पिता के यौन शोषण का शिकार हुई बिटिया, शुरुआत में पुलिस ने नहीं की कोई मदद, ख़ुद बनाना पड़ा वीडियो
बिहार की राजधानी पटना से 86 किलोमीटर और देश की राजधानी दिल्ली से 1186 किलोमीटर दूर, मिथिला के प्रवेशद्वार समस्तीपुर में एक पीड़ित लड़की ने खुद अपने पिता की गंदी करतूत का वीडियो बनाया और फिर उसे थाने लेकर पहुंची। साथ ही उसने अपने दोस्तों को भी ये वीडियो भेजी। पीड़ित की शिकायत के बाद पुलिस ने गुरुवार को 50 वर्षीय आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन पीड़िता को अपने ही पिता की वीडियो बनाने पर मजबूर किसी और ने नहीं बल्कि बिहार के प्रशासन की उपेक्षा और लापरवाही ने ही किया।
शिकायत लेकर पहुंची तो पहले पुलिस ने भगा दिया
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीड़िता ने आरोप लगाया है कि, उसके 50 वर्षीय पिता रोज उसके साथ गंदी हरकतें करते थे। उसके पिता पेशे से शिक्षक हैं। जब इस बात की शिकायत उसने मां से की तो मां ने उसे ही इन सारी चीजों के लिए जिम्मेदार ठहराया। जिसके बाद उसके पिता लगातार उसके साथ बलात्कार करते रहे।
जब मां की ममता की छांव भी उसे नहीं मिली तो हिम्मत जुटाकर पीड़िता अपनी शिकायत लेकर रोसड़ा थाने पहुंची। वहाँ पुलिस वालों ने मदद करने की बजाय पीड़िता को ही भगा दिया। साथ ही पीडि़ता ने महिला हेल्प डेस्क पटना के नंबर पर इससे संबंधित शिकायत दर्ज कराई थी। वहां से भी कोई रिस्पांस नहीं मिला। जिसके बाद पीड़िता ने हिम्मत जुटाकर पिता के कुकृत्य का वीडियो बनाकर वायरल कर दिया।
पुलिस महकमे का क्या कहना है?
न्यूज़क्लिक ने जब रोसड़ा थाने से बात करने की कोशिश की तो इस मुद्दे पर खामोशी छाई रही। वहीं रोसड़ा एसडीपीओ सहरियार अख्तर ने मीडिया से कहा कि "आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया गया है। उससे पूछताछ चल रही है। वारदात में अगर और भी लोग शामिल होंगे तो उन पर भी कार्रवाई की जाएगी। वीडियो में दिख रही युवती ही थाने पहुंची थी। जिसकी शिकायत के आधार पर आरोपी पिता को गिरफ्तार किया गया।"
शिक्षक के साथ पुरोहित के नाम को भी किया कलंकित
वहीं स्थानीय पत्रकार संजय झा के मुताबिक, "शिकायत के बाद लड़की के मामा पीड़िता को अपने घर ले गए। पीड़िता पर दबाव बनाया जा रहा हैं कि वो वीडियो को एडिट किया हुआ बताए और पिता के खिलाफ दी गई शिकायत वापस ले ले। लेकिन जन आंदोलन की वजह से पुलिस खामोश है। बता दूं कि संबंधित वीडियो वायरल होने के करीब 20 घंटे बाद रोसड़ा पुलिस हरकत में आई थी। पीड़िता का आरोपी पिता और उसकी पत्नी स्थानीय संस्कृत विद्यालय में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। पिता शहर के दर्जनों घरों में पूजा-पाठ कराने के साथ-साथ कई मंदिरों में भी पूजन अनुष्ठान कराता था। उसने शिक्षक के साथ-साथ पुरोहित के नाम को भी कलंकित कर दिया।"
नीतीश के सुशासन का दावा कितना सही?
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार और केवल सच के संपादक बृजेश मिश्रा बताते हैं कि "एक पीड़ित द्वारा खुद के रेप की वीडियो बनाने के बाद, बिहार की कानून व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। नीतीश अक्सर अपराध के सवालों पर कहते हैं कि '2005 से पहले क्या स्थिति थी?' लेकिन एनसीआरबी डाटा कहता है कि अपराध के लिए बदनाम बिहार में क्राइम के आंकड़े जरुर कम हुए हैं। मगर भीड़ हिंसा और लूटपाट के मामलों में बिहार की हालत पहले जैसी ही है। मर्डर के मामले में बिहार दूसरे नंबर पर है। बाकी जो कसर बची थी वह शराबबंदी ने निकाली है।"
चर्चित पुलिस अधिकारी के क्षेत्र में भी अपराध कम नहीं
सहरसा शहर के युवा वकील कुणाल कश्यप न्यूज़क्लिक को बताते हैं- "हमारे शहर की एसपी जानी-मानी आईपीएस लिपि सिंह हैं। हमारे आइजी देश के चर्चित पुलिस अधिकारी शिवदीप लांडे हैं। इसके बावजूद शहर का अखबार लूट हत्या और चोरी से भरा रहता है। ऐसा कोई भी दिन नहीं गुजरता जहां चंद रुपयों की खातिर खून नहीं बहता। शहर की गलियां कोरेक्स और दारू बेचने से प्रसिद्ध हो रही हैं।"
एडीजी (सीआईडी) की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में 2020 की तुलना में ज्यादा क्राइम हुआ है। जहां हत्या के मामले में सहरसा दूसरे नंबर पर था। जबकि सीमांचल का शहर अररिया पहले नंबर पर।
सहरसा शहर में हाल में हुई हत्या
शराबबंदी से अपराध में कमी का दावा
सुपौल की गैर लाभकारी संस्था ग्राम विकास परिषद कई दिनों से शराब बंदी के खिलाफ आंदोलन चला रही है। ग्राम विकास परिषद की हेमलता पांडे बताती हैं कि, "शराबबंदी 'जीविका दीदियों' और महिलाओं की ही मांग थी। शुरुआत में यह मांग और कानून सही दिशा में काम कर रहा था। लेकिन वक्त के साथ-साथ शराब घर-घर बिकने लगा। कोरेक्स और गाँजे का सेवन ज्यादा होने लगा।"
आँकड़ों की मानें तो भारत में महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले कुल अपराधों में बिहार का प्रतिशत 2016 में घटकर 4 फ़ीसदी हुआ था लेकिन वक्त के साथ 2019 में फिर बढ़कर 4.6 फ़ीसदी पर पहुंच गया।
सरकार की बालू व शराब नीति से बढ़ रहा अपराध
नीतीश सरकार की बालू और शराब नीति से अपराध और अपराधियों का मनोबल राज्य में बढ़ता जा रहा है। इस बात पर हिदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी सहमति जता चुके हैं। भाकपा सुपौल के नेता और जेएनयू के पूर्व छात्र नरेंद्र यादव बताते हैं कि "नीतीश सरकार की बालू और शराब नीति से अपराध और अपराधियों का मनोबल राज्य में बढ़ता जा रहा है। बालू और शराब की वजह से पूरा बिहार बर्बाद हो रहा है। राज्य में हो रहीं तमाम हत्याएँ देखकर पता चल जाएगा कि बिहार को दारु तस्कर और शराब तस्कर चला रहे हैं।"
क्या बिहार में नीतीश का इकबाल खत्म हो गया?
एम.एल.टी विश्वविद्यालय, सहरसा के प्रोफेसर शशि झा बताते हैं- "नीतीश कुमार का पहला शासनकाल सुशासन का पर्यायवाची बना। लेकिन जब से नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ दूसरी बार गठबंधन करके 2017 में सरकार बनाई है, स्थितियां बदल गई हैं। एनसीआरबी की ओर से साल 2020 में जारी आंकड़ों के मुताबिक 2018-2020 के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक दंगों के कुल 1,807 मामले दर्ज किए गए हैं। जिसमें बिहार में सबसे अधिक यानी 419 सांप्रदायिक दंगे के मामले दर्ज किए गए हैं। बिहार में अपराध के बढ़ते ग्राफ को देखकर तो यही लगता हैं कि बिहार में नीतीश का इकबाल खत्म हो गया है।"
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