Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

अरुंधती राय और शौकत हुसैन के ख़िलाफ़ UAPA रद्द करने की मांग तेज़

सभी लेखक-कलाकारों-बुद्धिजीवियों एवं सामाजिक जन संगठनों और व्यक्तियों से आह्वान करते हुए इसके विरुद्ध देश और दुनिया भर के लेखक-कलाकारों के प्रतिवाद संगठित करने का संकल्प लिया।
uapa

“चार सौ पार” के दंभ-अहकार को धता बता देने वाले जनादेश से कोई सबक लेने की बजाय “जोड़-तोड़” का तिकड़म कर फिर से केंद्र की सत्ता पर काबिज़ होने वाली भाजपा-एनडीए सरकार अपने दमनकारी रवैये पर लगातार आमादा है, तो इसके ख़िलाफ़ लोकतंत्रपसंद-वाम ताकतें भी पुरज़ोर विरोध करने को संकल्पबद्ध हैं।” यह ऐलान 20 जून को ‘राष्ट्रव्यापी विरोध-दिवस’ के तहत सड़कों के प्रतिवाद कार्यक्रमों के द्वारा किया गया।

प्रख्यात एक्टिविस्ट लेखिका अरुंधती राय और कश्मीर विश्वविद्यालय के वरिष्ट प्रोफ़ेसर डॉ. शेख़ शौकत हुसैन द्वारा दस वर्ष पूर्व दिए गए एक बयान को “विवादास्पद एवं देशविरोधी” करार देकर दोनों पर थोपे गए “यूएपीए” (काला कानून) के तहत मुकदमे को तत्काल निरस्त्र करने की मांग की गई।

भाकपा माले द्वारा आहूत इस ‘राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस’ के माध्यम से उक्त मांग के साथ-साथ, ‘यूएपीए जैसे दमनकारी कानूनों को रद्द करने एवं सभी राजनीतिक बंदियों की अविलम्ब रिहाई’ की मांग को भी लेकर यह प्रतिवाद कार्यक्रम संगठित किया गया।

इसके तहत राजधानी दिल्ली समेत कई अन्य प्रदेशों के साथ साथ झारखंड और बिहार में भी व्यापक प्रतिवाद हुए। “मोदी-शाह सरकार की तानाशाही नहीं चलेगी”, ‘अभिव्यक्ति-असहमति के अधिकारों पर हमला नहीं सहेंगे” इत्यादि नारे लगाते हुए जगह जगह ‘प्रतिवाद-मार्च’ एवं ‘विरोध-सभाएं’ की गयीं।

झारखंड में रांची स्थित अलबर्ट एक्का चौक पर आयोजित हुए विरोध कार्यक्रम में विभिन्न सामाजिक जन संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा कई वरिष्ठ लेखक-एक्टिविस्टों ने भी अपनी भागीदारी निभाई। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि इस घटना के माध्यम से केंद्र में सत्तासीन हुई नयी सरकार ने ‘अभिव्यक्ति और असहमति के अधिकारों पर फिर से हमला करके अपनी तानाशाह मंशा को उजागर कर दिया है। भाजपा भले ही सरकार बनाने में अकेले पूर्ण बहुमत नहीं ला सकी और जोड़-तोड़ करके सत्ता हासिल कर ली है, लेकिन इसके साथ वह अपने पुराने दमनकारी रंग में भी आने की शुरुआत भी कर दी है। फिर से देश के एक्टिविस्ट बुद्धिजीवियों-लेखकों पर यूएपीए कानून का दुरुपयोग कर वह अपनी तानशाही थोपने पर आमादा हो गयी है। जिसके ख़िलाफ़ एकजुट होकर तमाम लोकतांत्रिक शक्तियों को सड़कों पर उतरने की फिर से ज़रूरत आ पड़ी है। विरोध-प्रतिवाद के कार्यक्रम कई अन्य स्थानों पर भी हुए।

बिहार की राजधानी पटना समेत कई जिलों में व्यापक रूप से ‘विरोध दिवस’ पर ‘प्रतिवाद-मार्च’ निकालने के साथ साथ विरोध सभाएं की गयीं।

पटना स्थित बुद्ध स्मृति पार्क परिसर के समक्ष आयोजित विरोध अभियान का नेतृत्व भाकपा माले की बिहार विधान परिषद सदस्य व अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की शशि यादव के अलावा भाकपा माले, एक्टू, आइसा व जसम पटना इकाई के नेताओं ने किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने एक स्वर से मोदी सरकार की ताज़ा दमनकारी रवैये का तीखा विरोध करते हुए कहा कि जानी मानी लेखिका अरुंधती राय और डॉ. शौकत हुसैन द्वारा सन 2010 में एक सेमीनार में ‘कश्मीर मसले “पर अपने विचार व्यक्त करने पर वर्तमान केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के इशारे से दिल्ली के वर्तमान उप राज्यपाल द्वारा दोनों सम्मानित वक्ताओं पर यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की अनुशंसा करना, बेहद हास्यास्पद और हैरत करनेवाला है। क्योंकि यूएपीए जैसे काला कानून के राजनीतिक दुरुपयोग को लेकर खुद देश के सुप्रीम कोर्ट तक ने अपनी असहमति जाहिर की है लेकिन फिर भी चौदह साल पुराने मामले को “राजनीतिक रंग” देकर मोदी-शाह की सरकार ने अपना दमनकारी और तानशाह चरित्र फिर से दिखला दिया है कि ‘कानून अनुपालन” की आड़ में केंद्र की सरकार, ‘बोलने व सत्ता से असहमति रखनेवालों’ के ख़िलाफ़ अपने तानाशाह कुकृत्य करने पर इस क़दर आमादा है कि वह किसी भी आवाज़ को सामने नहीं आने देना चाहती है।

संबोधन में वक्ताओं ने कहा कि अरुंधती राय और डॉ. शौकत हुसैन के खिलाफ यूएपीए का मुकदमा, किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। यह “सत्ता से भिन्न मत रखने के साथ साथ बोलने के लोकतांत्रिक मौलिक अधिकारों पर सीधा हमला है जिसका हर स्तर से पुरज़ोर विरोध किया जाएगा।

विरोध-अभियान के माध्यम से मोदी सरकार पर यह भी आरोप लगया गया कि इसके पहले भी मोदी शासन ने ‘सत्ता के विरोध” में बोलने वालों को अनेकानेक झूठे मुकदमों में फंसाकर आज तक जेलों में बंद किये हुए है। “विचाराधीन आदिवासी कैदियों” की आवाज़ उठानेवाले वरिष्ठ एवं वयोवृद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता फ़ादर स्टैन स्वामी को तो “विचाराधीन कैदी” बनाकर ‘सांस्थानिक हत्या” ही कर दी गयी।

आज भी वर्षों से बिना किसी सुनवाई के कई एक्टिविस्टों को देश की जेलों में रखकर अमानवीय व्यवहार करने का सिलसिला निरंतर जारी है।

पिछली बार तो नरेंद्र मोदी-भाजपा ने सांप्रदायिक-अंधराष्ट्रवाद के उन्मादी कुचक्रों से “प्रचंड बहुमत” हासिल कर अपने फासीवादी मंसूबों को अंजाम देने की हरचंद कोशिश की थी, लेकिन इस बार स्थितियां बदली हुईं हैं। देश की जनता ने “चार सौ पार” को बेकार बनाकर भाजपा और मोदी-शाह जी को अपनी पूर्व चेतावनी दे दी है।

विरोध अभियानों के दौरान कुछ चर्चाएं इस बात को लेकर भी उठीं कि अरुंधती राय और डॉ. शौकत हुसैन पर यूएपीए थोपे जाने के ख़िलाफ़ ‘INDIA गठबंधन’ के शीर्ष नेताओं द्वारा अभी तक कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं आ रही है!

बहरहाल, ताज़ा खबर है कि देश के कई केन्द्रीय सांस्कृतिक संगठनों- जन संस्कृति मंच, प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ, इप्टा, अखिल भारतीय दलित लेखिका मंच, जन नाट्य मंच, दलित लेखक संघ व न्यू सोशलिस्ट इनिसिएटिव इत्यादि ने अरुंधती राय और डॉ. शेख शौकत हुसैन के ख़िलाफ़ दमनकारी यूएपीए कानून के इस्तेमाल के फ़ैसले पर ‘अखिल भारतीय सांस्कृतिक प्रतिरोध अभियान- हम देखेंगे!’ शुरू करने के लिए देशव्यापी अपील जारी की है।

“यूएपीए हटाओ, लोकतंत्र बचाओ!” शीर्षक वाले 10 सूत्री इस अपील-पत्र के माध्यम से आह्वान किया गया है कि हम देश भर के लेखक-कवि-कलाकार, पत्रकार और बुद्धिजीवी दुनिया भर में सम्मानित लोकप्रिय भारतीय लेखिका अरुंधती राय और कश्मीर विश्वविद्यालय से सेवानिवृत प्रोफ़ेसर शेख़ शौकत हुसैन के ख़िलाफ़ दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा दमनकारी कानून यूएपीए के तहत मुक़दमा चलाने की इजाज़त देने के फैसले से आक्रोशित हैं। सभी लेखक-कलाकारों-बुद्धिजीवियों एवं सामाजिक जन संगठनों और व्यक्तियों से यह आह्वान करते हुए इसके विरुद्ध देश और दुनिया भर के लेखक-कलाकारों के प्रतिवाद संगठित करने का संकल्प लिया।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest