युद्ध के प्रचारक क्यों बनते रहे हैं पश्चिमी लोकतांत्रिक देश?
मार्शल मैकलुहान की भविष्यवाणी कि "राजनीति का उत्तराधिकारी प्रचार होगा" यही हुआ है। घटिया प्रचार अब पश्चिमी लोकतंत्रों, विशेष रूप से यू.एस.ए. और ब्रिटेन में सर चढ़ कर बोल रहा है।
युद्ध और शांति के मुद्दों पर, मंत्रिस्तरीय छल को समाचार बताया जा रहा है। असुविधाजनक तथ्यों को सेंसर किया जा रहा है, राक्षसों का पोषण किया जा रहा है। 1964 में, मैकलुहान ने प्रसिद्ध रूप से घोषणा की थी कि, "माध्यम ही संदेश है।" और इसलिए झूठ ही अब संदेश है।
लेकिन इसमें नया क्या है? एक सदी से भी अधिक समय हो गया है जब इस जाल के जनक एडवर्ड बर्नेज़ ने युद्ध प्रचार के लिए "जनसंपर्क" का आविष्कार किया था। जो नया है वह मुख्यधारा में असंतोष का आभासी उन्मूलन है।
द कैप्टिव प्रेस के लेखक, महान संपादक डेविड बोमन ने इसे उन सभी का अपमान कहा जो उस विचार का पालन करने से इनकार करते हैं और इसलिए एव असहनीय और बहादुर हैं। वे स्वतंत्र पत्रकारों और व्हिसल ब्लोअर्स की बात कर रहे थे, उन्हे ईमानदार और लीक से हटकर काम करने वाला बताया जिन्हें मीडिया संगठन अक्सर गर्व के साथ कभी जगह उपलब्ध कराते थे। अब उस स्थान को समाप्त कर दिया गया है।
हाल के हफ्तों और महीनों में युद्ध उन्माद का उठता ज्वार इसका सबसे ज्वलंत उदाहरण है। इसे इसके शब्दजाल से जाना जाता है, "कथा को आकार देना", जो अधिकतर शुद्ध युद्ध का प्रचार है।
लेबर सांसद क्रिस ब्रायंट ने कहा, रूसी आ रहे हैं। रूस बुरे से भी बदतर है। पुतिन दुष्ट हैं, "हिटलर की तरह एक नाज़ी हैं।"। यूक्रेन पर रूस का आक्रमण होने वाला है- आज रात, इस सप्ताह, अगले सप्ताह। इन सूत्रों का हवाला देने में एक पूर्व-सीआईए का एक प्रचारक शामिल है जो अब अमेरिकी विदेश विभाग का स्पीकर है और रूसी कार्यों के बारे में अपने दावों का कोई सबूत नहीं देता है क्योंकि "यह अमेरिकी सरकार का प्रचार है।"
नो-एविडेंस रूल लंदन में भी लागू होता है। ब्रिटिश विदेश सचिव, लिज़ ट्रस, जिन्होंने कैनबरा सरकार को चेतावनी देने के लिए एक निजी विमान में ऑस्ट्रेलिया जाने के लिए सार्वजनिक धन का करीब 500,000 पाउंड खर्च किया था, सिर्फ यह कहने के लिए कि रूस और चीन दोनों युद्ध में कूदने वाले हैं, लेकिन उन्होने भी इसका कोई सबूत नहीं दिया। एक दुर्लभ या कहिए एकमात्र अपवाद, पूर्व प्रधान मंत्री पॉल कीटिंग थे जिन्होने ट्रस को युद्ध उन्माद से भरा "पागलपन" कहा।
ट्रस ने बाल्टिक और काला सागर के देशों को गैर-जिम्मेदाराना ढंग से भ्रमित किया है। मॉस्को में, उसने रूसी विदेश मंत्री से कहा कि ब्रिटेन कभी भी रोस्तोव और वोरोनिश पर रूसी संप्रभुता को स्वीकार नहीं करेगा- जब तक कि उसे यह नहीं बताया गया कि जिन स्थानों का आप नाम ले रहे हैं वे स्थान यूक्रेन का हिस्सा नहीं हैं बल्कि रूस का हिस्सा हैं। 10 डाउनिंग स्ट्रीट के इस ढोंग और चापलूसी के बारे में रूसी प्रेस को पढ़ें।
हाल ही में मॉस्को में बोरिस जॉनसन को, उनके हीरो, चर्चिल के एक जोकर संस्करण की भूमिका निभाने वाले एक व्यंग्य के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि यह तथ्यों और ऐतिहासिक समझ के जानबूझकर दुरुपयोग किए जाने और युद्ध के वास्तविक खतरे के बारे में झूठ बोलने के बारे में है।
व्लादिमीर पुतिन, यूक्रेन के पूर्वी डोनबास क्षेत्र में हुए "नरसंहार" को संदर्भित करते हैं। 2014 में यूक्रेन में तख्तापलट के बाद- कीव, विक्टोरिया नुलैंड जो बराक ओबामा का "मुख्य व्यक्ति" था, ने तख्तापलट निज़ाम स्थापित किया, जो नव-नाज़ियों से प्रभावित था, जिसने डोनबास में रह रहे रूसी भाषी लोगों के खिलाफ आतंक का अभियान शुरू किया, जो यूक्रेन की आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा थे।
कीव में सीआईए के निदेशक जॉन ब्रेनन की देखरेख में, "विशेष सुरक्षा इकाइयों" ने डोनबास के लोगों पर बर्बर हमलों का समन्वय किया था, ये हमले उन पर किए गए जिन्होंने तख्तापलट का विरोध किया था। वीडियो और प्रत्यक्षदर्शियों की रिपोर्ट में ओडेसा शहर में ट्रेड यूनियन मुख्यालय को जलाने वाले फासीवादी ठगों को दिखाया गया था, जिसमें 41 लोग फंसे हुए थे। पुलिस खड़ी तमाशा देख रही है। ओबामा ने "उल्लेखनीय संयम" के लिए "विधिवत निर्वाचित" तख्तापलट निज़ाम को बधाई दी थी।
यू.एस. मीडिया में ओडेसा अत्याचार को "उदास" घटना बताया गया और इसे एक ऐसी "त्रासदी" के रूप में पेश किया गया था जिसमें "राष्ट्रवादियों" (नव-नाज़ियों) ने "अलगाववादियों" (जो लोग यूक्रेन संघ के नाम पर एक जनमत संग्रह के लिए हस्ताक्षर अभियान चला रहे थे) पर हमला किया गया था। रूपर्ट मर्डोक के वॉल स्ट्रीट जर्नल ने पीड़ितों को धिक्कारा- जिसमें लिखा गया कि सरकार कहती है कि "घातक यूक्रेन की आग संभवतः विद्रोहियों द्वारा फैलाई गई है।"
रूस पर अमेरिका के प्रभावी जानकार के रूप में प्रशंसित प्रोफेसर स्टीफन कोहेन ने लिखा: "पुलिस और आधिकारिक कानूनी अधिकारी इन नव-फासीवादी कृत्यों को रोकने या उन पर मुकदमा चलाने के लिए वस्तुतः कुछ नहीं करते हैं। इसके विपरीत, कीव ने नाजी जर्मन विनाश के नरसंहार में यूक्रेनी सहयोगियों का व्यवस्थित रूप से पुनर्वास किया, यहां तक कि स्मारक बनाकर उन्हें आधिकारिक तौर पर प्रोत्साहित किया है..., उनके सम्मान में सड़कों का नाम बदलना, उनके लिए स्मारक बनाना, और उनका महिमामंडन करने के लिए इतिहास को फिर से लिखना शामिल है।
आज, नव-नाजी उक्रेन "ओडेसा में जातीय तौर पर रूसियों और अन्य लोगों को नरसंहार के तहत मौत के घाट उतारने से... दूसरे विश्व युद्ध के दौरान यूक्रेन में नाजी विनाश की यादें फिर से ताज़ा हो गई हैं। ... [आज] कीव शासित यूक्रेन में समलैंगिकों, यहूदियों, बुजुर्ग जातीय रूसियों और अन्य 'अशुद्ध' नागरिकों पर तूफान की तरह हमले व्यापक हैं, साथ ही मशाल की रोशनी मार्च उन लोगों की याद दिलाती है जिन्होंने अंततः 1920 और 1930 के दशक के अंत में जर्मनी को उकसाया था...
इसका शायद ही कभी उल्लेख किया गया है। यह कोई खबर ही नहीं है कि ब्रिटिश, यूक्रेनी नेशनल गार्ड को प्रशिक्षण दे रहे हैं, जिसमें नव-नाज़ी भी शामिल हैं। (15 फरवरी की कंसोर्टियम न्यूज में मैट केनार्ड की डिक्लासिफाइड रिपोर्ट को देखें।) हेरोल्ड पिंटर कहते हैं, 21वीं सदी के यूरोप में फासीवाद समर्थित हिंसा की वापसी में ऐसा कभी नहीं हुआ था,... तब भी जब यह हो रहा था।"
16 दिसंबर को, संयुक्त राष्ट्र ने एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें "नाज़ीवाद, नव-नाज़ीवाद और अन्य प्रथाओं के महिमामंडन का मुकाबला करने का आह्वान किया गया था जो नस्लवाद के समकालीन रूपों को बढ़ावा देने में योगदान करते हैं।" इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वाले एकमात्र राष्ट्र संयुक्त राज्य अमेरिका और यूक्रेन थे।
लगभग हर रूसी जानता है कि यह यूक्रेन की "सीमा" के मैदानी इलाकों में ऐसा था कि 1941 में हिटलर की सेनाएं पश्चिम से घुसी थी क्योंकि यूक्रेन के नाजी और सहयोगियों ने उनका समर्थन किया था। जिसके परिणामस्वरूप 20 मिलियन से अधिक रूसी मारे गए थे।
भू-राजनीति के युद्धाभ्यास और उसकी निंदा को अलहदा करते हुए, खिलाड़ी चाहे कोई भी हों, यह ऐतिहासिक स्मृति रूस के सम्मान-प्राप्त, आत्म-सुरक्षात्मक सुरक्षा प्रस्तावों के पीछे प्रेरक शक्ति है, जो इस सप्ताह में मास्को में प्रकाशित हुए थे, जिसमें संयुक्त राष्ट्र ने नाज़ीवाद को रद्द करने के लिए 130-2 के अनुपात से वोट दिया था। जो प्रस्ताव इस प्रकार हैं:
- नाटो गारंटी दे कि वह रूस की सीमा से लगे देशों में मिसाइलों को तैनात नहीं करेगा। (वे पहले से ही स्लोवेनिया से रोमानिया में हैं और पोलैंड पहुँचने वाले हैं।)
- नाटो रूस की सीमा से लगे देशों और समुद्रों में सैन्य और नौसैनिक अभ्यास बंद करेगा।
- यूक्रेन को नाटो का सदस्य नहीं बनाया जाएगा।
- पश्चिम और रूस एक बाध्यकारी पूर्व-पश्चिम सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे।
- अमेरिका और रूस के बीच मध्यकालीन दूरी के परमाणु हथियारों को कवर करने वाली ऐतिहासिक संधि को बहाल किया जाना है। (जिसे अमेरिका ने 2019 में तिलांजली दे दी थी)
ये युद्ध के बाद पूरे यूरोप के लिए एक शांति योजना का व्यापक मसौदा है और इसका पश्चिम में स्वागत किया जाना चाहिए। लेकिन ब्रिटेन में इनकी अहमियत कौन समझता है? उन्हें जो बताया जाता है वह यह है कि पुतिन एक नीच आदमी हैं और वह ईसाईजगत के लिए खतरा हैं।
रूसी भाषी यूक्रेनियन, सात साल से कीव द्वारा आर्थिक नाकेबंदी के तहत हैं, और वे अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं। जिस "बड़े पैमाने की" सेना के बारे में हम शायद ही कभी सुनते हैं, वह 13 यूक्रेनी सेना का बेड़ा है जो डोनबास की घेराबंदी कर रही है: इसमें अनुमानित 150,000 सैनिक हैं। यदि वे रूस को उकसाने के लिए हमला करते हैं तो उसका मतलब लगभग निश्चित रूप से युद्ध होगा।
2015 में, जर्मन और फ्रांस की पहल पर, रूस, यूक्रेन, जर्मनी और फ्रांस के राष्ट्रपतियों ने मिन्स्क में मुलाकात की थी और एक अंतरिम शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यूक्रेन डोनबास को स्वायत्तता देने पर सहमत हो गया था, जो अब डोनेट्स्क और लुहान्स्क के स्व-घोषित गणराज्य हैं।
मिन्स्क समझौते को कभी मौका नहीं दिया गया। ब्रिटेन में, बोरिस जॉनसन द्वारा प्रवर्तित लाइन यह है कि यूक्रेन को विश्व नेताओं द्वारा "निर्देशित" किया जा रहा है। अपने हिस्से के तौर पर, ब्रिटेन यूक्रेन को हथियारों से लैस कर रहा है और उनकी सेना को प्रशिक्षण दे रहा है।
पहले शीत युद्ध के बाद से, नाटो ने प्रभावी रूप से रूस की सबसे संवेदनशील सीमा तक मार्च किया है, जिसने यूगोस्लाविया, अफगानिस्तान, इराक और लीबिया में अपनी खूनी आक्रामकता का प्रदर्शन किया है और पीछे हटने के गंभीर वादों को तोड़ा है। यूरोपीयन "सहयोगियों" को अमेरिकी युद्धों में घसीटने के बाद, जो उनकी चिंता नहीं करते हैं, महान बात यह है कि नाटो स्वयं यूरोपीय सुरक्षा के लिए वास्तविक खतरा है।
ब्रिटेन में, "रूस" के उल्लेख पर राष्ट्रीय मीडिया में ज़ेनोफ़ोबिया शुरू हो जाता है। घुटने के बल चलने वाली दुश्मनी को चिह्नित करते हुए बीबीसी रूस पर रिपोर्ट करता है। क्यों? क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि शाही पौराणिक कथाओं को बहाल किया जा रहा है जो सबसे बढ़कर, एक स्थायी दुश्मन की मांग करती है? निश्चित रूप से, हम इससे बेहतर कहानी के पात्र हैं।
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जॉन पिल्गर एक पुरस्कार विजेता पत्रकार, फिल्म निर्माता और लेखक हैं। यहां उनकी वेबसाइट पर उनकी पूरी जीवनी पढ़ें, ट्विटर पर उनसे @JohnPilger पर संपर्क किया जा सकता है।
साभार: Globetrotter
अंग्रेजी में प्रकाशित इस मूल आलेख को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें:
Western Democracies Have Mutated Into Propagandists for War and Conflict
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