फ़ैक्ट फाइंडिंग: ‘फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल’ फ़र्ज़ी और प्रायोजित!
बिहार के कई सामाजिक संगठनों, वामपंथी और महागठबंधन के राजनितिक दलों ने ‘फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल’ को फर्जी और मनगढंत बताया है और इसे भाजपा व एनडीए सरकार की 2024 की चुनावी तैयारी कहा है। इन संगठनों के मुताबिक यह सारा खेल सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए है। इसको लेकर सड़कों पर भी आवाज उठाने का सिलसिला भी निरंतर जारी है।
गौरतलब है कि प्रदेश मीडिया द्वारा एकतरफा ढंग से जिस प्रकार सुर्खियों में हर दिन एक स्थायी कॉलम न्यूज़ परोसा जा रहा है, आशंकित करने वाला है। हर दिन की मीडिया ख़बरों से भी जाना-समझा जा सकता है कि किस सुनियोजित ढंग से पूरे मुस्लिम समाज को आतंकी साबित कर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की पुरज़ोर कवायद जारी है।
हाल ही में प्रकाशित अख़बारों के फ्रंट पेज ख़बरों को ही देखा जाय कि- आतंक पर सख्ती, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के मामले में संदिग्धों की तलाश हुई तेज़। बिहार के पांच जिलों में 10 ठिकानों पर एनआईए की छापेमारी, कई आपत्तिजनक दस्तावेज़ बरामद... जैसी सनसनीखेज बातें कही गयी हैं। ख़बरों में यह भी बताया गया है कि- बस में सवार होकर पहुंची स्थानीय सशत्र बल, पुलिस को लेकर छापेमारी करने पहुंची एनआईए की टीम ने राजधानी पटना में दस अभियुक्तों के ठिकानों पर की जांच, मिले कई अहम सबूत। उक्त खबरों में कहीं से भी दूसरे पक्ष या आरोपित व गिरफ्तार किये गए लोगों तथा उनके परिजनों के साथ साथ इस पूरे मामले की विश्वसनीयता को ही चुनौती दे रहे संगठनों-वाम दलों की बातें नहीं की जा रही हैं। बस केंद्रीय गृह मंत्रालय के कतिपय निर्देश से एनआईए द्वारा जारी ख़बरों में ‘मीडिया ट्रायल’ द्वारा सभी ‘संदिग्धों’ को मुजरिम करार दिया जा रहा है।
सनद रहे कि विगत 12 जुलाई को पटना पुलिस द्वारा फुलवारी शरीफ थाना में मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसमें प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रचने तथा ‘पीएफआई व एसडीपीआई’ जैसे विवादास्पद संगठनों से जुड़े लोगों द्वारा फुलवारी शरीफ व कई अन्य स्थानों पर देश विरोधी गतिविधियां संचालित करने और आतंकी साजिश करने का आरोप लगाया गया था। जिसमें 26 नामज़द समेत कई अन्य के खिलाफ आतंकी साजिश करने के लिए जेहादी ट्रेनिंग व टेरर फंडिंग देने जैसे गंभीर आरोप लगाकर यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। जिनमें से अब तक गिरफ्तार सभी पांच लोगों के यहां प्रायः हर दिन उनके घरों पर छापामारी कर परिजनों से लगातार सघन पूछताछ कर उन्हें भयाक्रांत किया जा रहा है।
गृह मंत्रालय से जारी सूचनाओं के अनुसार ‘काउंटर टेररिज्म एंड काउंटर रेडिकलाइजेशन डिविजन’ की ओर से जारी आदेश के बाद इस मामले में कट्टरपंथी संगठन पीएफआई व एसडीएफआई और सिमी की बड़ी भूमिका को देखते हुए एनआईए द्वारा इस केस को अपने हाथों में लेने की बात कही गयी। जिसमें अब तक यूपी, राजस्थान, कर्नाटक और केरल राज्यों समेत पकिस्तान, बांग्लादेश व यमन इत्यादि देशों तक नेटवर्क कनेक्शन होने का दवा किया गया है। साथ ही ‘गजवा ए हिंद’ और ‘मार्खर’ व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से आतंकी मॉड्यूल चलाकर मुस्लिम युवाओं का ब्रेनवॉश करने का आरोप लगाया गया है।
फुलवारी शरीफ़ के स्थानीय माले विधायक गोपाल रविदास ने बताया कि पुलिस द्वारा गुपचुप तरीके से की गयी कार्रवाई के सामने आते ही वे स्थानीय नागरिक समाज के लोगों को लेकर जब प्रभावित इलाकों व घरों में गये तो वहां उन्होंने पाया कि सभी जगहों पर लोगों में पुलिस-प्रशासन का इतना अधिक आतंक छाया हुआ था कि काफी देर तक उनके बुलावे पर कोई भी अपने घर से नहीं निकल रहे थे। काफी देर तक समझाने और आश्वस्त करने के बाद लोग घरों से बहार निकलकर अपनी दर्द सुनाई। जिसे सुनकर उन्होंने तत्काल फुलवारी शरीफ के सदर पुलिस एएसपी से फोन पर बात करने के लिए कई कॉल किए लेकिन उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया। फिर उन्होंने पटना के सीनियर एसएसपी को फोन लगया और तुरंत रिस्पांस मिला तो उन्होंने वहां के लोगों की दहशत-व्यथा बताते हुए अविलंब हस्तक्षेप कर लोगों को भयमुक्त करने की मांग उठाई।
बाद में भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम व कई स्थानीय नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने पुनः वहां का दौरा कर दहशतजदा लोगों व पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गए सभी लोगों के परिजनों के साथ साथ इमारते शरिया के नुमाइंदों से मुलाकात की। साथ ही स्थानीय पुलिस प्रशासन से लोगों को आतंकित किये जाने पर रोक लगाने की मांग की।
किसी सुनियोजित पठकथा के दृश्यों के अनुसार 12 जुलाई से ही गोदी मीडिया ने ‘आतंक की फुलवारी’ व ‘आतंक की पाठशाला’ जैसे संबोधनों से फुलवारी शरीफ के मुस्लिम समाज के लोगों को आतंकवादी साबित करने वाली खबरों की मुहिम छेड़ रखी है। गौरतलब है कि किसी भी खबर के लिए स्रोत पुलिस-प्रशासन को बताया जा रहा है।
19 जुलाई को इंसाफ मंच बिहार, ऑल इंडिया पीपल्स फोरम व भाकपा माले के वृहत जांच टीम ने एक बार फिर से पुलिस-प्रशासन व मीडिया द्वारा दुष्प्रचारित किये गए मुस्लिम मुहल्लों, घरों व गिरफ्तार लोगों के परिजनों से जाकर मुलाक़ात की। भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, युवा विधायक संदीप सौरभ व स्थानीय माले विधायक गोपाल रविदास तथा भाकपा माले राज्य सचिव इत्यादि के नेतृत्व में गयी इस जांच टीम ने सभी विवादित इलाकों के स्थानीय निवासियों से मिलकर पूछताछ की। उक्त जांच टीम को ऐसा कोई सबूत-सूत्र नहीं मिला जैसा पुलिस और मीडिया ने दावा कर रखा था।
अलबत्ता एक हैरानी भरी जानकारी ये मिली कि जिस मुस्लिम युवा का मोबाइल जब्त कर पुलिस ने उस पर ‘गजवा ए हिंद’ व्हाट्सएप ग्रुप चलाकर कई देश के कई राज्यों व विदेशों में आतंकी कनेक्शन का गंभीर आरोप लगया है वह युवक मानसिक रूप से बीमार है। जिसका इलाज़ फुलवारी शरीफ स्थित एम्स से कराए जाने संबंधी सभी कागज़ात उसके परिजनों ने दिखाए। उन्होंने यह भी कहा कि जब पुलिस छापेमारी कर उनके बच्चे को गिरफ्तार करने पहुंची तो उन्हें भी इलाज़ के सारे कागज़ात दिखाकर बताया गया कि उनके बच्चे की दिमागी हालत ऐसी है कि वह अपने घर से भी जब बाहर निकलता है तो वापसी में अपना घर नहीं पहचान पाता है और इधर उधर भटकने लगता है।
जांच टीम के सदस्यों ने फुलवारी शरीफ के एएसपी से मुलाक़ात कर जानना चाहा कि पुलिस ने जो आरोप लगाए हैं उसके पुख्ता सबूत क्या हैं? तो उन्होंने बताने से साफ इनकार कर दिए। उनसे यह भी पूछा गया कि जब सभी आरोपितों को ‘संदिग्ध व संदेह के आधार पर’ गिरफ्तार व पूछताछ की जा रही है तब मीडिया में पूरे फुलवारी शरीफ और वहां के मुस्लिम समाज के लोगों को आतंकी करार देने की ख़बरें हर दिन कैसे दी जा रही है। इसके जवाब में उन्होंने जब टालमटोल करना चाहा तो सख्ती से कहा गया कि- वे फ़ौरन मीडिया ट्रायल और दुष्प्रचार पर रोक लगाएं।
उसी दिन फुलवारी शरीफ में प्रेस वार्ता के जरिये सभी सामाजिक संगठनों व भाकपा माले की संयुक्त जांच टीम के प्रतिनिधियों ने रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए ‘फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल’ प्रकरण को पूरी तरह से फर्जी करार देते हुए इससे भाजपा प्रायोजित बताया। नीतीश कुमार सरकार से इस मामले में अपनी चुप्पी तोड़ने की मांग करते हुए भाजपा द्वारा 2024 की चुनावी तैयारी के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए फुलवारी शरीफ के मुसलमानों को निशाना बनाए जाने का ज़ोरदार विरोध किया।
उक्त मामले को लेकर इंसाफ़ मंच, एआईपीएफ़ व भाकपा माले ने 21 से 23 जुलाई तक राज्यव्यापी नागरिक प्रतिवाद अभियान संगठित किया। जिसके तहत जगह जगह विरोध-मार्च व प्रदर्शनों के जरिए मांग की गयी कि- फुलवारी शरीफ के मुस्लिम समुदाय के लोगों को आतंकवादी व देशद्रोही कहकर बदनाम व प्रताड़ित करना बंद करो! इस मामले पर नीतीश कुमार सरकार अपनी चुप्पी तोड़ो! फुलवारीशरीफ के गिरफ्तार लोगों पर आतंकवाद के आरोप के ठोस सबूत सामने लाओ! सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की भाजपाई साजिश नहीं चलेगी!
उक्त संदर्भ में नीतीश कुमार सरकार की चुप्पी को देखते हुए भाकपा माले ने मुख्यमंत्री को विशेष पत्र लिखकर मांग उठायी कि- अविलंब वे अपने स्तर से इस पूरे मामले को देखें। कुछेक संदिग्ध घटनाओं के आधार पर पूरे मुस्लिम समुदाय व फुलवारी शरीफ को बदनाम किया जा रहा है। पुलिस प्रशासन व मीडिया द्वारा किए जा रहे अनर्गल, झूठ और नफरत फैलानेवाली ख़बरों के कारण पूरा मुस्लिम समाज खौफ में जी रहे हैं।
महागठबंधन के मुख्य दल राजद और उसके प्रवक्ता ने भी भाजपा व बिहार सरकार के इस मुस्लिम विरोधी कृत्य का तीखा विरोध किया है। उन्होंने भी इस मामले को भाजपा द्वारा 2024 कि चुनावी तैयारी का सांप्रदायिक हथकंडा करार देते हुए फ़ौरन रोकने की चेतावनी दी है।
फिलहाल की स्थिति यही है कि बिहार की राजधानी पटना से सटा फुलवारी शरीफ जो अब तक आम नागरिक समाज के आपसी भाईचारगी, अमन और आपसी मिल्लत वाला इलाका माना जाता रहा है। इन दिनों भाजपा संचालित ‘मीडिया ट्रायल’ के जरिए ‘आतंक की फुलवारी’ और ‘आतंक की पाठशाला’ जैसे संबोधनों के साथ ‘टेरर मॉड्यूल’ का लेटेस्ट संस्करण बताए जाने से काफी आहत और दहशतज़दा है। लेकिन व्यापक धर्मनिरपेक्ष ताक़तों, सामाजिक व नागरिक संगठनों के साथ साथ भाकपा माले और महागठबंधन दलों ने भी एक स्वर से ऐलान कर दिया है कि भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे को इस बार बिहार में प्रभावी नहीं होने देंगे।
चर्चा है कि आगामी 7 अगस्त को ‘अगस्त क्रांति दिवस’ पर महागठबंधन द्वारा किये जाने वाले राज्यव्यापी अभियान में भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा।
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