झारखंड-बिहार: BJP–JDU मुज़फ़्फ़रपुर कांड पर ख़ामोश क्यों
कोलकाता में हुए बर्बर-काण्ड के ख़िलाफ़ ‘बेख़ौफ़ आज़ादी’ का आंदोलन व्यापक जन अभियान का स्वरूप लेता जा रहा है। जो हर दिन डॉक्टरों-स्वास्थ्यकर्मियों के अलावा सड़कों पर निरंतर उमड़ रहे छात्राओं-छात्रों-युवाओं के तीखे प्रतिवाद कार्यक्रमों के साथ साथ देश भर के महिला व सामाजिक जन संगठनों, नागरिक संगठनों तथा वाम व अन्य राजनीतिक दलों के जारी विरोध अभियानों से मुखर अभिव्यक्त हो रहा है।
विडम्बनापूर्ण दुर्भाग्य है कि उक्त अमानवीय काण्ड के बाद उत्तराखंड, यूपी और बिहार के मुजफ्फरपुर में भी महिला के साथ बर्बरता ढाते हुए दुष्कर्म-हत्या काण्ड घटित हो चुके हैं।
इसके खिलाफ पूरे देश के कई इलाकों के साथ साथ झारखंड प्रदेश की राजधानी रांची समेत कई जिलों के कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों पर विरोध प्रदर्शित कर महिलाओं पर यौन हिंसा-हमले अविलम्ब रोकने, दोषियों को अविलम्ब गिरफ्तार कर जल्द से जल्द कड़ी सज़ा देने, कार्यस्थल पर महिलाओं कि पूर्ण सुरक्षा देने, वर्मा कमिटी रिपोर्ट की अनुशंसाओं को लागू करने, सभी कार्यस्थलों पर GSCASH लागू करने समेत पीड़िताओं को त्वरित न्याय और उचित मुआवजा देने इत्यादि मांगें की गयीं।
लेकिन दूसरी ओर, सत्ता- राजनीति के गलियारे में सत्ता पर काबिज़ कतिपय राजनीतिक दलों द्वारा ऐसे मुद्दे पर भी की जा रही “राजनीति” बेहद शर्मनाक कही जायेगी। जिसमें वे सिर्फ वहीं चिल्ला-चिल्लाकर विरोध कर रहें हैं जहाँ विपक्षी दलों की सरकारें हैं लेकिन जहाँ खुद उनकी सरकार है, झट से चुप्पी साध ले रहें है।
मसलन, कोलकाता-कांड पर पूरे पश्चिम बंगाल की सरकार को घेरने में अपनी पूरी ताक़त झोक देने वाली भाजपा, बिहार के मुज्जफरपुर में दलित बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म-हत्याकांड पर पूरी तरह से चुप है। इसी के सुर में सुर मिलाकर सत्ताधारी जदयू भी खामोश है।
सनद हो कि गत 9 अगस्त को कोलकाता में हुए बर्बर-जघन्य काण्ड के तीन दिन बाद ही 12 अगस्त को मुजफ्फरपुर में दलित बच्ची के बर्बर दुष्कर्म-हत्याकाण्ड हुआ था। महिलाओं पर बढ़ती यौन हिंसा के ख़िलाफ़ बिहार में जारी विरोध प्रदर्शनों के फोकस मुद्दे में अब यह काण्ड भी शामिल हो गया है।
18 अगस्त को भाकपा माले , अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन और इन्साफ मंच इत्यादि के संयुक्त आह्वान पर हुए राज्यव्यापी विरोध अभियान के माध्यम से “मुजफ्फरपुर-काण्ड” पर भाजपा-जदयू की चुप्पी को शर्मनाक बताया गया।
राज्यव्यापी प्रतिवाद के तहत “कोलकाता, उत्तराखंड, यूपी और मुजफ्फरपुर- नही चलेगा यौन हिंसा का दस्तूर” के केन्द्रीय नारे के साथ पूरे राज्य में प्रतिवाद मार्च व आक्रोश प्रदर्शन के कार्यक्रम हुए। जिसमें मुजफ्फरपुर-काण्ड की जांच में घटनास्थल पर गयी ‘जांच-टीम’ की ज़मीनी रिपोर्ट का हवाला देते हुए, बिहार सरकार के पुलिस-प्रशासन द्वारा “लड़की को ही दोषी ठहराए जाने की संस्कृति” के खिलाफ भी आक्रोश प्रदर्शित किया गया।
पटना में हुए विरोध कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की राष्ट्रिय महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि- कैसे शर्मनाक हालात हैं कि 15 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री महिलाओं पर बढ़ती हिंसा के दोषियों को तुरत सज़ा देने का ढिंढोरा पीटते हैं, लेकिन उसकी असलियत इसी काण्ड में साफ़ दीखाई दे रही कि- अभी तक मुख्य अभियुक्त नहीं पकड़ा जा सका है। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर दो-दो उप मुख्यमंत्री अभी तक घटना पर एक शब्द भी नहीं बोले हैं।
बिहार विधान परिषद् सदस्य एवं ऐपवा-सेविका संगठन की वरिष्ठ नेता शशि यादव ने सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी शासन में पूरे देश में महिलाओं पर हिंसा-हमले बढ़े हैं। जो इस सच को सही साबित करता है कि भाजपा का पूरा चरित्र महिला-विरोधी है। खुद प्रधानमंत्री कर्नाटक में सैकड़ों महिलाओं के शोषण का आरोपी और भाजपा गठबंधन उम्मीदवार प्रज्वल रेवन्ना के लिए चुनाव प्रचार करने जाते हैं। इससे तो यही साबित होता है कि मोदी-भाजपा सरकार महिला-सुरक्षा का जितना ढिंढोरा पीट ले, लेकिन असलियत में वह खुद ही बलात्कारियों संरक्षक है। जबकि आज बलात्कारियों के खिलाफ पूरा देश खड़ा हो रहा है।
प्रदेश के अनेक स्थानों पर संगठित किये गए विरोध अभियान कार्यक्रमों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने भी एक स्वर से कहा कि- राम रहीम-आसाराम जैसे अपराध साबित और सजायाफ्ता बलात्कारियों को भाजपा की सरकारें ‘पैरोल पर रिहा” कर बेटी बचाने का राष्ट्रधर्म निभातीं हैं। तो कभी सज़ायाफ्ता बलात्कारियों को सदाचारी बताकर जेल से रिहा करवाकर सार्वजनिक रूप से स्वागत-माला पहनाकर नागरिक अभिनन्दन करती हैं।
उक्त मुद्दे को लेकर पटना समेत बिहार प्रदेश के कई स्थानों पर विभिन्न महिला एवं सामाजिक जन संगठनों का विरोध अभियान लगातर जारी है।
स्वतंत्रता दिवस के दूसरे ही दिन पटना स्थित बुद्धा स्मृति पार्क परिसर के आगे बिहार व पटना के कई प्रमुख महिला एवं सामाजिक –सांस्कृतिक जन संगठनों ने संयुक्त रूप से प्रतिवाद अभियान चलाया। ‘वी वांट जस्टिस’ बैनर के तले आयोजित इस अभियान के माध्यम से ‘ कोलकाता और पारु (मुजफ्फरपुर) में दुष्कर्म-हत्या पीड़ितों को न्याय दो, महिला सुरक्षा की गारंटी दो तथा बेख़ौफ़ आज़ादी ज़िन्दाबाद! के समेवत नारे बुलंद किये गये।
विरोध कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महिला वक्ताओं ने एक स्वर में आरोप लगाया कि- तीसरी बार मोदी-राज आते ही महिलाओं पर यौन हिंसा-हमले लगातार बढ़े हैं। 15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस का झंडा जितना भी फहरा लें लेकिन महिला की आज़ादी बिना देश की आजादी धोखा है। केंद्र व राज्यों की सरकारों से हम मांग करतीं हैं कि वह महिलाओं की आज़ादी के साथ साथ उनकी समुचित सुरक्षा की गारंटी करें।
पटना विश्विद्यालय कैम्पस में AISA के नेतृत्व में छात्राओं–छात्रों द्वारा आक्रोश मार्च निकालकर विरोध प्रदर्शित किया गया। इसके अलावा इन्क़लाबी नौजवान सभा के नेतृत्व में भी जगह जगह युवाओं के आक्रोश मार्च निकाले गए।
रांची स्थित अलबर्ट एक्का चौक पर छात्र व महिला संगठनों के साथ साथ सामाजिक जन संगठनों ने भी संयुक्त प्रतिवाद किया।
कुल मिलाकर इतना तो कहा ही जा सकता है, कोलकाता से उठी “बेख़ौफ़ आज़ादी” की मांग की चिंगारी अब धीरे धीरे एक ज्वालामुखी रूप लेकर पूरे देश में लगातार फैलती जा रही है।
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