उत्तराखंड चुनाव: भाजपा के घोषणा पत्र में लव-लैंड जिहाद का मुद्दा तो कांग्रेस में सत्ता से दूर रहने की टीस
“बीजेपी के घोषणा पत्र का मुख्य आकर्षण कथित लव जिहाद और लैंड जिहाद है। इसी पर उन्हें वोटों का ध्रुवीकरण करना है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी घोषणा पत्र पर अपनी प्रतिक्रिया में लव-लैड जिहाद को ही प्रमुखता दी। सत्ता में 5 साल भाजपा की सरकार थी। अगर राज्य में जमीन पर अवैध कब्जा हुआ और उसके चलते जन-सांख्यिकीय परिवर्तन हो रहा है तो क्या आप 5 साल सोते रहे?”
देहरादून के बाज़ार और चौराहे भाजपा-कांग्रेस के पोस्टरों-झंडों से पट गए हैं। गलियों में लाउड स्पीकर पर भाजपा-कांग्रेस के चुनावी गीतों को बजाती गाड़ियां रह-रहकर गुज़रती हैं। मोदी के कागजी चेहरे घर-घर बांटे जा रहे हैं। कांग्रेसी बिल्ला स्वेटर-जैकेट पर टंका दिख जाता है। उत्तराखंड की जनता जनादेश से महज कुछ दिनों की दूरी पर खड़ी है। एक युवा मतदाता कंप्यूटर के कीबोर्ड को ठक-ठक करता हुआ निराशा से कहता है वोट किसे दें, काम तो कोई नहीं करता? दूसरा, हिंदुत्व के एजेंडे पर भाजपाई है। तीसरा, कांग्रेस से बदलाव की उम्मीद लगाए बैठा है।
उत्तराखंड में लोकतंत्र इन्हीं दो पार्टियों के बीच सिमटा नज़र आता है। दोनों दलों ने अपने-अपने घोषणा पत्र जारी कर दिए हैं। भाजपा का घोषणा पत्र मतदान से कुछ ही दिन पहले 9 फरवरी को जारी किया गया। हालांकि घोषणा पत्रों के वादे पूरे होते तो आज उत्तराखंड पर 66 हज़ार करोड़ से अधिक का कर्ज न होता। पहाड़ के गांव पलायन का शिकार न होते।
‘मुफ्त’ का वादा
मतदाताओं को रिझाने के लिए घोषणा पत्र में ‘मुफ्त’ वाले वादे खूब किए गए हैं। कांग्रेस ने 5 लाख परिवारों को सालाना 40 हज़ार देने के वादा किया है। 3 वर्ष से अधिक समय तक बेरोजगार रहे युवकों को बेरोजगारी भत्ते का वादा है। रसोई गैस सिलेंडर पर इस पर चुनावी दलों ने दांव लगाया है। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में इसकी कीमत 500 के भीतर रखने का वादा किया है।
वहीं भाजपा ने अपने घोषणा पत्र “दृष्टि पत्र” में गरीब परिवारों को हर साल 3 मुफ्त सिलेंडर देने का वादा किया है। केंद्र की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के 6 हज़ार के साथ राज्य की ओर से भी 2 हज़ार दिए जाने की घोषणा की गई है। साथ ही राज्य के असंगठित मजदूरों और गरीबों को 6,000 रुपये तक की पेंशन और 5 लाख रुपये का बीमा कवर देने को कहा गया है।
आम आदमी पार्टी ने भी राज्य के लिए 5 गारंटी जारी की हैं। जिसमें 300 यूनिट मुफ्त बिजली, किसानों को मुफ्त बिजली और 18 वर्ष से ऊपर की हर महिला को 1000 रुपये सम्मान राशि देने की गारंटी दी गई है।
इसका असर ये हुआ है कि भाजपा-कांग्रेस को भी ‘मुफ्त’ वाले कुछ वादे करने पड़े। कांग्रेस ने सरकार बनने के पहले वर्ष 200 यूनिट फ्री बिजली और फिर इसे चरण बद्ध तरीके से बढ़ाने की घोषणा की है। जबकि भाजपा ने 30 वर्ष से अधिक उम्र की सभी महिलाओं को अटल पेंशन योजना में शामिल किया है।
स्वास्थ्य का मोर्चा
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बड़ी चुनौती स्वास्थ्य के मोर्चे पर है। राज्य बनने के बाद अब भी महिलाओं के लिए सुरक्षित प्रसव संभव नहीं हो सका है।
कांग्रेस ने गांव स्तर पर स्वास्थ्य कर्मचारियों की नियुक्ति, सभी ब्लॉक में कम से कम एक जच्चा-बच्चा वार्ड को अपनी प्राथमिकता बताया है। इसके अलावा टेलि-मेडिसिन, मोबाइल हेल्थ मॉनिटरिंग मिशन-अस्पताल, 108 सेवाओं को बढ़ाना, एयर एंबुलेंस, बाइक एंबुलेंस सेवा शुरू करने, सभी ज़िला मुख्यालयों में टेस्टिंग लैब के साथ नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेज शुरू करने के वादे किए हैं। नए सरकारी मेडिकल कॉलेज के साथ इनकी फीस कम करने का वादा और गढ़वाल-कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों में एक-एक आधुनिक मॉडल अस्पताल का वादा है।
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भाजपा ने हर ज़िले में मेडिकल कॉलेज बनाने की घोषणा कर डाली है। कुमाऊं में एम्स का सेटेलाइट केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को बेहतर बनाने, पहाड़ में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती जैसे वादे हैं। पर्वतीय ज़िलों में प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मियों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए विशेष भर्ती अभियान का वादा है।
हालांकि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुझसे बातचीत में खुद अफसोस जताया है कि पहाड़ पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति एक बड़ी चुनौती है। डॉक्टर पहाड़ पर सेवाएं नहीं देना चाहते। ऐसे में दोनों दलों के पास स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की कमी को पूरा करने के लिए योजनाओं से अधिक महत्वाकांक्षी होने और इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
(पलायन से प्रभावित पौड़ी जिले का बंद एक घर)
बेरोजगारी पर भत्ते का मरहम
पिछले 5 सालों में उत्तराखंड की युवा शक्ति धरने और आंदोलन की राह पर बार-बार आती रही। फॉरेस्ट गार्ड, नर्सों की भर्ती, असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती, राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षाएँ, उपनल के ज़रिये होने वाली भर्तियों को लेकर सरकार ने ज्यादा कुछ नहीं किया।
राज्य में इस समय 28 हजार रिक्त सरकारी पद हैं। राज्य की बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत है। जबकि राष्ट्रीय औसत 6.1 प्रतिशत है। राज्य में महिला बेरोजगारी दर 10.6 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत के 5.7 प्रतिशत से लगभग दोगुनी है।
कांग्रेस ने रिक्त सरकारी पदों को पहले साल में भरने के साथ प्रति वर्ष सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत बढ़ोतरी का वादा किया है। राज्य लोक सेवा आयोग एवं अधीनस्थ सेवा आयोग की परीक्षाओं का कैलेंडर नियमित करने का वादा किया है। 3 वर्ष से अधिक की बेरोजगारी पर भत्ता देने को कहा है।
भाजपा ने भी प्रशिक्षित बेरोजगार युवाओं को 1 वर्ष तक 3000 रुपये प्रति माह का भत्ता देने का वादा किया है। 50 हजार सरकारी नौकरियों का वादा है। इनमें से 24 हजार सत्ता में लौटते ही देने को कहा है।
आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल ने 6 महीने में 1 लाख सरकारी नौकरी का वादा और रोजगार मिलने तक हर महीने 5 हज़ार भत्ते का वादा किया है।
घोषणा पत्र में लव-लैंड जिहाद भी
चौंकाने वाली बात ये है कि भाजपा ने लव जिहाद और लैंड जिहाद को भी अपने घोषणा पत्र में शामिल किया है। महिलाओं की सुरक्षा के मसले पर लव जिहाद के कानून में संशोधन कर उसे कठोर बनाने की बात कही गई है। इसके लिए दोषियों को दस साल के कठोर कारावास का प्रावधान करने को कहा गया है। इस कानून के अंतर्गत दर्ज सभी मामलों का निस्तारण फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में किया जाएगा।
हरिद्वार में हुई धर्म संसद में भी लव-जिहाद को ही एजेंडा बनाया गया था।
लव जिहाद के साथ ही लैंड जिहाद भी एक नया टर्म शामिल हुआ है। घोषणापत्र में कहा गया है “यह सुनिश्चित करने के लिए कि उत्तराखण्ड जैसे सीमावर्ती राज्य में राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता न हो, इसके लिए हम लैंड जिहाद से सबंधित विवादों की सुनवाई के लिए एक मध्यस्थता आयोग का गठन करेंगे”।
वरिष्ठ पत्रकार योगेश भट्ट इस पर कहते हैं “बीजेपी के घोषणा पत्र का मुख्य आकर्षण लव जिहाद और लैंड जिहाद है। इसी पर उन्हें वोटों का ध्रुवीकरण करना है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी घोषणा पत्र पर अपनी प्रतिक्रिया में लव-लैड जिहाद को ही प्रमुखता दी। सत्ता में 5 साल आप की सरकार थी। अगर राज्य में जमीन पर अवैध कब्जा हुआ और उसके चलते जन-सांख्यिकीय परिवर्तन हो रहा है तो क्या आप 5 साल सोते रहे? लव जिहाद पर आपने पहले कुछ क्यों नहीं किया? इसे घोषणा पत्र का हिस्सा क्यों बनाया?”
‘देर से आई दृष्टि’
कांग्रेस चार धाम चार काम नारे के साथ पिछले दो हफ्ते से चुनाव प्रचार कर रही है। लेकिन भाजपा का घोषणा पत्र, जिसे दृष्टि पत्र का नाम दिया गया है, 9 फरवरी को जारी किया गया। योगेश भट्ट कहते हैं “दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों, कमज़ोर संचार सुविधाओं वाले राज्य में चुनाव से 4 दिन पहले आया घोषणा पत्र तकरीबन साढ़े 81 लाख वोटर तक कैसे पहुंचेगा? ये तो रस्म अदायगी भर हो गया है। घोषणा पत्र को लेकर गंभीरता भी नहीं दिखती है। चुनाव खत्म होने के बाद ये घोषणा पत्र पार्टी कार्यालय से बाहर भी शायद ही निकलते होंगे। जबकि सरकार के लिए ये जनता से किया गया उनका महत्वपूर्ण कमिटमेंट है”।
कांग्रेस के घोषणा पत्र पर योगेश की प्रतिक्रिया है “उनके घोषणा पत्र से 5 साल विपक्ष में काटने की टीस दिखती है। जबकि बीजेपी के घोषणा पत्र में अभिमान झलक रहा है”।
वहीं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र भसीन का कहना है “घोषणा पत्र 7 फरवरी को जारी किया जाना था। लेकिन लता मंगेशकर के निधन के चलते दो दिन टालना पड़ा। हमारा सूचना तंत्र बहुत मज़बूत है लोगों तक हमारा संदेश पहुंच जाएगा”।
डॉ. भसीन कहते हैं कि भाजपा सरकार ने 2017 के घोषणा पत्र में लोकायुक्त को छोड़कर सभी चुनावी वादे पूरे किए हैं। लोकायुक्त क्यों नहीं? इस पर वे कहते हैं कि हमारे यहां भ्रष्टाचार ही नहीं हुआ कि लोकायुक्त की जरूरत पड़े।
भाजपा और कांग्रेस दोनों के घोषणा पत्र 50 पेज से अधिक हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा, बिजली, पानी, पर्यावरण हर क्षेत्र में वादों और योजनाओं के क्रम दिए हुए हैं। ये योजनाएं और वादे पूरे होते तो राज्य आज हर क्षेत्र में नंबर वन होता। पलायन यहां चुनौती न होती।
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