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महापंचायत: पंजाब से हज़ारों किसान-मज़दूर दिल्ली पहुंचे

बड़ी तादाद में महिलाएं, युवा और बुज़ुर्ग किसान भी किसान-मज़दूर महापंचायत में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं। 
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फोटो साभार : द हिंदू 'एक्स'

आज (चौदह मार्च) दिल्ली में होने वाली किसान महापंचायत में शिरकत के लिए पंजाब से तक़रीबन पचास हज़ार किसान और खेत मज़दूर दिल्ली रवाना हो गए हैं। सूबे के तमाम ज़िलों के गांवों से बहुत उत्साह के साथ किसानों ने 'दिल्ली कूच' की ओर क़दम बढ़ाया। बड़ी तादाद में महिलाएं, युवा और बुज़ुर्ग किसान भी किसान-मज़दूर महापंचायत के लिए पहुंचे हैं। 

राष्ट्रीय राजधानी जाने के लिए सरकारी यातायात (रेल गाड़ियों और बसों) का इस्तेमाल किया गया है। दिल्ली जाने के लिए किसान संगठनों ने प्राइवेट बसें भी किराए पर ली हैं। कारों और जीपों के ज़रिए भी किसानों-मजदूरों ने दिल्ली कूच किया है। बुधवार दोपहर से ही किसानों/मज़दूरों के जत्थे रेलवे स्टेशनों व बस अड्डों पर पहुंचने लगे थे। किसान और खेत मज़दूर केंद्र सरकार मुर्दाबाद और 'वोट पर चोट' तथा 'साडा हक़ एत्थे रक्ख' के जोशीले नारे लगा रहे थे। 

बुधवार दोपहर से किसानों-मजदूरों के काफ़िलों का दिल्ली जाने का शुरू हुआ सिलसिला गुरुवार की सुबह तक ज़ारी था। सबसे बड़ा किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) इनकी अगुवाई कर रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता व भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष बलवीर सिंह राजेवाल ने बताया कि दिल्ली की 14 मार्च की किसान-मज़दूर महापंचायत के अध्यक्ष मंडल में 21 से ज्यादा किसान नेताओं के नाम शामिल किए गए हैं। सुबह तक कुछ अन्य राज्यों से आए नेताओं को अध्यक्ष मंडल में शामिल किया जा सकता है। 

राजेवाल ने बताया कि एसकेएम ने फैसला किया है कि किसानों की सभी मांगें न माने जाने तक ऐसा संघर्ष जारी रहेगा। भारतीय किसान यूनियन (लक्खोवाल) के प्रधान हरविंदर सिंह लक्खोवाल ने कहा कि महापंचायत में शरीक होने के लिए पंजाब के पचास हज़ार से ज़्यादा किसान और मज़दूर दिल्ली पहुंच चुके हैं। लक्ष्य एक लाख से ज़्यादा का रखा गया था लेकिन इसे सीमित किया गया ताकि दिल्ली के आम लोगों को दिक्कत न आए। 

ग़ौरतलब है कि किसान-मज़दूर महापंचायत में लोकताकत दिखाई जाएगी और केंद्र सरकार की भी इस पर पैनी नजर रहेगी। किसानों व मज़दूरों का जमावड़ा भाजपा की चुनावी रणनीति को भी प्रभावित करेगा। दिल्ली पहुंचे किसान नेता मनवीर सिंह बराड़ ने फ़ोन पर बताया कि महापंचायत में देश के कोने-कोने से किसान और खेत मज़दूर बड़ी तादाद में पहुंच रहे हैं। इसे देखकर पिछले किसान आंदोलन की याद आ रही है। 

वरिष्ठ किसान नेता डॉ. दर्शनपाल के अनुसार किसान-मज़दूर महापंचायत का प्रमुख एजेंडा दिल्ली आंदोलन के दौरान मानी गई मांगों को अमली जामा पहनाने का दबाव है। महापंचायत में होने जा रहे लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी विशेष घोषणाएं हो सकती हैं। यक़ीनन ये घोषणाएं केंद्र की भाजपा सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन सकती हैं। दिल्ली पहुंचे किसान नेता मनजीत सिंह धनेर ने बताया कि बुधवार को दिल्ली पहुंचे किसान और मजदूर गुरुद्वारा बंगला साहिब और गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में ठहरे हैं। किसानों के लिए ख़ासतौर से गुरुद्वारों में ठहरने और लंगर की व्यवस्था की गई है। गुरुद्वारों ने महापंचायत स्थल पर जुटने वाले किसानों और मज़दूरों तथा अन्य लोगों के लिए लंगर की अतिरिक्त व्यवस्था की है। हालांकि बहुतेरे किसान अपना राशन साथ लेकर दिल्ली गए हैं।

पंजाब में सरगोशियां हैं कि लोकसभा चुनाव सिर पर हैं; इसलिए भी केंद्र सरकार किसान की ताकत से घबराई हुई है। यही वजह है कि जहां क़रीब एक महीना पहले तक किसानों को दिल्ली आने से रोका जा रहा था लेकिन अब दिल्ली पुलिस ने (बेशक सशर्त) महापंचायत की मंजूरी आसानी से दे दी।

(अमरीक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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