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यूपी महिलाओं के साथ अपराध में पहले स्थान पर: NCRB

NCRB के आंकड़ों ने यूपी में महिला सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी। रिपोर्ट में नेताओं की एक-एक बात कटघरे में दिखाई पड़ रही है। दहेज हत्या से लेकर सामूहिक बलात्कार तक में यूपी नंबर 1 बना हुआ है।
NCRB
फ़ोटो साभार : Aasawari Kulkarni/Feminism In India

'नारी सुरक्षा में सेंधमारी करने वालों को पाताल से भी ढूंढ लाएंगे।'

'या तो अपराधी उत्तर प्रदेश छोड़ दें या फिर अपराध।'

'बहन-बेटी को छेड़ा तो अगले चौराहे पर यमराज इंतज़ार करेगा।'

ये सारे बयान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हैं, मगर अफसोस ये कि योगी जी के ये बयान महज़ शब्दों तक ही सीमित रह गए, अपराधी तो अब भी डटे हुए हैं।

अभी कुछ दिनों पहले की ही बात है, आगरा के होटल से रोंगटे खड़े कर देने वाला वीडियो सामने आया था, जिसमें करीब पांच लोगों ने एक लड़की की इज़्ज़त को तार तार कर रख दिया। लड़की खुद को बचाने के लिए गिड़गिड़ा रही थी, मगर उन लोगों की आंखों में ज़रा भी शर्म या दया नहीं थी। उन दरिंदों ने उस लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया जिसने प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश को शर्मशार किया।

कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए किए गए सारे बड़े बड़े वादे हवाओं में ही कहीं खो जाते हैं। इस बात का दावा हम नहीं बल्कि गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाली संस्था राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB कर रही है।

NCRB की ओर से जारी की गई ‘क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट 2022’ में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश हत्या, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, अपहरण और महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में पहले स्थान पर है।

पहले बात 2022 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की...

NCRB का कहना है कि साल 2022 में उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 65,743 मामले दर्ज हुए हैं। यह देश के किसी भी राज्य की तुलना में सबसे ज़्यादा हैं, साथ ही साल दर साल ये बढ़ा भी है। आंकड़ा यह भी बताता है कि ‘पाताल से अपराधियों को खोज लाने’ का दावा करने वाली सरकार 2021 तक लंब‍ित सारे मामलों की जांच तक नहीं करा पाई।

रिपोर्ट बताती है कि 2021 में 11 हज़ार 732 ऐसे मामले हुए हैं जिनकी जांच आज तक पूरी नहीं हो पाई है।

चलिए अब आपको उन पांच राज्यों के बारे में बताते हैं जो महिलाओं के खिलाफ अपराध में नंबर एक से पांच तक हैं।

अपराधियों को यमराज से मिला देने वाली उत्तर प्रदेश सरकार फिलहाल पिछले तीन सालों से नंबर एक पर है। यहां साल 2020 में 49,385, 2021 में 56,083 और 2022 में 65,743 मामले सामने आए हैं। इस तरह देखा जाए तो साल दर साल मामलों में वृद्धि हुई है।

दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है। यहां 2020 में 31,954, 2021 में 39,526 और 2022 में 45,331 मामले दर्ज किए गए थे। यहां भी उत्तर प्रदेश जैसी ही स्थिति है जहां प्रत्येक साल वृद्धि दर्ज की गई।

तीसरे नंबर पर राजस्थान है जहां 2020 में 34,535 मामले दर्ज हुए। 2021 में 40,738 और 2022 में 40,058 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं।

चौथे नंबर पर पश्चिम बंगाल है जहां साल 2020 में 36,439 मामले जबकि 2021 में 35,884 और 2022 में 34,738 मामले दर्ज हुए हैं।

पांचवे नंबर पर है मध्य प्रदेश जहां साल 2020 में 25,640 अपराधिक मामले दर्ज किए गए, इसके अलावा साल 2021 में 30,673 तो साल 2022 में 32,765 मामले दर्ज किए गए हैं। यहां भी प्रत्येक साल में महिलाओं के साथ हिंसा वृद्धि दर्ज की गई।

चूंकि हम बात उत्तर प्रदेश की कर रहे हैं, तो महिलाओं से ही संबंधित अपराधों के एक और आंकड़े आपके सामने रखते हैं, जिसमें महिलाओं के खिलाफ अपराध के 13 हज़ार 97 मामले ऐसे हैं, जो सही तो थे लेकिन उन्हें साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिले। वहीं 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 66,936 ऐसे मामले रहे, जिन्हें पुलिस ने निपटा दिया। 10539 ऐसे मामले थे, जिनकी साल के अंत तक जांच पूरी नहीं हुई थी।

2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 50616 ऐसे मामले थे जिन्हें ट्रायल के लिए भेजा गया। 2021 के भी ट्रायल के 24,0921 मामले पेंडिंग है। इस तरह उत्तर प्रदेश में ट्रायल के ल‍िए पेंड‍िंग कुल 2,91,537 मामले हैं। प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 421 ऐसे भी मामले रहे, जो ट्रायल के बिना ही खत्म कर दिए गए।

इस रिपोर्ट की शुरुआत में ही हमने सामूहिक बलात्कार का एक उदाहरण दिया था, मगर ऐसे अनगिनत मामले हैं। क्योंकि इस श्रेणी में उत्तर प्रदेश नंबर एक है। वहीं बलात्कार के मामले में राजस्थान से एक स्थान पीछे यानी नंबर 2 पर है।

साल 2022 के आंकड़ों पर ग़ौर करेंगे तो पता चलेगा कि राजस्थान में 5399 और उत्तर प्रदेश में 3690 मामले दर्ज किए गए हैं।

तो सामूहिक बलात्कार के मामले में उत्तर प्रदेश नंबर 1 है, यहां साल 2022 में 92 मामले दर्ज दिए गए, जबकि दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है जहां 41 और तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र है जहां 22 मामले दर्ज हुए थे।

फिर आइए महिलाओं की हत्या के मामलों पर नजर डालते हैं। उत्तर प्रदेश में दहेज के लिए हत्या कर दिया जाना बहुत आम बात है। शायद इसी लिए इस मामले में प्रदेश नंबर 1 है।

साल 2022 के आंकड़ों पर नज़र दौड़ाएंगे तो उत्तर प्रदेश में 2138 महिलाओं की हत्या सिर्फ दहेज के कारण कर दी गई। फिर दूसरे नंबर पर बिहार आता है जहां 1057 महिलाओं को दहेज के लिए मार दिया गया।

अब बात कर लेते हैं पति और रिश्तेदारों द्वारा महिलाओं के साथ मारपीट की। इस मामले में भी उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है।

साल 2022 की बात करेंगे तो प्रदेश में 20,371 मामले दर्ज हुए हैं। इस मामले में पश्चिम बंगाल दूसरे नंबर पर है, जहां 19,650 मामले दर्ज हुए थे।

महिलाओं के अपहरण के मामले में भी उत्तर प्रदेश अव्वल ही है, यहां साल 2022 में 14 हज़ार 887 अपहरण महिलाओं के हुए हैं। फिर दूसरे नंबर पर बिहार जहां 10,190 अपहरण हुए तो तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र है, जहां 9,297 महिलाओं के अपहरण दर्ज किए गए।

इसके बाद अगर बात करें सबसे ज़्यादा अपराधों की तो इस मामले में भी उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। जबकि नंबर 2 पर महाराष्ट्र है।

बात अगर साल 2022 की करें तो उत्तर प्रदेश में 7,53,675 आपराधिक मामले दर्ज किए गए है। तो महाराष्ट्र में 5,57,012 मामले दर्ज हुए हैं।

फिर आते हैं साल 2021 में उत्तर प्रदेश में 6,08,082 आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं। तो महाराष्ट्र में 5,40,800 मामले दर्ज किए गए हैं।

इन आंकड़ों से भले ही आप देश-प्रदेश की ख़राब व्यवस्था और नेताओं के जुमलों का अंदाज़ा लगा पा रहे हों, मगर बात इससे बहुत बड़ी है। क्योंकि ये वही आंकड़े हैं जो पुलिस की फाइलों में दर्ज होते हैं, जबकि महिलाओं के साथ अपराध से संबंधित ऐसे बहुत से मामले हैं, जो शायद घर से बाहर निकल भी नहीं पाते हैं। या फिर इज्ज़त के डर से दबा दिए जाते हैं।

फिलहाल ये कहना ग़लत नहीं होगा कि वोट के लिए आधी आबादी का इस्तेमाल तो कर लिया जाता है, मगर देश की संसद से लेकर प्रदेश के सदन तक इनकी भागीदारी हमेशा कम रही है। इन महिलाओं की अनदेखी ही है जो उनके लिए ऐसे आंकड़े पेश कर रही हैं।

NCRB की रिपोर्ट देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें...

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