कोरोना काल में भी वेतन के लिए जूझते रहे डॉक्टरों ने चेन्नई में किया विरोध प्रदर्शन
तीन महीने से अधिक समय से स्टाइपेंड न मिलने के विरोध में मंगलवार को चेन्नई स्थित चेंगलपेट गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज हॉस्पीटल के करीब 250 डॉक्टरों ने कार्य का बहिष्कार किया।
अस्पताल में कोविड -19 वार्ड, ऑपरेशन थिएटर और अधिकांश अन्य विभागों में तैनात सर्जन और पोस्ट ग्रेजुएट (नन-सर्विस) डॉक्टर ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती वे विरोध जारी रखेंगे।
प्रदर्शन करने वाले डॉक्टर लक्षमाणन ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, "करीब 30 डॉक्टर कोविड -19 पॉजिटिव पाए गए हैं। उन्हें वेतन मिले बिना वे अपने खर्च को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और अपने दोस्तों और परिवारों से वित्तीय मदद मांग रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि चूंकि संक्रमित डॉक्टर आईसोलेशन में थे इसलिए अन्य डॉक्टरों पर काम का बोझ बढ़ गया और कई लोग पर्याप्त आराम किए बिना 48 घंटे की शिफ्ट में काम करते रहे।
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच चेंगलपट्टु अस्पताल में सभी प्रकार की वैकल्पिक सर्जरी करना जारी है। इसलिए, डॉक्टरों को चौबीसों घंटे उपलब्ध रहना पड़ता है।
डॉक्टरों ने कहा कि उनके द्वारा काम करने की व्यस्तता के बावजूद सरकार ने स्टाइपेन जारी करने को लेकर उनके आग्रह का कोई जवाब नहीं दिया।
इसलिए, उन्होंने लंबित वेतन को तत्काल जारी करने की मांग करते हुए मंगलवार को कार्य बहिष्कार करने को मजबूर हुए और डीएमई से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि उन्हें भविष्य में समय पर वेतन मिले।
मेडिकल कॉलेज के डीन जे मुथुकुमारन ने कहा कि ये बिल मंगलवार को कोषागार के सामने पेश किया गया है और जल्द उनके बैंक खातों में पैसा भेज दिया जाएगा।
डॉक्टरों के विरोध के बावजूद मंगलवार को मरीजों का इलाज जारी रहा क्योंकि मरीजों को देखने के लिए पीजी, सहायक प्रोफेसर, प्रोफेसर और विभागों के प्रमुख उपलब्ध थे। अस्पताल में फिलहाल 50 से अधिक कोविड-19 मरीज हैं।
वेतन भुगतान में देरी को लेकर बिहार में डॉक्टरों की हड़ताल
देश भर में वेतन में देरी और उचित वेतन न मिलने को लेकर डॉक्टर निरंतर विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं।
पिछले महीने बिहार के जूनियर डॉक्टरों ने कोरोना प्रोत्साहन राशि के भुगतान न होने समेत अन्य मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान काम करने वाले इन डॉक्टरों को प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं किया गया था। साथ ही वे मानदेय में वृद्धि को लेकर लगातार प्रदर्शन करते रहे हैं। मानदेय में वृद्धि की मांग को लेकर पीएमसीएच समेत बिहार के सभी मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टरों ने इस वर्ष अक्टूबर महीने में भी कार्य का बहिष्कार कर वृद्धि की मांग की थी। इंटर्न डॉक्टरों का कहना था कि आइजीआइएमएस समेत देश भर के अन्य मेडिकल कॉलेजों के इंटर्न डॉक्टरों को 30-35 हजार रुपये प्रतिमाह मिलते है जबकि हमलोगों को केवल 15 हजार रुपये प्रतिमाह मिलता है। इन डॉक्टरों का कहना था कि सरकार ने पिछले चार वर्षों से मानदेय की समीक्षा नहीं की। उनका कहना था कि आइजीआइएमएस में डॉक्टरों की हड़ताल के बाद तत्काल उनके मानदेय वृद्धि की घोषणा कर दी गई थी। डॉक्टरों का कहना था कि वर्ष2013से इंटर्न डॉक्टरों को केवल 15 हजार रुपये मानदेय मिल रहा है।
ऐसे समय में जब कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं और राष्ट्रीय राजधानी में अस्पताल संक्रमण की तीसरी लहर का सामना कर रहा है वहीं हिंदू राव अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने इस महीने 15 जनवरी तक वेतन व बकाया भुगतान न होने पर हड़ताल पर फिर से जाने की धमकी दी है।
दिल्ली में डॉक्टरों की हड़ताल
उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित कस्तूरबा गांधी अस्पताल और बाड़ा हिंदू राव अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ को भी पिछले साल नवंबर महीने तक तीन महीने का वेतन नहीं दिया गया था जिसके चलते वे हड़ताल पर चले गए थे। आश्वासन मिलने के बाद उन्होंने हड़ताल समाप्त कर दिया था। पिछले साल मार्च महीने में ही उत्तर दिल्ली नगर निगम के डिस्पेंसरी, पॉलिक्लीनिक और हिंदु राव अस्पताल के डॉक्टरों का तीन-चार महीने का वेतन बकाया था जिसके चलते उन्होंने हड़ताल करने का रास्ता अपनाया था। कोरोना की पहली लहर के दौरान भी इन डॉक्टरों के वेतन का भुगतान समय पर नहीं हुआ और कई महीने तक का वेतन बकाया था जिसके चलते उन्होंने अक्टूबर 2020 में हड़ताल की थी। बकाया वेतन के भुगतान की मांग को लेकर उन्होंने जंतर-मंतर पर धरना दिया था।
झारखंड में डॉक्टरों का बकाया वेतन
बकाया भुगतान में देरी के विरोध में पूरे झारखंड के छह मेडिकल कॉलेज के लगभग 800 जूनियर और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में पिछले साल मार्च में ओपीडी का बहिष्कार कर दिया था।
नवंबर 2019 में झारखंड के के पांच मेडिकल कॉलेजों से जुड़े 150 से अधिक सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने तीन महीनों के वेतन का भुगतान न होने ओपीडी और आपातकालीन सेवाओं के बहिष्कार करने की घोषणा की थी।
मध्यप्रदेश के डॉक्टर रहे हड़ताल पर
कोरोना की पहल लहर के दौरान जून 2020 में लोगों के लिए अपनी जान लगा देने वाले मध्यप्रदेश स्थित बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के 67 मे़डिकल ऑफिसर ने तीन महीने के वेतन का भुगतान तथा अन्य मांगों को लेकर हड़ताल कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट की चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने जून 2020 में वेतन भुगतान न होने को लेकर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से कहा था कि युद्ध में आप सैनिकों को दुखी नहीं करते हैं। अतिरिक्त मील की यात्रा करने पर उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए कुछ अतिरिक्त पैसे दें। कोरोना की लड़ाई में शामिल डॉक्टरों के लिए सुविधा की कमी और वेतन भुगतान न होने के लेकर शीर्ष अदालत ने कड़ी टिप्पणी की थी। अदालत ने कहा था कोर्ट को वेतन भुगतान के मामले में शामिल नहीं किया जाना चाहिए और सरकार को इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा था कि ऐसी खबरें आ रही हैं कि कई क्षेत्रों के डॉक्टरों को वेतन नहीं दिया जा रहा है। उसने कहा था कि "हमने कई रिपोर्ट देखी कि डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। दिल्ली में, कुछ डॉक्टरों को पिछले तीन महीनों से भुगतान नहीं किया गया है। ये ऐसी चिंताएं हैं जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए था। इसमें अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।"
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