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मज़दूर-किसान महापड़ाव: भविष्य में बड़े आंदोलन की चेतावनी के साथ सांप्रदायिकता से मजबूत लडाई लड़ने का भी ऐलान

ये तीन दिवसीय महापड़ाव संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त देशव्यापी आह्वान पर मोदी सरकार की कॉरपोरेट-सांप्रदायिक गठजोड़ के ख़िलाफ़ किसानों-मजदूरों की 21 सूत्री मांगों को लेकर किया गया।
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देशभर में 26 नवंबर से सभी राज्यों की राजधानियों में जारी किसान मजदूर महापड़ाव आज समाप्त हो गया। ये तीन दिवसीय महापड़ाव संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त देशव्यापी आह्वान पर मोदी सरकार की कॉरपोरेट-सांप्रदायिक गठजोड़ के खिलाफ किसानों-मजदूरों की 21 सूत्री मांगों को लेकर किया गया। इस ऐतिहासिक देशव्यापी महापड़ाव के तीसरे दिन भी हजारों की संख्या में किसान और मजदूर केंद्र सरकार की किसान-विरोधी, मजदूर-विरोधी और जन-विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट हुए।

इसी कड़ी में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में किसान मजदूर संसद के पास जंतर मंतर पर जुटे थे। राजधानी में दो दिन उप राज्यपाल के आवास के बाहर बैठे थे लेकिन आज यानी 28 तारिख को संसद के पास आए और केंद्र सरकार के खिलाफ़ आवाज़ बुलंद की।

सेंट्रल ट्रेड यूनियन AITUC की राष्ट्रीय महासचिव अमरजीत कौर ने कहा ये महापड़ाव ऐतिहासिक है क्योंकि ये सिर्फ़ तीन दिनों तक राजधानियों में महापड़ाव नहीं था बल्कि इससे पहले महिनेभर से किसान मजदूर गांव गांव और बस्ती में जाकर आम जनमानस को इन मुद्दों को लेकर जागरण किया। इस महापड़ाव की असली सफलता यही है कि देश को करोड़ों लोगों को समझ में आया की उनके मुद्दों से भटकाने के लिए धार्मिक मुद्दे उठाए जाते है और उनकी एकता को सांप्रदायिकता के आधार पर बांट जा रहा है।

उन्होंने कहा कि अब मजदूर किसान सांप्रदायिकता से नहीं बल्कि अपने मुद्दो को लेकर लामबंद होगा।

संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने 24 अगस्त, 2023 को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित “अखिल भारतीय मजदूर किसान संयुक्त सम्मेलन” में 26-27-28 नवंबर 2023 को देशभर के सभी राज्यों की राजधानियों में तीन दिवसीय किसान मजदूर महापड़ाव का आह्वान किया था। क्योंकि तीन वर्ष पूर्व, 26 नवंबर 2020 को ही “दिल्ली चलो” आह्वान के साथ ऐतिहासिक किसान आंदोलन की शुरुआत हुई थी, जिसने केंद्र सरकार की कॉरपोरेटपरस्त नीति के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी। आज इस ऐतिहासिक मौके पर देशभर के किसान और मजदूर अपनी मांगों को लेकर फिर एकजुट हुए थे।

अखिल भारतीय किसान सभा के वित्तीय सचिव जो इस महापड़ाव के दौरान कई राज्यों में गए और इस महापड़ाव में शामिल हुए। उन्होंने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा ये महापड़ाव लंबे संघर्ष की शुरआत है। उन्होंने कहा ये सरकार केवल पूंजीपतियों के लिए काम कर रही है।
देश में आज किसान बेहद गंभीर संकट से जूझ रहे हैं। किसानों को उनकी फसल का दाम नहीं मिलता है जिससे किसानों पर लगातार कर्ज़ बढ़ रहा है। इससे वही किसान शहरों में मजदूर बनाकर आता है। इसलिए जरूरी है ये एकता बने और समझें कि किसान और मजदूरों का शोषण करने वाले एक है और हमें भी एक होकर लड़ना होगा। इस महापड़ाव ने ये काम कर दिया है। मजदूर और किसान एकजुट हैं। देश का उत्पादक एक हो गया है।

उन्होंने कहा 2024 में हम उस सरकार को नहीं आने देंगे जो हमारे खिलाफ नीति बनाए। इसलिए हमने नारा दिया है बीजेपी हटाओ देश बचाओ।

सेंट्रल ट्रेड यूनियन CITU के दिल्ली उपाध्यक्ष पुष्पेन्द्र सिंह ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, बीजेपी की ये सरकार जो कहकर आई सब उसके विपरित कर रही है। एक तरफ मजदूरों को गुलाम बनाने के श्रम कोड लाई है। वहीं किसानों से दोगुना आय का वादा करके उनकी आमदनी आधी कर दी है।

AICCTU की नेता श्वेता राज ने कहा इस सरकार को मजदूरों की कोई चिंता नहीं है। आप देखिए सुरक्षा की कमी के कारण उत्तरकाशी में एक हादसे में मजदूर दिवाली के बाद से फंसे हैं लेकिन सरकार उन्हें अभी तक रेस्क्यू नहीं कर पाई है। दूसरी तरफ इसके दोषी कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह दिखाता है कि सरकार किसको बचा रही है।

उन्होंने कहा इस महापड़ाव के बाद किसान और मजदूर संगठन अपनी बैठके करेंगे और भविष्य के कार्यक्रमों की घोषणा करेंगे।

किसानों ने अपने ज्ञापन में कहा हम हरियाणाभर के किसान मजदूर गत तीन दिन से पंचकूला में पड़ाव डाले हुए हैं। केंद्र सरकार द्वारा ऐतिहासिक किसान आंदोलन के निलंबन के समय जो लिखित वादे किए गए थे उनको लागू न करके जो विश्वासघात किया गया उसके खिलाफ तीन दिवसीय पड़ाव 26-28 नवंबर को राष्ट्रीय स्तर के आह्वान के तौर पर किया गया था।

जबकि हरियाणा के किसान जो तीन दिनों से पंचकुला में महापड़ाव किए हुए थे उन्होंने राज्यपाल के माध्यम से केंद्र-राज्य सरकार को अपना ज्ञापन सौंपा। साथ ही कहा कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वो एक बार फिर दिल्ली कूच को तैयार हैं।

किसान-मजदूर महापड़ाव के माध्यम से एमएसपी की कानूनी गारंटी करने, चार श्रम संहिताओं को रद्द करने, योजनाकर्मियों को नियमित करने, पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) को पुनः बहाल करने, युवाओं को रोजगार देने, निजीकरण को बंद करने, मनरेगा की मजदूरी और कार्यदिवस बढ़ाने, महंगाई पर रोक लगाने, खाद्य सुरक्षा की गारंटी करने सहित अन्य मांगों को उठाया गया। यूनतम समर्थन मूल्य सी-2+ 50% फार्मूला के आधार पर फसल खरीद की कानूनी गारंटी दी जाएं। बिजली बिल (संशोधन बिल) 2022 निरस्त किया जाए और स्मार्ट मीटर लगाने की योजना वापस हो, किसानों, खेत-मजदूरों की पूर्ण क़र्ज़ मुक्ति की जाए। लखीमपुर-खीरीकांड के लिए अजय मिश्रा टेनी को मंत्री परिषद से बर्खास्त करके गिरफ्तार किया जाए और निर्दोष किसान रिहा हों, कार्पोरेट घरानों पर करों की दर बढ़ाई जाए।

साथ ही इस महापड़ाव में न्यूजक्लिक पोर्टल समेत अन्य मीडिया चैनल पर तानाशाही के हमले रोकने, यूएपीए काला कानून निरस्त करने और गिरफ्तार मीडिया कर्मियों को रिहा करने, सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण का राष्ट्रद्रोह का राजनीतिक खेल रोकने की मांग की गई। किसानों ने कहा उपरोक्त मुद्दे केंद्र से संबंधित हैं और आप कृपया इनके निराकरण के लिए भिजवाएं। यदि इन सभी लंबित न्यायोचित मांगों को स्वीकार नहीं किया गया तो किसान व समूचा मेहनतकश वर्ग आगामी दौर में बड़े जनांदोलन छेड़ने पर बाध्य होगा।

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