झारखंड: स्वास्थ्य विभाग के अनुबंध कर्मियों का विरोध प्रदर्शन शुरू, अनिश्चितकालीन हड़ताल और आमरण अनशन की तैयारी
झारखंड में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत अनुबंध पर काम कर रहे हजारों स्वास्थ्य कर्मियों ने नियमितीकरण और समायोजन को लेकर एक बार फिर राज्य की हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न समूह में सेवा दे रहे इन अनुबंध कर्मियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए आज 16 जनवरी को सीएम आवास के घेराव की योजना बनाई थी। हालांकि पुलिस द्वारा इसे बीच में ही रोके जाने के बाद सभी प्रदर्शनकारियों ने राजभवन के पास धरना देते हुए कल, 17 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल और आमरण अनशन का आह्वान किया है।
बता दें कि राज्य में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत अनुबंध पर काम कर रहे हजारों स्वास्थ्यकर्मी साल 2015 से ही आंदोलनरत हैं। बार-बार विभाग और सरकार के आश्वासन के बाद इस आंदोलन को स्थगित कर दिया गया। लेकिन इस वक्त सत्ता पर काबिज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने चुनावी वायदे में इन सभी कर्मचारियों को नियमित करने की बात प्रमुखता से रखी थी। खुद मुख्यमंत्री सोरेन ने मंच से इन अनुबंधित स्वास्थ्य कर्मियों के आगे से 3 महीने के भीतर अनुबंधित हटाने का वादा किया था। ऐसे में इन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार द्वारा तीन महीने का वादा तीन साल में भी पूरा नहीं किया गया है। जिसके चलते मजबूरन इन स्वास्थ्य कर्मियों को बार-बार सड़कों पर उतरना पड़ रहा है।
सरकार को स्वास्थ्य कर्मियों की ज़िंदगी से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता
झारखंड के कोने-कोने से आए आंदोलन में शामिल प्रदर्शनकारियों ने न्यूज़क्लिक को बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों के भरोसे ही राज्य की चिकित्सा व्यवस्था निर्बाध रूप से चलती है, लेकिन सरकार को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की इन स्वास्थ्य कर्मियों की जिंदगी कैसे चल रही है। प्रदर्शनकारियों के मुताबिक वर्तमान सरकार ने तीन महीने में अनुबंध कर्मियों के समायोजन का वादा किया था। लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की गई है, जिसके चलते हजारों अनुबंध कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर हैं। इनकी मांग है कि पांच लोगों की कमेटी मुख्यमंत्री से मिले और अपनी बात रखे।
झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मी संघ और एएनएम/जीएनएम संघ के संयुक्त बैनर तले हुई एक प्रेस वार्ता में महासचिव जूही मिंज ने कहा कि पुलिस ने मुख्यमंत्री आवास से पहले प्रदर्शन को रोकने की कोशिश की, लेकिन जब आंदोलन कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने आगे बढ़ने की कोशिश की तो इसमें पुलिस ने बल का प्रयोग किया, जिसके चलते इस प्रदर्शन में उनके कुछ साथी घायल हो गए हैं, वहीं एक साथी के पैर में गंभीर चोट आयी है।
जूही मिंज के अनुसार विकट परिस्थितियों में भी इन अनुबंधकर्मियों ने सरकार के द्वारा चलाई जा रही तमाम योजनाओं को सफल किया है। महामारी के दौरान भी फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में काम करते हुए अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है लेकिन इतनी मेहनत और जान पर खेलने के बावजूद भी ये लोग अल्प मानदेय में काम करने को मजबूर हैं, सही से अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए अब ये आंदोलन करो या मरो के तर्ज पर आगे बढ़ेगा।
वेतन भी कम है और समय से मिलता भी नहीं
न्यूज़क्लिक को एक प्रदर्शनकारी विनोद कुमार ने बताया कि वे लोग बार-बार सरकार से अपनी मांगों को लेकर गुहार लगा चुके हैं, लेकिन सरकार अभी तक चुप्पी साधे बैठी है। मौजूदा आंदोलन की सूचना भी सरकार को हफ्तों पहले दे दी गई थी, बावजूद इसके सरकार की ओर से कोई एक्शन या आश्वासन नहीं हुआ।
विनोद कुमार कहते हैं, “हमारी सैलरी भी समय से नहीं आती, जिसके चलते हमें अनगिनत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। काम में भी बहुत दिक्कतें है, बिना सुविधाओं के हम लोग काम चला रहे हैं। बैंक लोन भी नहीं देता, क्योंकि सैलरी कब आएगी इसका कोई निश्चित समय ही नहीं है। लेकिन सरकार और नेताओं का क्या है, हमारे नाम पर वोट लेते हैं और फिर हमें ही भूल जाते हैं।"
एक अन्य प्रदर्शनकारी नर्स सीमा टोप्पो भी अपनी समस्याएं बताते हुए कहती हैं, "आजकल 10 हज़ार में क्या होता है। लेकिन हम लोगों को सालों से 10 हज़ार ही दिया जा रहा था। अभी हाल ही में पिछले प्रदर्शन के बाद 14 हज़ार हुआ, लेकिन वो भी कभी समय से नहीं मिला। कभी 3 तो कभी 4 महीने बाद मिलता है ये पैसा। ऐसे में घर कैसे चलाएं। बहुत बुरी हालत है हम लोगों की। कोरोना के समय हमें काम के लिए सिर्फ सर्टिफिकेट दे दिया, अब उस सर्टिफिकेट से थोड़े गुजारा चलेगा, पैसा चाहिए हम लोगों को, हमारी मेहनत का।"
गौरतलब है कि प्रदर्शन में शामिल सभी नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ यहां कई सालों से काम कर रहा है। इस आंदोलन में स्वास्थ्य विभाग के अनुबंध कर्मी जिसमें फार्मासिस्ट, एक्सरे टेक्नीशियन, एएनएम, जीएनएम, लैब टेक्नीशियन आदि भी शामिल हैं, जो दशकों से यहां नौकरी कर रहे हैं और फिलहाल कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। कई लंबे घंटो की ड्यूटी के बाद भी वो अपने परिवार का पेट भर पाने में समर्थ नहीं हैं। कई कोरोना के समय पॉजिटिव होने के बाद से लगातार बीमारियों के इलाज के बिल से परेशान हैं, तो कई ऐसे हैं जो कर्ज के सहारे अपनी जिंदगी काट रहे हैं। ऐसे में स्थायीकरण ही इनकी एकमात्र मांग हैं। ये चाहते हैं कि पांच लोगों की कमेटी मुख्यमंत्री से मिले और अपनी बात रखे, जिससे इनकी समस्या जल्दी हल हो सके।
(फ़ोटो साभार सोशल मीडिया)
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