भारत की GDP ब्रिटेन से आगे पहुंचने की हक़ीक़त क्या है?
एक आंकड़ा आया है। आंकड़ा यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था, यूनाइटेड किंगडम (यूके) को पार करती हुई पांचवें पायदान पर पहुंच चुकी हैं। सोशल मीडिया पर जमकर प्रचार किया जा रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया के पांच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हो चुकी है। यहां तक कहा जा रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था अंग्रेजों की अर्थव्यवस्था को पार कर पांचवें पायदान पर पहुंची है, जिनका भारत कभी ग़ुलाम था। बताने की जरूरत नहीं कि ऐसा कौन कह रहा है? इस आंकड़ें का भरपूर प्रचार भारतीय जनता पार्टी कर रही है।
सच का एक सिरा पकड़कर झूठ बेचने की कहानी ही प्रचार कही जाती है। इसी प्रचार के दम पर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में बैठी हुई है तो चलिए समझते हैं कि सच और झूठ क्या है? कहां तक इसे वाजिब माना जाए और कहाँ तक इसी आंकड़ों को लेकर सरकार से सवाल पूछा जाए कि भारतीय अर्थव्यवस्था का हाल इतना बदहाल क्यों है?
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केवल जीडीपी के आँकड़ों के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था अंदाज़ा लगाना खुद को भ्रम में रखने की तरह होता है। इससे भारत की 141 करोड़ आबादी की आर्थिक हैसियत का पता नहीं चलता, ब्रिटेन से तुलना करना तो बहुत दूर की बात है। इसलिए भारत और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की तुलना करते वक्त सबसे पहली बात यह जानने वाली है कि भारत की आबादी तकरीबन 141 करोड़ के पास पहुंच गयी है और ब्रिटेन की आबादी महज सात करोड़ के आसपास है। मतलब यह है कि भारत की आबादी ब्रिटेन की आबादी की 20 गुना है।
अब इस आधार पर देखा जाए तो जीडीपी पर कैपिटा के आंकड़ें ज्यादा अच्छी तरह से यह बता सकते हैं कि भारत और यूनाइटेड किंगडम की अर्थव्यवस्था की हकीकत क्या है? किस अर्थव्यवस्था में लोगों की जिंदगी ज्यादा बेहतर तरीके से गुजर रही है।
नॉमिनल रेट के आधार पर ब्रिटेन की प्रति व्यक्ति आय 47 हजार डॉलर है। भारत की प्रति व्यक्ति आय महज 22 सौ डॉलर है। यानी ब्रिटेन की प्रति व्यक्ति आय भारत से 20 गुना ज्यादा है। प्रति व्यक्ति आय के मामलें में भारत दुनिया के 194 देशों के बीच 144 वें पायदान पर मौजूद है। प्रति व्यक्ति आय के मामलें में भारत एशिया के देशों के बीच भारत 33 वें पायदान पर मौजूद है। दुनिया के अमीर देशों के मुकाबले भारत की प्रति आय 60 गुना कम है।
इसी आधार पर आप भारत और ब्रिटेन की गरीबी की तुलना कर सकते है। अगर भारत की प्रति व्यक्ति आय ब्रिटेन की तुलना में 20 गुना कम है , इसका मतलब है कि भारत में ब्रिटेन से ज्यादा गरीबी है। इसके साथ अगर आर्थिक असामनता के आंकड़ें जोड़ दें तो पता चलेगा कि भारत की पूरी जीडीपी में बड़ा हिस्सा चंद अमीर लोगों का है।
साल 2021 का आंकड़ा कहता है कि भारत के 10 प्रतिशत अमीर लोगों के पास देश की कुल आय का तकरीबन 57 फीसदी हिस्सा है और 50 प्रतिशत गरीब लोगों के पास देश की कुल आय का महज 13 फीसदी हिस्सा। मतलब भारत के जीडीपी के गुब्बार में अमीरों का योगदान सबसे ज्यादा है। अगर अमीरों की बेतहाशा और नाजायज अमीरी हटा ली जाए तो भारत के जीडीपी का सारा गुब्बारा फट जाए।
साल 2020 के फ़ूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनइजेशन के मुताबिक भारत की तकरीबन 19 करोड़ आबादी यानी ब्रिटेन की कुल आबादी की तकरीबन 3 गुनी आबादी कुपोषित है। पोषण के मानकों के आधार पर उसे पोषण नहीं मिल रहा। ढंग का खाना नहीं मिल रहा। यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज के हिसाब से देखा जाए तो भारत का स्कोर 60 के आसपास है, जबकि ब्रिटेन का 80 के आसपास। यानी ब्रिटेन का हाल भारत से बहुत बेहतर है और भारत को ब्रिटेन तक पहुंचने में लम्बा वक्त लगेगा। स्वास्थय, शिक्षा और जीवन के मानकों को जोड़कर ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स तैयार किया जाता है। इस मानक पर ब्रिटेन दुनिया के 189 देशों के बीच 13 वें पायदान है और भारत दुनिया के 189 देशों के बीच 131 वें पायदान पर।
बेरोजगारी के हिसाब से देखें तो भारत में रोजगार दर 40 प्रतिशत के आसपास है। मतलब भारत की काम करने वाले आबादी 90 करोड़ बीच तकरीबन 36 करोड़ आबादी के पास किसी न किसी तरह का काम रहता है। 44 करोड़ आबादी के पास किसी तरह का काम नहीं है। यह आबादी ही ब्रिटेन की कुल आबादी के छह गुना है।
इन आंकड़ों को ध्यान में रखकर सोचिये कि क्या वाकई भारत ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था से आगे निकल चुका है? क्या वाकई यह कहकर ताली पीटने की जरूरत है कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है? या सरकार से यह पलटकर पूछने की जरूरत है कि भारत की अर्थव्यवस्था पांचवें पायदान पर पहुंच तो चुकी है लेकिन आम लोगों के जीवन का क्या?
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