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अलीपुर अग्निकांड: ‘मज़दूरों के जीवन से कब तक होगा खिलवाड़’

दिल्ली के संयुक्त ट्रेड यूनियन प्रतिनिधिमंडल ने अलीपुर स्थित पेंट फैक्ट्री का दौरा किया। दौरे के बाद प्रतिनिधिमंडल ने अपनी फाइंडिंग्स सबके सामने रखीं।
CITU Leaders

दिल्ली के अलीपुर में 15 फरवरी की शाम को रिहायशी इलाक़े में अवैध रूप से चल रही एक पेंट फैक्ट्री में भीषण आग लग गईं जिसमें 11 लोग झुलस गए और उनकी मृत्यु हो गई, इसके अलावा कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए। बीते कुछ समय में देश और दिल्ली में इस तरह के हादसों में बढ़ोतरी देखने को मिली है।

11 मृत लोगों में एक फैक्ट्री मालिक और बाक़ी 10 मज़दूर थे और सभी मज़दूर बेहद ग़रीब थे जिनके परिवारों के सामने रोज़ी-रोटी और बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का संकट खड़ा हो चुका है।

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17फरवरी को दिल्ली के संयुक्त ट्रेड यूनियन प्रतिनिधिमंडल ने अलीपुर स्थित ओम संस पेंट एंड केमिकल फैक्ट्री व क्षेत्र का दौरा किया। प्रतिनिधिमंडल ने कारखाना स्थल, आस-पास के घरों, दुकान, मृतक मज़दूरों के परिजनों से मिलकर कुछ महत्वपूर्ण बिंदु एकत्रित किए। इसके बाद प्रतिनिधि मंडल के सभी सदस्य अलीपुर थाना अध्यक्ष, DM से मिले और ज्ञापन सौंपा।

इस प्रतिनिधिमंडल में सीटू से सिद्देश्वर शुक्ला, हरपाल त्यागी, हरेराम शर्मा, ऐक्टू से सुरेन्द्र पंचाल, मुन्ना यादव, आकाश भटटाचार्य, यश जैन, ए.आई.यू.टी.यू.सी से मैनेजर चैरसिया, एल.पी.एफ. से आरके मौर्य, अधिवक्ता वर्तिका त्रिपाठी, ऐपवा से श्रेया कपूर शामिल रहे।

ट्रेड यूनियन के नेताओं ने एक बात स्पष्ट तौर पर कहा कि "इस हादसे को टाला जा सकता था लेकिन सरकारी विभागों की लापरवाही ने 10 मज़दूरों की जान ली है।" इसके साथ ही सवाल पूछा कि "कब तक मज़दूरों की जान जोखिम में डालकर उनके जीवन से खिलवाड़ होता रहेगा?”

जांच टीम ने फाइंडिंग्स सबके सामने रखीं:

• कारखाना गैरकानूनी तरीके से रिहायशी बस्ती में 5 वर्ष से चल रहा था। कारखाने के मालिक अखिल जैन, सोनीपत, हरियाणा के निवासी हैं।

• कारखाने में प्रतिबंधित रसायन का इस्तेमाल होता था। आग लगने का मुख्य कारण वेल्डिंग कार्य के दौरान वहां मौजूद केमिकल में आग पकड़ना रहा।

• ब्लास्ट व उसके बाद लगी आग इतनी भीषण थी कि उसने न केवल अपने कारखानें, व उसमें     कार्यरत 10 श्रमिकों व एक मालिक को चपेट में ले लिया बल्कि आस-पास के 10-12 मकान व दुकान को भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया।

• कारखाने में 10 से अधिक श्रमिक कार्यरत थे परंतु मालिक ने खतरनाक काम होने के बावजूद ई.एस.आई. लागू नहीं की थी।

• कारखाना सुरक्षा मानकों, एंट्री-एग्ज़िट पॉइंट, आपात स्थिति में विशेष द्वार, खिड़की व सीढ़ियों का पर्याप्त मात्रा में चौड़ा न होना इत्यादि का भी उल्लघंन कारखाना मालिक कर रहे थे।

• रिहायशी इलाक़े में दिल्ली नगर निगम ने कैसे इस प्रकार प्रतिबंधित कार्य करने की अनुमति दी गई?

• श्रम विभाग, दिल्ली सरकार, ई.एस विभाग, केंद्र सरकार सरेआम उल्लघंन को बढ़ावा देकर सभी श्रमिकों की जान के साथ खिलवाड़ होने दे रहे थे।

• मुख्यमंत्री केजरीवाल का दौरा व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का दौरा श्रमिकों के साथ धोखा व मजाक है क्योंकि पिछले वर्ष 13 मई 2023 को मुंडका में हुई इसी प्रकार की घटना के बाद भी दिल्ली व केंद्र सरकार ने इस प्रकार की घटना की रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। श्रमिकों की इस असमय मौत के ज़िम्मेदार दिल्ली सरकार व केंद्र सरकार में बैठे राजनेता व आला अधिकारी हैं।

• प्रस्तावित नए लेबर कोड में भी सरकारें कारखाना अधिनियम को कमजोर करते हुए श्रमिको की   कार्यस्थल पर सुरक्षा के विषय पर खिलवाड़ कर रही है, उन्हें नर्क में धकेल रही है।

ट्रेड यूनियन के नेताओं ने कुछ मांगें भी रखीं:

* दोषी मालिक के साथ ही दोषी संबंधित अधिकारी जिनकी लापरवाही की वजह से बार-बार दुर्घटना हो रही हैं, उन पर 302 का मुकदमा दर्ज कर सख्त सजा दी जाए। केंद्र व दिल्ली सरकार के श्रम मंत्री को इस घटना की ज़िम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दें।

* मृतक के आश्रितों को 25-25 लाख रूपये मुआवजे की राशि सरकार द्वारा दी जाए। पड़ोस में हुए क्षतिग्रस्त मकान एवं दुकान मालिकों को भी उचित मुआवजा दिया जाए।

* भविष्य में ऐसी दुर्घटना न हो इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं। कारखाना अधिनियम के तहत सुरक्षा प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाए। रिहायशी बस्ती में खतरनाक उद्योग पर प्रतिबंध सख्ती से लागू किया जाए।

* श्रमिकों की जान के साथ खिलवाड़ करने वाले नए लेबर कोड तुरंत रद्द किए जाएं।

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