IIT-BHU गैंगरेप मामले में क्यों उठ रहे पुलिस पर सवाल?
आईआईटी-बीएचयू की बीटेक छात्रा के साथ हुए गैंगरेप मामले में पुलिस पर बेहद गंभीर आरोप लग रहे हैं कि वह जांच में लचर रवैया अपना रही थी, इसके अलावा लंका पुलिस ने कई लोगों को थाने में बुलाकर टॉर्चर किया तो कई 'निर्दोष' छात्रों पर 'फर्जी' धाराएं भी लगाईं। आरोप है कि वारदात के तीसरे दिन ही लंका थाना पुलिस तीनों अभियुक्तों के घरों तक पहुंच गई थी, लेकिन सत्तापक्ष के नेताओं के दबाव में पुलिस उन्हें जेल भेजने से बचती रही।
कहा जा रहा है कि अभियुक्तों को बीजेपी के दफ्तरों से दो महीने पहले ही हटा दिया गया था, लेकिन उनकी कई ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जिससे दावा किया जा रहा है कि गिरफ्तारी के चंद रोज पहले तक वो पार्टी की बैठकों में शामिल हो रहे थे।
आईआईटी-बीएचयू में बीटेक द्वितीय वर्ष की छात्रा से गैंगरेप करने के आरोप में सुंदरपुर की बृज एन्क्लेव कॉलोनी के कुणाल पांडेय, बजरडीहा के जिवधीपुर के आनंद उर्फ अभिषेक चौहान और इसी मुहल्ले के सक्षम पटेल को पुलिस ने 30 दिसंबर 2023 की रात में गिरफ्तार किया था। तीनों अभियुक्त बीजेपी आईटी सेल के पदाधिकारी रहे हैं। कुणाल पांडेय बीजेपी की महानगर इकाई में आईटी विभाग का संयोजक था और सक्षम पटेल सह-संयोजक। आनंद उर्फ अभिषेक चौहान के आरएसएस के एक प्रचारक से करीबी रिश्ते सामने आए हैं। फिलहाल तीनों जेल में हैं।
दावा: निर्दोष को फंसाने की तैयारी थी
कई लोग दावा कर रहे हैं कि जांच का रुख बदलने के लिए पुलिस ने कई 'निर्दोष' लोगों को उनके घरों से उठाया। इन्हीं में एक 25 साल का नौजवान हर्ष सिंह भी था। पुलिस ने ककरमत्ता फ्लाई ओवर के पास से उसे हिरासत में लिया। हर्ष, करौदी के राजीव नगर में रहता है और ठेकेदारों को बिल्डिंग मटेलियल सप्लाई करता है।
वारदात की रात हर्ष एक ट्रक पर लदे सामान की एंट्री कराने के लिए सुसुवाहीं, करौदी, नरिया होते हुए बीएचयू गेट पर पहुंचा। रात करीब 12.50 पर ट्रक को गेट पर छोड़कर वह अपने घर लौट गया। बुलेट मोटर साइकिल होने की वजह से पुलिस ने हर्ष को पकड़ा और वारदात से उसे जोड़ने की कोशिश की। हर्ष के अधिवक्ता दीपक राजवीर कहते हैं, "कमिश्नरेट पुलिस का खेल तब बिगड़ गया जब हर्ष के परिजनों के साथ हमने राजीव नगर कालोनी के गेट पर लगे सीसीटीवी कैमरे का फुटेज अफसरों को दिखाया। इस फुटेज में हर्ष रात 12.47 राजीवनगर के अंदर आता दिखा, जबकि बीएचयू कैंपस में वारदात रात 1.30 बजे हुई थी।"
"घटना की रात हर्ष बुलेट के बजाय अपनी थार गाड़ी से निकला था। फिर भी हर्ष को थाने में बिठाया गया। पुलिस हर्ष पर लगातार दबाव डालती रही कि वह बीएचयू में छात्रा के साथ हुई वारदात में अपना गुनाह कबूल कर ले। थाने में उसके साथ बदसलूकी भी की गई। काफी जद्दोजहद के बाद 06 नवंबर 2023 को हर्ष को पुलिस ने आज़ाद किया। उसी समय यह संदेह पैदा हो गया था कि लंका थाना पुलिस वारदात में शामिल असली गुनहगारों को बचाने का प्रयास कर रही है।"
पुलिस पर छात्र संगठनों के आरोप
आईआईटी-बीएचयू छात्रा के यौन उत्पीड़न के विरोध में बीएचयू के कई छात्र संगठन लंका के सिंघद्वार पर आंदोलन कर रहे थे। छात्र संगठनों ने आरोप लगाया कि गुनहगारों को पकड़ने के बजाय पुलिस ने षड्यंत्र रचा। आंदोलनकारी छात्रों ने 05 नवंबर, 2023 को प्रतिरोध मार्च निकलाने, बीएचयू कैंपस में केंद्र और राज्य सरकार के साथ ही कुलपति, आईआईटी के निदेशक का पुतला जलाने का ऐलान किया था। इस दौरान प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं की झड़प हो गई। पुलिस अफसरों की मौजूदगी में आंदोलनकारी छात्रों के बीच मारपीट और हाथापाई हुई। एसीपी प्रवीण सिंह समेत तमाम अफसर और बीएचयू के सुरक्षा कर्मचारी मूकदर्शक बने रहे। लंका थाने में रिपोर्ट दर्ज करने के लिए दोनों पक्ष प्रॉक्टोरियल बोर्ड के पास पहुंचे। प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने एबीवीपी को एफआईआर दर्ज कराने की अनुमति दी और दूसरे पक्ष को बैरंग लौटा दिया। इस पर प्रदर्शनकारी छात्रों ने पुलिस व प्रॉक्टोरियल बोर्ड पर पक्षपात का आरोप लगाया।
एबीवीपी की तहरीर पर लंका थाना पुलिस ने विभिन्न छात्र संगठनों से जुड़े 17 लोगों के ख़िलाफ़ अपराध संख्या-0453 के तहत आईपीसी की धारा 147, 505 (2), 323, 354 (ख), 504, 506 के अलावा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम 1989 (संशोधन 2015) की धारा 3 (1) (द), धारा 3 (1) (घ) और धारा 3 (1) (v) के तहत मामला दर्ज किया गया। यह रिपोर्ट एबीवीपी से जुड़ी बीए तृतीय वर्ष की छात्रा मेघा मुखोपाध्याय की तहरीर पर दर्ज की गई। एबीवीपी से जुड़ी छात्रा मेधा ने दावा किया कि आइसा, बीसीएम और एनएसयूआई के सदस्य वहां पहुंचे और उन्होंने हाथापाई शुरू कर दी। इस घटना में उनका हाथ और अदिति मौर्य का पैर फैक्चर हो गया। शिवांश की दाई आंख के नीचे गंभीर चोट आईं। सीनियर छात्र राजकुमार को जातिसूचक गालियां दी गईं।
इस घटना के बाद एनएसयूआई के प्रदेश महासचिव रोहित राणा ने न्यूज़क्लिक से बताया, "घटना के समय मैं और मेरे साथी मौके पर मौजूद नहीं थे। इसके बावजूद फर्जी मामले में मुझे और मेरे दो साथी-सुमन आनंद और राजीव नयन को राजनीतिक विद्वेष के चलते नामजद किया गया। हमारी मांग है कि एबीवीपी के जिन छात्र-छात्राओं के हाथ-पैर पैर में फ्रैक्चर के दावे किए गए थे उनका पुनः मेडिकल परीक्षण कराया जाए, जिसमें प्रशासन और बीएचयू के निष्पक्ष चिकित्सकों की टीम को भी शामिल किया जाए। इस जांच से यह भी पता चल जाएगा कि सत्तारूढ़ दल के किस नेता के दबाव में कैसे फर्जी मेडिकल रिपोर्ट तैयार कराई गई? अभियुक्तों को बचाने के लिए पुलिस ने सत्तारूढ़ दल के इशारे पर झूठ का प्रपंच रचा। मैं आज भी चुनौती देता हूं कि पुलिस हमें मारपीट करते हुए घटनास्थल का कोई भी फुटेज दिखाए।"
क्यों उठ रहे पुलिस पर सवाल?
इस मामले में पुलिस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। घटना में इस्तेमाल किए गए असलहा और पीड़िता का मोबाइल अभी तक बरामद नहीं हो सका है। फिर भी अभियुक्तों को रिमांड पर लेने के लिए पुलिस की ओर से अभी तक कोई अर्जी नहीं दी गई है। संगीन मामलों में जांच अफसर अभियुक्तों को रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट में अर्जी देता है, लेकिन इस मामले में पुलिस पर लापरवाही का आरोप लग रहा है।
गैंगरेप की वारदात में तीन अभियुक्तों की गिरफ्तारी के पांच दिन दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस ने आधिकारिक बयान जारी नहीं किया। तमंचे के साथ पकड़े जाने पर गुडवर्क दिखाने के लिए प्रेस कांफ्रेंस करने वाले अफसर चुप्पी साधे हुए हैं। तीनों अभियुक्तों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जिला जेल भेजा गया है। फिलहाल तीनों को एक ही बैरक में रखा गया है। भेलूपुर के एसीपी डॉ. अतुल कुमार अंजान कहते हैं, "गैंगरेप के अभियुक्तों के मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण पुलिस के कब्जे में है। छात्रा का मोबाइल और घटना में प्रयुक्त तमांचा कहां है, इस पर उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है।" वह कहते हैं कि जरूरत पड़ने पर अभियुक्तों को रिमांड पर लेने लिए पुलिस अदालत में अर्जी देगी। फिलहाल अभियुक्तों के मोबाइल का डेटा रिकवर करने का इंतजार किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि लंका थाना पुलिस ने पीड़िता के यौन उत्पीड़न के मामले की रिपोर्ट पहले मामूली धाराओं में दर्ज की थी। बाद में पीड़िता ने पुलिस पर बयान बदलने का भी आरोप लगाया और मजिस्ट्रेट के समक्ष गैंगरेप किए जाने की शिकायत दर्ज कराई। आईआईटी-बीएचयू कैंपस में स्टूडेंट्स के लगातार धरना-प्रर्दशन के चलते पुलिस दबाव में आ गई। पीड़िता के बयान को आधार बनाते हुए पुलिस ने छेड़छाड़ की घटना में सामूहिक दुष्कर्म (IPC 376-D) और इलेक्ट्रॉनिक साधनों के जरिए यौन उत्पीड़न (IPC 509) से संबंधित धाराएं बढ़ा दी।
आईआईटी छात्रा से गैंगरेप मामले में सिर्फ पुलिस अफसर ही नहीं, आईआईटी-बीएचयू के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार जैन भी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। आईआईटी के छात्रों को मेल भेजकर हिदायत दी गई है कि गैंगरेप के मामले में मीडिया से कोई बातचीत न करें। अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद उनकी भाजपा के दिग्गज नेताओं की तस्वीर तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। विपक्षी दलों के नेता इस मामले में बीजेपी पर लगातार हमले कर रहे हैं।
आरोपों से घिरते जा रहे नेता
आईआईटी-बीएचयू की छात्रा से गैंगरेप के मामले में आरोपों के छींटे उन नेताओं पर भी आने लगे हैं जो तीनों अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद दावा कर रहे थे कि उन्हें बीजेपी के दफ्तरों से दो महीने पहले ही हटा दिया गया था। क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल ने मीडिया से कहा था कि सक्षम पटेल नामक युवक उनके यहां फोटोग्राफी करता था। गैंगरेप की वारदात में उसकी संलिप्तता की जानकारी हमें जैसे ही मिली, उसे हटा दिया। तीनों युवकों को बीजेपी के कार्यक्रमों में शामिल नहीं होने की हिदायत दी गई थी।
हालांकि इसके उलट तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी कार्यकर्ता हिमांशु जायसवाल एक ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल होना शुरू हआ। हिमांशु खुद को बीजेपी आईटी सेल का जिला अध्यक्ष बताते हैं। सोशल मीडिया 'एक्स' पर 24 दिसंबर 2023 को उन्होंने बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की एक बैठक की तस्वीर डाली थी। इस तस्वीर में बीजेपी आईटी सेल के प्रदेश सह संयोजक हर्ष चतुर्वेदी और शशि शेखर बैठे हैं और गैंगरेप के अभियुक्त कुणाल पांडय और सक्षम पटेल भी। हर्ष और शशि आईटी सेल के कार्यकर्ताओं में चुनावी जोश भरने के लिए बनारस पहुंचे थे।
बीजेपी कार्यकर्ता का एक ट्विट यह भी
सूत्र बताते हैं कि बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल के साथ काम करने वाला सक्षम पटेल कुछ साल पहले हिंदू युवा वाहिनी से जुड़ा था। गलत चाल-चलन के चलते उसे संगठन से निकाल दिया गया था। अभियुक्त सक्षम पटेल ने बाद में बीजेपी के एक विधायक से अपने करीबी रिश्ते बना लिए और महानगर आईटी सेल का सह-संयोजक बन बैठा। अभियुक्त कुणाल पांडे बीजेपी के पार्षद का दामाद है। वह जमीन-जायदाद का धंधा भी करने लगा था। आनंद उर्फ अभिषेक चौहान और बजरडीहा के सक्षम पटेल इसके साथ रहता था। उसे अक्सर आरएसएस के एक दिग्गज प्रचारक के साथ देखा जाता था।
(लेखक बनारस स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
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