सत्ता में आते ही पाक साफ हो गए सीएम और डिप्टी सीएम, राजनीतिक दलों में ‘धन कुबेरों’ का बोलबाला
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव इस बार बेहद खास होने वाले हैं, क्योंकि इस बार सूबे के सबसे बड़े सियासी दिग्गज योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव खुद मैदान में हैं। योगी आदित्यनाथ ने अपना नामांकन गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से किया तो अखिलेश यादव ने भी करहल विधानसभा सीट से पर्चा दाखिल कर दिया है। वैसे दिलचस्प बात ये है कि अखिलेश और योगी की उम्र में सिर्फ एक साल का ही अंतर है, जबकि राजनीतिक में भी दोनों का करियर आगे-पीछे ही शुरू हुआ है।
राजनीतिक करियर के साथ दोनों की संपत्ति में भी खूब इज़ाफा हुआ, हालांकि इस मामले में अखिलेश यादव हमेशा योगी आदित्यनाथ से एक कदम आगे रहे। इसके अलावा जहां योगी मुख्यमंत्री के बनने के बाद पाक-साफ हो गए तो अखिलेश पर कई मामले दर्ज कर लिए गए।
सबसे पहले बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की...
योगी आदित्यनाथ की ओर से दाखिल 2022 से पहले के एफिडेविट से पता चलता है कि उनपर हत्या, दंगा कराने की साज़िश, धमकाने जैसै गंभीर आरोप थे, जो मुख्यमंत्री बनने के बाद वापिस ले लिए गए।
साल 2022 में दाखिल एफिडेविट में योगी ने बताया कि उनके ऊपर एक भी मुकदमा दर्ज नहीं है, जबकि वे कुल 1 करोड़ 54 लाख रुपये की संपत्ति के मालिक हैं। जिसमें 1 लाख रुपये कैश हैं। वहीं अगर पांच साल पहले की बात करें तो योगी 2017 में विधान परिषद का चुनाव लड़े थे, तब उन्होंने अपनी संपत्ति 95.98 लाख रुपये बताई थी, यानि उनकी संपत्ति पांच सालों में 60 लाख रुपये बढ़ी है।
योगी पर दर्ज मामलों की बात करें तो साल 2017 में योगी आदित्यनाथ पर चार मामले दर्ज थे, जो उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद फिलहाल खत्म हो चुके हैं। इसके अलावा योगी आदित्यनाथ के पास कोई कृषि या गैर-कृषि संपत्ति नहीं है, इतना ही नहीं, उनके नाम पर कोई गाड़ी रजिस्टर नहीं है और न ही कोई देनदारी है।
गाड़ी, ज्वेलरी और हथियारों के शौकीन रहे हैं योगी
* योगी हमेशा से ही गाड़ी और हथियारों के शौकीन रहे हैं। अपने खर्च के ब्योरे में उन्होंने पहनने वाली ज्वेलरी का भी जिक्र किया है।
* 2004 में योगी के पास टाटा सफारी और टाटा क्वालिस थी, जबकि ज्वेलरी के नाम पर उनके पास कुछ नहीं था।
* 2009 में उनके पास टाटा सफारी और फोर्ड आइकन थी, जबकि कानों में पहनने के लिए 8 हजार के कुंडल और गले के लिए 15 हजार की चेन थी। साथ ही 10 हजार की रिवॉल्वर 5 साल में 1 लाख की हो गई थी और 20 हजार की राइफल 80 हजार की हो गई थी।
* 2014 में योगी के पास 3 लाख की टाटा सफारी, 12 लाख की इनोवा और 21 लाख की फार्च्यूनर थी, जबकि 45 हजार का सोना था।
* 2017 में योगी के पास 13 लाख की फार्च्यूनर और 8 लाख की इनोवा रह गई, जबकि 75 हजार की ज्वेलरी थी। वहीं, हथियारों का शौक बरकरार रहा।
योगी आदित्यनाथ के 18 सालों का रिपोर्ट कार्ड
अब बात सपा प्रमुख अखिलेश यादव की...
मुख्यमंत्री रहते हुए अखिलेश यादव की संपत्ति में चार गुना का इज़ाफा हुआ था, साल 2022 में दाखिल किए गए अखिलेश और योगी के एफिडेविट की तुलना करें तो अखिलेश यादव के पास योगी से 26 गुना ज्यादा संपत्ति है।
साल 2012 से 2018 के बीच अखिलेश यादव विधान परिषद के सदस्य रहे हैं, इस दौरान उनकी संपत्ति 8 करोड़ 84 लाख रही है। जबकि एक भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया गया है। वहीं साल 2019 में जब अखिलेश यादव आज़मगढ़ से पर्चा भरा तब उनकी संपत्ति बढ़कर 27 करोड़ 78 लाख हो चुकी थी, यानि 2009 की से 2019 यानी 10 सालों में अखिलेश की संपत्ति में 10 गुना का इज़ाफा हुआ है। हालांकि यहां तक अखिलेश पर कोई क्रिमिनल केस नहीं था। हालांकि जब इस बार अखिलेश ने मैनपुरी के करहल से पर्चा दाखिल किया है तब उनके पास 40 करोड़ 4 लाख की कुल संपत्ति है, जबकि तीन आपराधिक मामले भी दर्ज किए जा चुके हैं।
अखिलेश यादव के 18 सालों का रिपोर्ट कार्ड
अब बात डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की...
केशव प्रसाद मौर्य सिर्फ उत्तर प्रदेश के उपमुख्यंत्री ही नहीं बल्कि बड़े व्यापारी भी हैं। इनके बारे में ये कहना गलत नहीं होगा कि ये सिर्फ व्यापारी हीं नही बल्कि एक चालाक व्यापारी हैं, क्योंकि नेता जी पर कोई बात न आए, इसलिए अपनी ज्यादातार कामकाज पत्नी के नाम पर कर दिया। दरअसल ये बातें 2012 में दाखिल शपथपत्र और विधानसभा चुनाव 2022 के नामांकन में दिए गए हलफनामे की तुलना करने पर सामने आए हैं। लेकिन उनकी कमाई पिछले एक दशक में 6 गुना तक बढ़ गई हैं। वहीं उनकी पत्नी राजकुमारी की कमाई में 9 गुना का इजाफा हुआ। संपत्ति के साथ-साथ केशव मौर्य का आपराधिक जगत में खूब नाम रहा है, मौर्य पर जिले में कुल आठ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इनमें गुंडा एक्ट का एक मुक़दमा खारिज हो चुका है। जबकि हत्या के एक मुकदमे में केशव दोषमुक्त हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त मुकदमा धार्मिक विद्वेष फैलाने, एक ठगी एवं कूटरचित अभिलेख बनाने, एक दंगा, बलवा व सरकारी काम में बाधा डालने व एक मुक़दमा हत्या के आरोपों से संबंधित है।
केशव प्रसाद मौर्य की संपत्ति के अलावा उनके साथ एक बेहद दिलचस्प बात ये रही है कि पिछले 10 सालों में उनकी उम्र सिर्फ 8 साल बढ़ी है, दरअसल केशव के हलफनामे में 2012 में केशव की उम्र 45 साल दिखाई गई है। अब वो सिराथू सीट से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। नामांकन के लिए उन्होंने हलफनामा दाखिल किया, जिसमें उनकी उम्र 53 साल दिखाई गई। सीधे शब्दों में 10 साल में उनकी उम्र 8 साल ही बढ़ी है।
‘धन कुबेर’ उम्मीदवार राजनीतिक दलों की पसंद
उत्तर प्रदेश में होने वाले पहले चरण के चुनावों को लेकर ADR यानी इलेक्शन वॉच एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने सर्वे किया कि भाजपा के अमित अग्रवाल सबसे अमीर प्रत्याशी हैं। इनकी संपत्ति 148 करोड़ रुपये हैं। वहीं दूसरे नंबर पर बसपा के एमके शर्मा हैं, जो मथुरा से लड़ रहे हैं और इनके पास 112 करोड़ की संपत्ति है। तीसरे पायदान पर सपा के राहुल यादव हैं, जो बुलंदशहर के सिकंदराबाद से चुनाव लड़ रहे हैं और इनके पास 100 करोड़ रुपये की संपत्ति है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर पहले चरण के सभी राजनीतिक पार्टियों के आपराधिक रिकॉर्ड पर नज़र डालें तो...
- BJP: 57 में से 29 (51%)
- SP: 28 में से 21 (75%)
- RLD: 29 में से 17 (59%)
- BSP: 56 में से 19 (34%)
- INC: 58 में से 21(36%)
- AAP: 52 में से 8 (15%)
49 प्रतिशत उम्मीदवार स्नातक हैं
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शैक्षणिक योग्यता की बात करें तो 39% उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता 5वीं से 12वीं के बीच घोषित की है। जबकि 49% उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षणिक योग्यता स्नातक और इससे ज्यादा घोषित की है। 38 उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षणिक योग्यता और 15% उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षणिक योग्यता असाक्षर घोषित की है। 12 उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता घोषित ही नहीं की है।
उम्मीदवारों की आयु का विश्लेषण करें तो 35% उम्मीदवारों ने अपनी आयु 25 से 40 वर्ष के बीच घोषित की है। जबकि 53% उम्मीदवारों ने अपनी आयु 41 से 60 वर्ष के बीच घोषित कि है। 12% उम्मीदवारों ने अपनी आयु 61 से 80 वर्ष के बीच घोषित की है। उत्तर प्रदेश विधानसभा के पहले चरण के उम्मीदवारों में 12% महिला उम्मीदवार है।
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