तिरछी नज़र : हम बोलेगा तो...........!
हम तो कुछ नहीं बोलेगा। हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है। अगर बोलने पर बात इतने पर ही ख़त्म हो जाती हो कि यह तो बोलता है, बात बात पर बस बोलता ही है, तो हम बोल भी दें। पर बात इतने पर ही ख़त्म नहीं होती है।
एक सरकार जी हैं। साथ में दोस्त यार हैं। सरकार जी अमीर अमीर हैं। महंगी जैकेट पहने हैं। रोज़ नई पहनते हैं। दोस्त भी बहुत अमीर हैं। यारी ख़ासमख़ास है। सरकार जी चाहे जो भी करलें, दोस्तों के लिए कुछ भी करलें, हम कुछ नहीं बोलेगा। दुनिया चाहे जो भी बोले, हम कुछ नहीं बोलेगा। हम बोलेगा तो.......।
हम कुछ नहीं बोलता। हम कभी नहीं बोलता। हम तो तब भी नहीं बोला, जब नोट बंद कर दिए। देश के करोड़ों लोगों के नोट बरबाद कर दिए। करोड़ों लोग लाईनों में लगे, हम कुछ नहीं बोला। सौ से अधिक लाईनों में ही मर गए। हासिल भले ही कुछ नहीं हुआ, पर हम कुछ नहीं बोला। क्योंकि हम बोलेगा तो.......।
हम कुछ नहीं बोला। हम तब भी नहीं बोला, जब राफ़ेल विमान ख़रीदे गए। हमारे पैसे से ही ख़रीदे, क़ीमत हम को ही नहीं बताई। पर हम कुछ नहीं बोला। फ्रांस की एजेंसी बोला, फ्रांस की सरकार बोला। फ्रांसीसी चाहे जो भी बोला, पर हम कुछ नहीं बोला। क्योंकि हम बोलेगा तो........।
हम कुछ नहीं बोला। देश में जीएसटी आया। ज्यादा ज्यादा टैक्स लगाया। छोटे धंधे बेकार कराया। पर हम कुछ नहीं बोला। दूध रोटी पर टैक्स लगाया। बच्चों को भूखा मरवाया। पर हम कुछ नहीं बोला। क्योंकि हम बोलेगा तो.........।
हम कुछ नहीं बोला। देश में कोविड जब आया, रातों रात लाॅकडाउन लगाया। सारे रास्ते बंद करवाया। लोगों पर लाठी बरसाया। हम सब से थाली बजवाया, हम से ही दीया जलवाया। पर हम कुछ नहीं बोला। क्योंकि हम बोलेगा तो.........।
हम कुछ नहीं बोला। कोविड से लाखों मरवाया। न अस्पताल में बिस्तर बिछवाया। दवाईयां तक नहीं दिलवाया। ऑक्सीजन मुहैया नहीं कराया। पर हम कुछ नहीं बोला। संसद में झूठ बुलवाया। सरकार जी चाहे जो भी बोला, पर हम नहीं बोला। क्योंकि हम बोलेगा तो......।
हम कुछ नहीं बोला, कुछ भी नहीं बोला। देश को जब बिकवाया। रेलवे स्टेशन बिकवाया, हवाई अड्डा बिकवाया, कल कारखाने, नवरत्न कम्पनियां, सब कुछ बिकवाया। बना बनाया सब बिकवाया। दोस्तों के हाथों बिकवाया। पर हम कुछ नहीं बोला। क्योंकि हम बोलेगा तो......।
हम तो कुछ नहीं बोला। हम तो चीन पर भी नहीं बोला। डोकलम पर क़ब्ज़ा करवाया, गलवान में जवान मरवाया, तवांग में सच को न बताया। चीन से आयात बढ़ाया। पर हम कुछ नहीं बोला। न तब बोला न अब बोला। क्योंकि हम बोलेगा तो..........।
हम अब भी नहीं बोल रहा है। कुछ भी नहीं बोल रहा है। सरकार जी विदेश में बोला। पर्यावरण पर अच्छा अच्छा बोला। देश में आ कारख़ाना खोला। कोयले से बिजली बनवाया। प्रदूषण फैलाने का कारख़ाना खुलवाया। सरकार जी चाहे प्रदूषण फैलाएं। अहसानों का बदला चुकवाएं। पर हम नहीं बोलेगा। 'वाशिंगटन पोस्ट' चाहे जो भी बोले, हम कुछ नहीं बोलेगा। हम बोलेगा तो........।
बात अगर सिर्फ़ इतनी होती कि हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है। तो हम बोल भी देते। थोड़ा बहुत ट्रोल सह भी लेते। पर बात इतनी सी नहीं है। बात तो यह है कि हम बोलेगा तो, बोलोगे कि हम देशद्रोही है। हमारे ऊपर ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स के छापे डलवाओगे। यूएपीए लगवाओगे। जेल भिजवाओगे। हमारा बोलना बंद करने के लिए जो कुछ किया जा सकता है, वह सब कुछ करवाओगे। बोलना तो था ही, बहुत कुछ बोलना था। परन्तु हम बस इसीलिए नहीं बोला।
(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)
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