हिमाचल: दर्दनाक हादसे में दो मज़दूरों की मौत; सीटू ने कंपनी प्रबंधन को ठहराया ज़िम्मेदार!
रविवार 25 दिसंबर को जब पूरी दुनिया क्रिसमस मना रही थी तब उसी समय हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक दर्दनाक हादसे में दो मज़दूर की मौत हो गई। हमीरपुर के थाना क्षेत्र नादौन के अंतर्गत धौलासिद्ध प्रोजेक्ट साइट में दो मजदूरों की पानी में डूब जाने से असमय मौत हो गई है। मृतकों की पहचान रमेश चंद (41) पुत्र मूलाराम निवासी सलूणी क्षेत्र के खदर गांव तथा घनश्याम (43) पुत्र नरेश कुमार निवासी सलूणी क्षेत्र के सरड गांव के तौर पर हुई है।
ये कोई पहली ऐसी घटना नहीं है। इससे कुछ समय पहले भी इसी तरह के दो मजदूरों की डूबने से मौत हो गई थी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रमेश और घनश्याम रविवार दोपहर बाद कपड़े धोने के लिए प्रोजेक्ट के चेक डैम से करीब डेढ़ सौ मीटर आगे गए थे। यहां काफी मात्रा में पानी ठहरा हुआ है। पानी में एक चट्टान पर जब यह कपड़े धो रहे थे तो अचानक एक का पैर फिसला और वह पानी में डूब गया। दूसरे ने जब उसे बचाने के लिए शोर मचाया तो उसका भी पैर फिसला और वह भी पानी में समा गया।
अंधरे के चलते रोकी तलाश
मज़दूर संगठन सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने हमीरपुर जिले की निर्माणाधीन धौलासिद्ध बिजली परियोजना में दो मजदूरों घनश्याम व रमेश के पानी में डूबने से हुई मौत होने पर गहरा शोक व्यक्त किया है। सीटू ने मांग की है कि उक्त घटनाक्रम के लिए एसजेवीएन व रित्विक कंपनी के प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। सीटू ने मांग की है कि मृतक मजदूरों के परिवार को 25 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने उक्त घटनाक्रम के लिए एसजेवीएन व ऋत्विक कंपनी के प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। जिन दो मजदूरों की पानी में डूबने से मौत हुई है वे दोनों अपने कपड़े धोने के लिए ब्यास नदी के रुके हुए पानी के पास गए थे। कंपनी साइट पर पानी की सुविधा न होने के कारण इन मजदूरों को मजबूरन कपड़े धोने के लिए नदी किनारे जाना पड़ा, जहां कपड़े धोते हुए एक मजदूर का पांव फिसल गया व वह नदी में डूबने लगा। इस मजदूर की जान बचाने के लिए दूसरे मजदूर ने पानी में छलांग लगा दी जिसके कारण दोनों मजदूरों की असामयिक मौत हो गई। अगर एसजेवीएन व ऋत्विक कंपनी ने कार्यस्थल पर पानी की उचित व्यवस्था की होती तो इन मजदूरों को कपड़े धोने के लिए नदी किनारे नहीं जाना पड़ता व इनकी जान न जाती। यह सब मुख्य नियोक्ता व ठेकेदार कंपनी की गैर कानूनी कार्यप्रणाली व लापरवाही के कारण हुआ है। इसलिए इन दोनों के प्रबंधन के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए।
सीटू के राज्य महासचिव प्रेम गौतम ने मांग की है कि इन मजदूरों की असामयिक मौत को देखते हुए इनके परिवारों को 25 लाख रुपए प्रति मजदूर आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए। यह घटनाक्रम मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में हुआ है इसलिए उन्हें इसका तत्काल कड़ा संज्ञान लेना चाहिए। केंद्र व राज्य के श्रम विभागों को तुरंत हस्तक्षेप करके धौलासिद्ध परियोजना में श्रम कानूनों की पालना करवानी चाहिए व मजदूरों को बुनियादी सुविधाएं दिलानी चाहिए। प्रबंधन द्वारा श्रम कानूनों को लागू न करने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लानी चाहिए। इस परियोजना में मजदूरों के रहने, खाने व पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की हालत दयनीय है। परियोजना में मजदूरों को न्यूनतम वेतन, ओवरटाइम वेतन, छुट्टियां, मेडिकल, ईपीएफ, आई कार्ड,सुरक्षा उपकरण आदि कानूनी सुविधाएं तक नसीब नहीं हो रही हैं व श्रम विभाग मौन है। श्रम विभाग की लापरवाही व कम्पनियों से मिलीभगत के कारण ही इन दो मजदूरों को अपनी जान देनी पड़ी। अगर कार्यस्थल पर पानी की सुविधा होती तो यह हादसा किसी भी सूरत में न होता। इस हादसे के लिए प्रबंधन व श्रम विभाग ही पूर्णतः जिम्मेदार हैं।
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