एडिटर्स गिल्ड, प्रेस क्लब, सीपीजे ने न्यूज़क्लिक पर ईडी की कार्रवाई की निंदा की
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा ऑनलाइन समाचार पोर्टल न्यूज़क्लिक के कार्यालय और उसके मुख्य संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के घर पर 30 घंटे से अधिक समय तक छापेमारी जारी रही। इस बीच न्यूज़क्लिक के समर्थन में बयान जारी किये जा रहे हैं क्योंकि यह पोर्टल ग़रीबों और कमज़ोर वर्ग के विरोध और आंदोलन को आवाज देने के लिए काम कर रहा है जो मुख्यधारा के मीडिया के रडार से दूर हो गए हैं।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, ने बुधवार को जारी किये गए एक बयान में कहा कि स्वतंत्र न्यूज़ वेबसाइट (न्यूज़क्लिक) के कार्यालय और उसके मुख्य संपादक, इसके प्रमोटर, और कुछ वरिष्ठ प्रबंधन अधिकारियों के निवास पर प्रवर्तन निदेशालय के इस छापेमारी से "बहुत चिंतित है"।
उसने आगे अपने बयान में कहा, "हाल के दिनों में न्यूज़ वेबसाइट किसानों के आंदोलन, सीएए विरोधी प्रदर्शन पर अग्रिम पंक्ति में रिपोर्टिंग करता रहा है, और विभिन्न सरकारी नीतियों और कुछ शक्तिशाली कॉरपोरेट घरानों की अपनी रिपोर्टों में आलोचना करता है। सरकारी एजेंसियों द्वारा छापे का इस्तेमाल स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाने के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है।"
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मांग की है कि यह ध्यान रखा जाए न्यूज़क्लिक के समाचार संचालन को कमजोर करने और इस तरह के उपायों की आड़ में उसके पत्रकारों और हितधारकों को परेशान नहीं किया जाए।
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) एशिया चैप्टर ने भी मंगलवार को ट्वीट किया कि, “हम उन ख़बरों से चिंतित हैं जिसमें कहा गया है कि भारत सरकार के प्रवर्तन निदेशालय ने आज न्यूज़क्लिक के कार्यालय पर छापा मारा। हम अधिकारियों से प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान करने का आग्रह करते हैं।''
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने बुधवार को जारी अपने बयान में ''महत्वपूर्ण पत्रकारिता को डराने और चुप कराने के लिए ईडी के छापों को मीडिया पर भद्दा हमला'' करार दिया।
वरिष्ठ पत्रकार आनंद के सहाय (अध्यक्ष) और अनंत बागितकर (सचिव) द्वारा हस्ताक्षरित पीसीआई के बयान में कहा गया है, “इस विशेष समाचार समूह ने किसानों के विरोध को गहराई से कवर किया है, और विशेषकर समाज के गरीब वर्गों पर सरकारी नीतियों की रिपोर्ट में माहिर हैं। एक छोटे, सार्वजनिक, समाचार कंपनी के खिलाफ कथित धन शोधन के आरोप लगाना लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थानों की रक्षा करने का कोई तरीका नहीं है, जिसकी सरकार विशेष रूप से विश्व मंच पर घोषणा करती है।
देश के विशिष्ठ पत्रकारों, और देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थानीय स्तर से रिपोर्ट करने वाले श्रमजीवी पत्रकारों पर भी हमले पर चिंता व्यक्त करते हुए पीसीआई ने कहा कि यह "अफ़सोसजनक रूप से सरकार की पहचान बन गया है।”
"पिछले एक वर्ष में, पत्रकारों के ख़िलाफ़ स्पष्ट रूप से जानबूझकर और झूठे, सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने और देशद्रोह के आरोपों में कई एफआईआर दर्ज की गई हैं।"
पीसीआई ने कहा, "सरकार ने पिछले एक साल में, पत्रकारों पर साम्प्रदायिक विद्वेष और राजद्रोह के झूठे आरोप में उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की हैं।” पीसीआई ने कहा कि "इस तरह के सभी मामलों में अपना विरोध दर्ज करना उसका कर्तव्य है।"
पीसीआई ने यह भी उल्लेख किया कि ऐसे कई मामलों में, जो पत्रकार और “बुटीक पत्रकार समूह” जो सांप्रदायिक एजेंडा को बेनक़ाब करने और जनमानस के मुद्दों पर जमीन पर काम कर रहे हैं उनके खिलाफ कई बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं।
पीसीआई ने कहा सरकार के इस कदम से उसी की ही बदनामी होगी। पीसीआई ने सरकार से आग्रह किया कि मीडिया के खिलाफ "रेड राज और झूठे आरोपों के राज" को समाप्त किया जाए और अभव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाएं जाएं
मंगलवार को, डिजीपब, जो कि डिजिटल समाचार पोर्टलों का एक समूह (न्यूज़क्लिक इसका हिस्सा है) है और दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने भी ईडी के छापे की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया है।
व्यापक समर्थन
न्यूज़क्लिक के कई लेखकों, दर्शकों और पाठकों ने भी एकजुटता के ट्वीट किये हैं। जनआंदोलनों, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, डेटा पत्रकारिता आदि के क्षेत्र में इसके काम की भी सरहाना की है।
एक बयान में, बीकेयू एकता उग्राहन ने न्यूज़क्लिक से कहा "न्यूज़क्लिक जो पिछले दो महीनों से किसान आंदोलन पर बड़े पैमाने पर रिपोर्टिंग कर रहा है, उस पर छापेमारी की हम कड़ी निंदा करते हैं।"
बीकेयू एकता उग्राहन ने अपने बयान में यह भी बताया है कि पोर्टल “परंजॉय गुप्ता ठाकुरता और बोल्ड वीडियो जर्नलिस्ट अभिसार शर्मा और पी साईनाथ जैसे पत्रकारों को मंच प्रदान करता है। उन्होंने आगे कहा "यह देखते हुए कि न्यूज़क्लिक ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के समाचार और विश्लेषण के साथ एक अलग आवाज़ के रूप में खुद को स्थापित किया है। हमारा मानना है कि सरकार ने पिछले कई हफ्तों से वरिष्ठ पत्रकारों के खिलाफ अपनी दमनकारी कार्रवाई को जारी रखा है, तथा उनके खिलाफ ट्विटर और यू-ट्यूब पर उनकी स्वंत्र अभिव्यक्ति पर भी अंकुश लगाया है।”
उग्रहन जो पंजाब के सबसे बड़े किसान संघों में से एक है, उसके महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां ने जारी बयान में कहा, "हमारा संगठन इस तरह की छापेमारी और अन्य दमनकारी गतिविधियों को तुरंत रोकने की मांग करता है। हमारा संगठन ऑनलाइन मीडिया और प्रेस की स्वतंत्रता पर इसे एक गंभीर हमले के रूप में देखता है और इन छापों की कड़ी निंदा करता है।”
बीएसएनएल कर्मचारी यूनियन ने भी ईडी की छापेमारी की निंदा की है। उन्होंने अपने जारी बयान में कहा: "यह और कुछ नहीं है बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता पर एक और हमला है।"
बयान में कहा गया है कि “यह सभी जानते हैं कि न्यूज़क्लिक श्रमिकों और समाज के हाशिए पर रहें वाले वर्गों के मुद्दों को व्यापक तौर पर उठाता आया है। न्यूज़क्लिक लगातार मोदी सरकार द्वारा बीएसएनएल विरोधी नीतियों पर लिखता रहा है। इसके साथ ही उसने बीएसएनएल को बचाने और उसको मज़बूत करने के लिए उनके संघर्षों का लगातार समर्थन भी किया है। किसानों के जारी आंदोलन पर न्यूज़क्लिक ने बड़े पैमाने पर लिखा है। सरकार ने किसानों के संघर्ष का समर्थन करने और सरकार की नीतियों की आलोचना करने के लिए पहले से ही कई पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज की है। सरकार के ये सभी कदम हमें आपातकाल के काले दिनों की याद दिलाते हैं। BSNLEU सरकार के इस कदम की कड़ी निंदा करता है।"
मीडिया, विशेष रूप से स्वतंत्र मीडिया और पत्रकारों पर बढ़ते हमलों के मद्देनजर, मीडिया संगठनों ने भी न्यूज़क्लिक के साथ एकजुटता ज़ाहिर करते हुए बयान जारी किए हैं।
वैज्ञानिक और जलवायु विशेषज्ञ, तेजल कानितकर, जो न्यूज़क्लिक के लिए लेख लिखती हैं, ने ट्वीट कर कहा: “यदि आप @newsclick.in के होमपेज पर जाएं तो आपको पहली तीन कहानियां जो दिखेंगी, वे हैं 1) किसान आंदोलन 2) सफाई कर्मचारी आंदोलन 3) ऐप आधारित श्रमिकों का हाल। कौन सा अन्य न्यूज़ पोर्टल लगातार जनमानस के मुद्दों पर ऐसे काम कर रहा है? अब आप समझ सकते हैं कि छापेमारी किसलिए हुई है।"
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने ED की इस कार्रवाई को स्वतंत्र मीडिया पर एक और हमला बताते हुए अपने बयान में इसकी निंदा है। माकपा ने इसे एक स्वतंत्र न्यूज पोर्टल '' पर दमनकारी हमला कहा है।
"न्यूज़क्लिक ने किसानों के विरोध प्रदर्शनों पर विश्वसनीय और व्यापक कवरेज किया है”, इसके साथ ही पार्टी ने कहा कि “मोदी सरकार केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग स्वतंत्र मीडिया को परेशान करने और चुप कराने के लिए कर रही है।"
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिवालय ने प्रेस की स्वत्रंता पफ हमले को लोकतंत्र पर हमला बताते हुए कहा, "मीडिया और पत्रकारों पर हमले के साथ-साथ, उनके दफ्तरों और घरों पर छापेमारी कर उन्हें डराने-धमकाने की बढ़ती प्रवृत्ति बेहद खतरनाक है।
कई लेखकों, कलाकारों, शिक्षाविदों, फिल्म निर्माताओं और व्यक्तियों ने भी न्यूज़क्लिक के कार्यालय पर ईडी के छापों के साथ हाल ही में हुए वरिष्ठ पत्रकारों पर हमले की कड़ी निंदा की है।
निम्नलिखित द्वारा हस्ताक्षरित बयान में स्वतंत्र ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल, NEWSCLICK पर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा छापेमारी की निंदा की गई। बयान में कहा गया कि यह किसानों के समर्थन में मुखर रहे पत्रकारों और मीडियाकर्मियों जिनमें मृणाल पांडे, राजदीप सरदेसाई, जफर आगा, सिद्धार्थ वरदराजन, मनदीप पुनिया, विनोद जोस, अमन नाथ, परेश नाथ और अन्य कई शामिल हैं, पर हमले के सिलसिले में एक और कड़ी है।
समर्थन में,
A N DAMODARAN, janasamskriti
A.G.K. Menon, architect/urban planner
Aban Raza, artist
Abhilasha Kumari, former director, KIIT University, professor, communication ISID,
Achin Vanaik, retd. professor, Delhi University
Aditi Chowdhury, citizen
Aditya Mukherjee, professor retd., JNU
AGK Menon, architect/urban planner
Ajay K. Mehra, Atal Bihari Vajpayee Senior Fellow, NMML
Ajith Pillai, independent journalist
Albeena Shakeel, former president, JNUSU
Amitabha Pande, IAS retd, former secretary, Government of India.
Amitava Das, artist
Amitava Sanyal, journalist
Anil Bhatti, professor emeritus, JNU
Anil Chandra, activist
Anisha Shekhar Mukherjee, conservation architect and writer
Anita Rampal, educationist
Anuradha Kapur, theatre worker
Archana Prasad, JNU
Aruna Roy & Nikhil Dey, MKSS
Avinash Kumar, assistant professor, JNU
Ayesha Kidwai, JNU
Baankaahi
Badri Raina, author, columnist
Basanta, editor, Tulika Books
Bishnupriya Dutt, JNU
Dhanu Swadi, concerned citizen
Dinesh Abrol, retd scientist, CSIR
Estell Desai, activist
Gautam Mody, general secretary, New Trade Union Initiative
Geeta Kapur, independent art critic and curator
Gigi Scaria, artist
Harsh Mandar, activist, writer
Indira Chandrasekhar, publisher
Indranil Chowdhury, assistant professor, Delhi University
Irfan Habib, professor emeritus, AMU
Jahar Kanungo, filmmaker, writer
Karuna D.W., assistant professor, Azim Premji University
Kausar Wizarat, former assistant professor, NIEPA
Kumar Shahani, independent film maker
Latika Gupta
Lima Kanungo, retd teacher, DU
Lt Col Anuj Srivastava, retd.
M.G. Devasahayam, chairman, People-First
M.K. Raina, actor, theatre director
Madan Gopal Singh, writer, singer
Madhu Prasad, retd. teacher, Delhi University
Madhusree Dutta, filmmaker, curator
Maitrayee Chaudhuri, professor, JNU
Mandira Sen, Director, Stree, Samya
Manini Chatterjee, journalist and author
Maya Krishna Rao, theatre artist
Meera Sanghamitra, National Alliance of People's Movements (NAPM)
MG Devasahayam
Mohan Rao, retd. professor, JNU
Moushumi Basu, JNU
Mridula Mukherjee, professor retd., JNU
N.D.Jayaprakash, social worker
N.K. Sharma, theatre director
Nancy Adajania, cultural theorist and curator, Bombay
Nasir Tyabji,former director, professor, Jamia Millia Islamia
Narayani Gupta, retd. professor, JMI
Navsharan Singh
P. Sainath, journalist
P.K. Shukla, former secretary, ICHR
Padma Velaskar, retd. professor, TISS (Mumbai)
Pamela Philipose, independent journalist
Parthiv Shah, designer, photographer
Prabhat Patnaik, professor emeritus, JNU
Pradip Kumar Datta, retired professor
Puneet Nicholas Yadav, journalist
Pushpamala N, artist
R. Ramakumar
Rajendra Sharma, writer, activist
Rajinder Arora, writer, designer, publisher
Raka Chakravarty, architect
Ram Rahman, designer, photographer
Ramesh Dixit, retd. professor, Lucknow University
Ras Bihari Das, retd., IRTS
Rashmi Doraiswamy, professeer, Jamia Millia Islamia
Rimli Bhattacharya, writer, teacher & translator, University of Delhi
Ritu Menon, publisher
S.N.Sahu
Saeed Mirza, writer, filmmaker
Saif Mahmood, advocate, Supreme Court of India
Sarita Sabiruddin
Shabnam Hashmi, Anhad
Sharmila Samant, artist
Sherna Dastur, designer
Shireen Moosvi, retd professor, AMU
Smita Gupta, independent economist
Sohail Hashmi, writer, filmmaker
Sucheta Mahajan, professor,JNU
Sudhir Chandra, retd, professor
Tejal Kanitkar, associate professor, National Institute of Advanced Studies
Utsa Patnaik, professor emerita, JNU
Valay Singh, writer, journalist
Vivan Sundaram, artist
Zoya Hasan, retd. professor, JNU
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