ़?
''पुरानी बातें याद तो आती हैं लेकिन अब क्या करें, वो यादें अब तकलीफ देती हैं, मैं आज तक वो वीडियो नहीं देख पाती, बस मैं उन्हें याद करती हूं, मुझे आज भी उनकी याद आती है लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकती।''
ये कहते-कहते शाइस्ता परवीन ठहर गई और काफी देर तक फोन के दूसरी तरफ एक ख़ामोशी पसरी रही, हम अगला सवाल करने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहे थे।ये पत्रकारिता का वो नाज़ुक मुकाम था जहां ये तय करना मुश्किल हो जाता है कि सवालों को पेश करने के लिए किन लफ्जों को तलाशा जाए।
हमने तबरेज़ अंसारी की पत्नी शाइस्ता परवीन से कोर्ट का फैसला आने पर उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की।
कोर्ट का फैसला
इस मामले में 5 जुलाई को झारखंड के सरायकेला-खरसावां की एक सत्र अदालत ने फैसला सुनाया। जिसमें सभी 10 दोषियों को आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत 10-10 साल की सज़ा और सभी पर जुर्माना भी लगाया है। गौरतलब है कि इस मामले में 13 लोगों को आरोपी बनाया गया था जिनमें से एक की मौत हो चुकी है जबकि दो को सबूत ना होने की वजह से रिहा कर दिया गया।
Complete details here:
Tabrez Ansari Lynching Case: Jharkhand Court Convicts 10 Accused, Sentences Them To 10 Years Eachhttps://t.co/ER9tD3hrAu
— Live Law (@LiveLawIndia) July 5, 2023
कोर्ट का फैसला आने पर हमने तबरेज़ अंसारी की पत्नी शाइस्ता परवीन से फोन पर बातचीत की। ये बातचीत बेहद भारी थी। गम में डूबी शाइस्ता की आवाज़ फोन पर बिल्कुल साफ नहीं थी हमारे बार-बार गुज़ारिश करने पर वो कुछ ऊंचा बोलने की कोशिश करती लेकिन ऐसा लग रहा था ये उनके भी बस की बात नहीं थी, रुक-रुक कर हुई इस बातचीत में ऐसा महसूस हो रहा है कि शाइस्ता मुश्किल से बातचीत कर पा रही हैं। हमने उनसे पूछा कि-
कोर्ट के फैसले पर आपको क्या कहना है?
जवाब : फैसला तो आ गया लेकिन इस फैसले से हम ख़ुश नहीं हैं क्योंकि जो हम चाहते थे, जो हमें उम्मीद थी वैसा फैसला नहीं आया, हम चाहते थे उन सभी को उम्रकैद हो।
किसी को इस तरह से शिकार बनाने वालों के लिए कैसी सज़ा सोचती हैं?
जवाब: हम चाहते हैं कि ऐसा करने वालों को उम्रकैद होनी चाहिए, अगर फांसी नहीं हो सकती तो उम्रकैद तो होनी ही चाहिए।
मुआवज़े का क्या?
घटना को हुए चार साल हो गए, शाइस्ता परवीन अपने मायके में रहती हैं। यहां एक सवाल बेहद अहम है कि ग़रीब शाइस्ता कैसे जी रही है, उनका खर्चा कैसे चल रहा है क्या इसकी परवाह किसी को है, कोर्ट ने दोषियों को सज़ा तो सुना दी लेकिन मुआवजे का क्या? हमने शाइस्ता से जानने की कोशिश की कि क्या उन्हें सरकार की तरफ से कोई मुआवज़ा मिला है तो उन्होंने बताया '' हम चार-चार बार सीएम से मिले, उन्होंने आश्वासन भी दिया था कि आज मुआवजा मिलेगा, कल मिलेगा बस यही हुआ। और आज तक कुछ नहीं मिला।''
शाइस्ता पूरी तरह से अपने परिवार पर ही निर्भर हैं,ऐसे में उनकी आगे की जिन्दगी कैसे चलेगी हमने उनसे पूछा तो वे कहती हैं कि '' अभी तो मैं कुछ नहीं सोच पा रही हूं, बस चल रहा है, क्या करें?''
शाइस्ता से किए सवालों में हमारे सामने ही सवाल आकर खड़ा हो रहे थे ऐसे में हम क्या जवाब देते?
शाइस्ता घटना के दिन को याद करते हुए बताती हैं कि ''हम दोनों मेरे मायके में ही थे वो किसी काम से जमशेदपुर गए थे और लौटते वक़्त ये हादसा हो गया।''
इसे भी पढ़ें : तबरेज़ को इंसाफ़ के लिए दिल्ली में झारखंड भवन पर प्रदर्शन, धारा 302 बहाल करने की मांग
क्या हुआ था तबरेज़ अंसारी के साथ?
घटना 17 जून 2019 की है। जैसा कि शाइस्ता ने भी बताया कि तबरेज़ किसी काम से जमशेदपुर गए थे और वहां से लौटते वक़्त ये हादसा हुआ। दरअसल जिसे शाइस्ता अपनी जिन्दगी का हादसा मानती हैं वह भीड़ का हैवानियत भरा चेहरा था। तबरेज को बाइक चोरी के आरोप में बिजली के खंभे से बांध कर घंटों पीटा गया और धार्मिक नारे लगवाए गए। दूसरे दिन पुलिस तबरेज को थाने ले गई और वहां से उसे जेल भेज दिया गया 22 जून को जेल में तबरेज़ की तबीयत ख़राब हुई और फिर अस्पताल में मौत हो गई।
शाइस्ता जिन्दगी दोबारा कैसे शुरू करें?
इस मामले में भीड़ ने जो किया सो किया पुलिस-प्रशासन और डॉक्टरों ने भी भारी लापरवाही की, लेकिन आज पलटकर देखा जाए तो सज़ा सिर्फ शाइस्ता को मिल रही है, शाइस्ता को घटना के चार साल बाद भी समझ नहीं आ रहा कि वो अपनी जिन्दगी को दोबारा कैसे शुरू करे, वो तो आज भी वहीं खड़ी हैं जहां आज से चार साल पहले खड़ी थीं। वह बताती हैं कि '' शादी के कुछ दिन बाद ही वो (तबरेज़) कमाने पुणे चले गए थे, लेकिन इस बार वो मुझे अपने साथ ले जाने के लिए आए थे, उन्हें आए क़रीब 10-15 दिन ही हुए थे और ये हादसा हो गया।''
तबरेज़ अंसारी और शाइस्ता परवीन की शादी की तस्वीर
वो हादसा जिसे देश में ही नहीं पूरी दुनिया में देखा गया। वो वीडियो देखकर बस एक ही सवाल जेहन में आता है कि तबरेज़ की फटी-फटी आंखें और चेहरे पर पसरे खौफ को देखकर क्यों किसी का दिल नहीं पसीजा, अगर भीड़ को लग रहा था कि उसने बाइक चोरी की है तो पुलिस-प्रशासन और क़ानून के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्यों उसे लगातार बेरहमी से पीटा गया? और उससे धार्मिक नारे क्यों लगवाए जा रहे थे, क्या पुलिस के आने तक नारे लगवाना ही उसकी सज़ा मुकर्रर कर दी गई थी?
इसे भी पढ़ें :तबरेज़ अंसारी लिंचिंग मामला : धीमी और असफल जांच की कहानी
हमने इस मामले के वकील अल्ताफ जी से भी बातचीत की और उन्होंने भी कहा कि ''होनी तो उम्रकैद चाहिए लेकिन न्यायालय का जो आदेश है वो हमें मानना होगा, लेकिन हम बहुत जल्द हाईकोर्ट में अपील करने जा रहे हैं।''
हमने अल्ताफ जी से भीड़ के द्वारा किसी को मौत के घाट उतार देने के मामलों को कोर्ट में किस तरह की दिक्कतों से गुज़रना पड़ा है जानने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि ''बहुत मुश्किल होती है क्योंकि चश्मदीद नहीं मिलते, इस मामले में ही क़रीब 35 गवाहियां हुई थी, गांव वाले तो बेहद ख़ौफ़ज़दा थे, उन्होंने केस में मदद नहीं की, लेकिन दूसरे गांव के लोग जिन्होंने घटना देखी थी उनकी गवाहियां हुई थी। इस मामले में पुलिस और डॉक्टर ने राजनीतिक दबाव में आकर केस को ख़राब किया, उसके (तबरेज़ के) शरीर पर बहुत से घाव थे लेकिन डॉक्टर ने कहा कि उसके शरीर पर कोई घाव नहीं पाए गए।''
अल्ताफ ही नहीं बल्कि कुछ और लोगों ने इस मामले में शाइस्ता और तबरेज़ के परिवार का साथ दिया। ऐसे ही एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं औरंगजेब अंसारी, जिनसे हमने बात की। वह बताते हैं कि ''हम सबका न्यायालय पर भरोसा है। लेकिन मामले को हल्का करने के लिए प्रशासनिक दबाव दिखता है, इस केस में दोषियों को उम्रकैद होनी चाहिए थी, जिस दिन तबरेज़ को दफन किया गया उनके पूरे गांव में ख़ामोशी थी। गांव वाले कुछ नहीं बोलना चाहते थे। हम एसएसपी से मिले और जैसे ही मामला मीडिया में गया तो सबका ध्यान गया, वर्ना तो ये मामला दब ही गया था।'' औरंगजेब अंसारी बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में झारखंड में मॉब लिंचिंग के केस बढ़े हैं साथ ही मुसलमानों को निशाना बनाने की घटनाओं में भी इजाफा हुआ है।
हालांकि मुसलमानों को सिर्फ़ झारखंड में ही निशाना बनाने की घटनाएं सामने नहीं आ रही बल्कि पूरे देश में अब ये आम चलन हो गया है। जिस वक़्त हम ये ख़बर लिख रहे हैं उसी वक़्त सोशल मीडिया पर महाराष्ट्र में सोलापुर में दो मुसलमानों को पेड़ से बांध कर पीटे जाने की ख़बर दिखी इसके अलावा मध्य प्रदेश में भी एक मुसलमान युवक को परेशान करने का वीडियो वायरल हो रहा है।
Video from Gwalior, Madhya Pradesh. Golu Gurjar and his friends are seen thrashing Mohsin with slippers and forcing him to lick his feet while abusing him.
C'C : @ChouhanShivraj @drnarottammisra @DGP_MP pic.twitter.com/59yvnu9Lk6— Mohammed Zubair (@zoo_bear) July 8, 2023
मुसलमानों के साथ बढ़ता भेदभाव और अपराध चिंता का सबब है। लेकिन शाइस्ता परवीन के लिए तबरेज़ के दोषियों को मिली सज़ा एक उम्मीद है वर्ना यहां तो मॉबलिंचिंग करने वालों को सम्मानित करने की भी तस्वीर दिखाई देती है।
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।