छत्तीसगढ़: हसदेव जंगल में पेड़ों की कटाई को लेकर ग्रामीणों और पुलिस में झड़प
छत्तीसगढ़ के हसदेव जंगल में गुरुवार को हिंसा भड़क गई जब स्थानीय लोगों ने अधिकारियों को पेड़ काटने से रोकने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस ने ग्रामीणों को पीछे हटाने का प्रयास किया, लेकिन वे अड़े रहे। इस झड़प में कई प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस दौरान डिप्टी कलेक्टर और एक राजस्व कर्मचारी को भी मामूली चोटें आई हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आरआरवीयूएनएल को दिए गए परसा कोल ब्लॉक खनन परियोजना के तहत फतेहपुर और साली गांवों के पास पेड़ों की कटाई की जानी थी। हालांकि, वन अधिकारियों ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन सरकारी सूत्रों ने कहा कि छह गांवों के आसपास के क्षेत्रों में करीब 5,000 पेड़ों की कटाई की जानी है।
बुधवार रात से ही इन गांवों के लोग अधिकारियों को कार्रवाई करने से रोकने के लिए पेड़ काटने की जगह पर इकट्ठा हो गए थे। इसके चलते मौके पर करीब 400 पुलिस और वन विभाग के कर्मियों को तैनात किया गया। पुलिस ने कहा कि स्थानीय लोग लकड़ी के डंडे, तीर और कुल्हाड़ी लिए हुए थे। वहीं, सरगुजा के पुलिस अधीक्षक योगेश पटेल ने आरोपों का खंडन किया कि पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करने के बाद हिंसा शुरू हुई।
उन्होंने कहा, "ग्रामीण हिंसक हो गए और उन्होंने हम पर हमला कर दिया। उन्हें रोकने और तितर-बितर करने के लिए हमने जवाबी कार्रवाई की।" एक पुलिस कांस्टेबल भोलाराम राजवाड़े के पैर में तीर लगने से गहरी चोट आई। उन्हें इलाज के लिए रायपुर ले जाया गया। एसपी ने कहा, "हमारी फोर्स मौके पर मौजूद है, लेकिन पेड़ों की कटाई रोक दी गई है।"
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस घटना को लेकर छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "हसदेव अरण्य में पुलिस बल के हिंसक प्रयोग के जरिए आदिवासियों के जंगल और जमीन को जबरन हड़पने की कोशिश आदिवासियों के मौलिक अधिकारों का हनन है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार के दौरान हसदेव के जंगल को न काटने का विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया था—'सर्वसम्मति' का मतलब विपक्ष यानी भाजपा की भी संयुक्त सहमति है। लेकिन, सरकार में आते ही उन्हें न तो यह प्रस्ताव याद आया और न ही हसदेव के इन मूल निवासियों की दुर्दशा और अधिकार।"
एआईसीसी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी प्रदर्शनकारी स्थानीय निवासियों के समर्थन में आवाज उठाई। उन्होंने कहा, "आदिवासी, जो सदियों से जंगलों के मालिक हैं, उन्हें बेदखल किया जा रहा है ताकि अडानी जी की खदानें चल सकें।" वरिष्ठ भाजपा नेता संजय श्रीवास्तव ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि सरकार लोगों की सहमति से ही आगे बढ़ेगी। भाजपा सरकार का रुख बिल्कुल साफ है। वहां के लोगों को उचित प्रावधान मिलना चाहिए ताकि उन्हें किसी तरह का नुकसान न हो। सरकार इस पर ध्यान देगी।
साभार : सबरंग
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