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‘म्हारी छोरियों के कमाल के पीछे ग़ुरबत और संघर्ष की कहानियां छुपी हैं’ 

भारतीय महिला टीम ने इंग्लैंड को 7 विकेट से हराकर अंडर-19 वर्ल्ड कप का ख़िताब जीत लिया, लेकिन यहां तक पहुंचने वाली हर खिलाड़ी की अपनी एक कहानी है, उन कहानियों में से अर्चना देवी और सोनम यादव की कहानी हम आपसे साझा कर रहे हैं।
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सौजन्य - BCCI women Twitter 

''मैडम हमने बहुत ज़्यादा झेला है, जो झेला है उसे बताते हुए तो अब शर्म भी आती है''  जिस वक़्त रौशनी में नहाए साउथ अफ्रीका के पोचेफ़स्ट्रॉम के मैदान में ICC महिला अंडर-19 वर्ल्ड कप की टीम ख़िताब पर क़ब्ज़ा कर चैंपियन बनने की ख़ुशी से झूम रही थी क़रीब-क़रीब उसी दौरान खेल में शानदार प्रदर्शन करने वाली अर्चना देवी की मम्मी सावित्री देवी से हमारी फ़ोन पर बात हो रही थी और ख़ुशी के इस पल में वो पलट कर देखती हैं तो उन्हें ये बात याद आती है। 

अर्चना देवी ने कपड़ों के लिए कभी ताने सुने थे

फ़ाइनल मैच के दौरान अर्चना ने जिस हैरतअंगेज तरह से एक कैच को पकड़ा वो बेशक आते ज़माने तक याद किया जाएगा। जब फ़ोन पर उनकी मम्मी से हमारी बात हो रही थी तो उन्होंने अर्चना से जुड़ी वो बातें बताईं जो एक ग़रीब लड़की के संघर्ष की उस कहानी का हिस्सा है जिसे तय करते हुए उत्तर प्रदेश के उन्नाव के रतई पुरवा गांव की बेटी आज दुनिया में छा गई है।

अर्चना की मम्मी सावित्री देवी बताती हैं— ''जब हमने बेटी को आगे की पढ़ाई के लिए घर से बाहर भेजा तो लोगों ने कहा कि देखो कितनी बेशर्म औरत है कि बेटी को कहीं भेज दिया, लोग कहते थे कि देखो इनकी बिटिया लड़कों वाले कपड़े पहनती है, लौंडा बना कर रख दिया बिटिया को, ताने सुन-सुन कर बहुत रोना आता था''

एक जीत ने लोगों की राय बदल दी

भारतीय महिला क्रिकेट टीम (अंडर-19) पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बनी तो उसमें गेंदबाज़ी का बहुत अहम रोल रहा, अर्चना देवी ने दो विकेट लिए। अर्चना को टीवी पर खेलता देख उनका पूरा गांव ख़ुशी से झूम उठा। अर्चना के भाई रोहित बताते हैं कि ''एक दिन था जब गांव के यही लोग हमें बहुत ताने दिया करते थे वो बताते हैं कि 2007 में पिता नहीं रहे। हम तीन भाई-बहन बहुत छोटे थे। मम्मी ने बहुत संघर्ष किया, खेतों में काम किया। घर पर गाय रखी। मेहनत से हमें बड़ा कर रही थीं लेकिन 2017 में मेरे भाई को सांप ने काट लिया और वो दुनिया से चला गया। घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी, अर्चना को कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय  में डाल दिया तो लोगों ने कहा कि पता नहीं बिटिया को कहां भेज दिया किस के साथ रह रही है? लेकिन अब लोगों की राय बदल गई। जब से मैच की जीत की ख़बर मिली है हमारा फ़ोन लगातार बज रहा है। पता नहीं कहां-कहां से बधाई देने वालों के फोन आ रहे हैं इनमें वो लोग भी शामिल हैं जिन्हें हम जानते तक नहीं, मेरी बहन ने हमारा और गांव का ही नहीं पूरे देश का नाम रौशन कर दिया वो कहते हैं ना म्हारी छोरियां छोरों से कम है क्या''

TV पर अर्चना को देखने की ख़ुशी थी

हमारी देर रात जब अर्चना देवी के भाई रोहित से बात हुई तो वो खाना खा रहे थे,बारिश की वजह से और मौसम और ज्यादा सर्द हो गया था इसलिए वो चूल्हे के पास आग ताप रहे थे, जब हमने पूछा कि जश्न ख़त्म हो गया तो खनकती आवाज़ में बोले '' अरे मैडम मत पूछिए इतनी ख़ुशी हो रही है कि क्या बताएं, पूरे गांव वाले हमारे घर जुटे थे, ख़ूब भीड़ लगा कर मैच देख रहे थे और जब मैच चालू हुआ तो  हर किसी की दिलचस्पी  टीवी पर अर्चना को तलाशने की थी। और उसके दिख जाने पर चिल्ला उठते थे वो खड़ी है अर्चना, उधर खड़ी है और जीत के बाद तो ख़ूब नाच गाना हुआ और हमने एक दूसरे का मुंह मीठा करवाया''

जहां दीया जलाती थी वहां इन्वर्टर लग गया है

अर्चना की जीत ने जैसे उनकी मां और भाई के सारे गमों पर मरहम लगा दिया हो, उनकी मम्मी कहती हैं कि मुश्किल वक़्त में बस ऊपर वाले पर ही भरोसा था और आज हमारे दिन बदल गए। अर्चना का मैच बिना बिजली कटे देख सके इसलिए रोहित इन्वर्टर का इंतज़ाम करने की जुगत में लगे थे जिस पर इंडियन एक्सप्रेस ने एक स्टोरी की जो वायरल हो गई जिसके बाद ख़ुद प्रशासन से जुड़े लोगों ने ही रोहित से सम्पर्क कर न सिर्फ़ उनके घर में इन्वर्टर का इंतजाम कर दिया बल्कि अर्चना देवी के मैच के दौरान कई लोग वहां मौजूद भी रहे। गांव के लोग ख़ुश हैं कि आज अर्चना की वजह से उनके गांव का नाम रोशन हो गया।

इस सब के बीच हमसे फोन पर बातचीत के दौरान अर्चना की मम्मी सावित्री देवी कहती हैं कि- ''जिस जगह मैं दीया जलाती थी, जहां लाइट आती-जाती रहती थी वहां आज इन्वर्टर लगा है उसे देखकर लग रहा है एकदम से रईस बन गए हम तो। जहां मैं रहती हूं उसके छपरे को देख रही हूं सोच रही हूं भगवान कहां से कहां पहुंचा दिया हमें''।

बधाइयों और इनाम की बरसात 

टीम की जीत और अर्चना के शानदार प्रदर्शन के साथ ही बधाइयों का सिलसिला शुरू हो गया,  राष्ट्रपतिप्रधानमंत्री समेत हर तरफ़ से टीम को बधाई मिल रही है। राहुल द्रविड़ ने भी एक वीडियो मैसेज के माध्यम से टीम को बधाई दी और उनके लिए इस दिन को ऐतिहासिक बताया। वहीं BCCI ( भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) ने भी खिताब जीतने वाली टीम को पांच करोड़ रुपये का पुरस्कार देने का ऐलान कर दिया है। 

मां सावित्री ने बेटी के स्वागत के लिए क्या ख़ास तैयारी की है

अर्चना की मम्मी कहते हैं कि ''पूरा दिन इंतज़ार कर रहे थे कि बिटिया से बात हो जाए पर बात नहीं हो पाई लेकिन जब वो वापस आएगी तो कुछ मन्नतें हैं वो पूरी करेंगे और चूल्हे पर बनी रोटी और आलू की भुजिया उसे बहुत पसंद है वो ज़रूर बनाएंगे''। 

फिरोज़ाबाद की सोनम यादव ने भी सुने थे कभी ताने 

उत्तर प्रदेश के ही फ़िरोज़ाबाद से आने वाली सोनम यादव की कहानी भी संघर्ष की डगर से होती हुई दुनिया की नज़र में आई। सोनम के पिता ने भी उन्हें बहुत मेहनत से यहां पहुंचाया। बाएं हाथ की स्पिन बॉलर और दाएं हाथ से बल्लेबाज़ी करने वाली सोनम पांच बहनों में सबसे छोटी हैं और उनका एक भाई भी है। उनके पिता ग्लास फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं।  सोनम की क्रिकेट में दिलचस्पी को देखते हुए उनके पिता ने दो वक़्त मजदूरी की और बेटी को यहां तक पहुंचाया।

सोनम के भाई अमन से फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने भी बताया कि ''जब सोनम की क्रिकेट में दिलचस्पी बढ़ी और उसने क्रिकेट सीखना शुरू किया तो गांव के लोगों ने ख़ूब ताने मारे ख़ूब सुनाया। लोगों ने कहा कि कहां लड़की को भेज रहे हो, कहां ये लड़की खेलेगी, कहां ये जाएगी'', लेकिन परिवार वालों ने एक ना सुनी और सोनम को आगे बढ़ने में मदद की। 

सोनम के घर में भी ख़ुशी का माहौल 

इस जीत ने सोनम को लेकर गांव वालों की राय बदल दी और अब बधाई देने वालों की भीड़ लगी है। सोनम के भाई लगातार मीडिया के लोगों से बातचीत कर रहे हैं, मां मंदिर में पूजा कर ऊपर वाले का शुक्रिया अदा कर रही हैं और पिता भी ख़ुश हैं। और अब पूरा परिवार मिलकर सोनम के शानदार स्वागत की तैयारी में जुट गया है।  

तानों भरी डगर पर चलकर मिली शोहरत 

भारत ने टॉस जीतकर जिस वक़्त गेंदबाज़ी का फ़ैसला लिया होगा सोचिए उस वक़्त टीम का हिस्सा अर्चना देवी, सोनम यादव समेत जाने कितने ही सपनों, ख़्वाहिशों और मुंह बंद कर देने का जज़्बा दांव पर लगा होगा। भारतीय महिला क्रिकेट टीम पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बनीं तो इतिहास में अर्चना और सोनम समेत पूरी टीम का नाम दर्ज हो गया। इस जीत की बधाई देते हुए राष्ट्रपति ने लिखा कि ''ये चैम्पियन हमारे युवाओं के लिए प्रेरणा हैं, ख़ासकर लड़कियों के लिए'' (These champions are an inspiration for our youth, especially the girls) लेकिन जहां से हम देख रहे हैं वहां से इन लड़कियों के पीछे से झांकती वो परछाइयां नज़र आती हैं जिनकी ज़िद और संघर्ष ने इन बेटियों को इस मुक़ाम तक पहुंचाया। उन्होंने इन बेटियों के लिए उन कांटों भरे रास्तों का सफ़र तय किया जो 2023 में भी बेटियों के हुनर से ज़्यादा उनके कपड़ों, और हेयर स्टाइल पर टिकी है।

अर्चना की जीत से बड़ी उनकी मां की तपस्या है, सोनम की बुलंदी से ज़्यादा पिता की वो मजदूरी है जिसे करते हुए उन्हें समाज से ज़्यादा अपनी बेटी पर यक़ीन था। ये जीत महिला क्रिकेट खिलाड़ियों की नहीं ये जीत उस सोच पर है जो सावित्री देवी को आते-जाते रास्ते में झेलनी पड़ी थी।

उम्मीद है कि कुछ ज़रूर बदलेगा

भले ही इन परिवारों के लिए अपनी बेटियों को यहां तक पहुंचाने के लिए बहुत कुछ सहना पड़ा, लेकिन ये भी सच है कि जब अपनी बेटियों को इस बुलंदी पर मुस्कुराते हुए, नाचते-गाते जश्न मनाते हुए इन्होंने देखा होगा तो सारे ग़म को एक लम्हे ने आगे की ज़िन्दगी में ख़ुशी की उम्मीद में तब्दील कर दिया होगा। काश की इन बेटियों के लिए आगे का रास्ता बेहतर हो और इन्ही की तरह किसी दूरदराज के गांव देहात में आगे बढ़ने वाली बेटी को हौसला मिले। 

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