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नूंह हिंसा: शांत माहौल में आख़िर किसने घोला ज़हर?

मेवात के नूंह में हिंसा के लिए कौन ज़िम्मेदार है? क्या वाक़ई मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी के चैलेंज करने वाले कथित वीडियो बने बवाल की असल वजह?
Haryana Mewat Violence
फ़ोटो साभार: PTI

सड़क किनारे धूं-धूं कर जलती गाड़ियां, सिरहन और दहशत से भर देने वाला आसमान में फैलता स्याह धुंआ, ये तस्वीर है दिल्ली से महज़ कुछ दूरी पर स्थित मेवात के नूंह की। डबल इंजन सरकार वाले हरियाणा में दो गुटों के बीच जमकर पथराव हुआ और देखते ही देखते हालात बेकाबू हो गए। इस हिंसा की वजह से अब तक पांच लोगों के मारे जाने की ख़बर है।

31 जुलाई को नूंह में आख़िर क्यों बिगड़े हालात? कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में नूंह के SP नरेंद्र बिजारणिया का बयान छपा जिसमें उन्होंने हिंसा शुरू होने के बारे में बताया। आजतक के साथ बातचीत में SP ने बताया कि "हरियाणा के मेवात क्षेत्र में 31 जुलाई को बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की ओर से 'बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा' निकाली गई थी, वहां ख़बर फैल गई कि भिवानी हत्याकांड का आरोपी मोनू मानेसर भी यात्रा में शामिल हो रहा है इसी को लेकर कहासुनी हुई और फिर हिंसा शुरू हो गई।"

दरअसल यात्रा के दो दिन पहले मोनू मानेसर की तरफ से सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर इस यात्रा में शामिल होने की ख़बर दी गई थी।

सोशल मीडिया पर मोनू मानेसर की यात्रा में शामिल होने की भी तस्वीरें भी वायरल होने लगी लेकिन बीबीसी हिंदी पर छपी ख़बर के मुताबिक मोनू मानेसर ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "वीएचपी के कहने के बाद मैं यात्रा में शामिल नहीं हुआ था।" गौरतलब है कि मोनू मानेसर नासिर, जुनैद की हत्या के मामले में फरार आरोपी है। 

हिंसा को लेकर स्थानीय व्यक्ति के दावे

एक स्थानीय व्यक्ति ने हमसे बात करते हुए दावा किया, "जैसे ही ये (मोनू के समर्थक) शहर में घुसे कुछ लड़कों ने विरोध-प्रदर्शन किया, लेकिन वहां कुछ नहीं हुआ, लेकिन जैसे ही ये कुछ आगे बढ़े एक जगह है नल्हड़ मोड़, इससे आगे जाकर नल्हड़ गांव है जहां एक पुराना मंदिर है वहीं यात्रा थी, वहां जाते-जाते इन लोगों की कहासुनी हुई, और फिर दोनों तरफ से नारेबाज़ी शुरू हो गई। साथ ही यह ख़बर भी फैल गई कि मोनू मानेसर इस यात्रा में शामिल हुआ, इसके बाद लोग भड़क गए।"

वे आगे बताते हैं कि "नल्हड़ मोड़ पर कम लोग (लोकल) थे तो इन लोगों की उनके साथ कहासुनी हो गई। नारेबाज़ी भी चालू थी लेकिन जब बात फैली और लोकल लोग जुटने लगे तो ये नल्हड़ गांव की तरफ भाग गए, वहां जाकर एक बार फिर उनकी गांव वालों के साथ कहासुनी हो गई और एक बार फिर मामला बढ़ गया।"

न्यूज़क्लिक इन दावों की पुष्टि नहीं करता है। हिंसा की असल वजह क्या थी और किसकी तरफ से शुरुआत हुई ये जांच का मामला है और उसके बाद ही तस्वीर साफ हो पाएगी, फिलहाल मामले को शांत करने की कोशिश की जा रही है।

पीस कमेटी ने की अमन की अपील

नूंह में शांति के लिए पीस कमेटी भी बनाई गई जिसके एक सदस्य रमज़ान चौधरी से हमने बात की, उन्होंने बताया, "हालात तो ठीक हो रहे हैं लेकिन तनाव अब भी है, हम लोगों से अमन-शांति के लिए मीटिंग कर रहे हैं, लगातार मार्च निकाल रहे हैं।" हमने उनसे जानना चाहा कि हिंसा कैसे शुरू हुई? उन्होंने बताया कि "बहुत से चैलेंज देते हुए वीडियो वायरल हो रहे थे जिसका जवाब यहां के भी कुछ बच्चे दे रहे थे, ये सब चीज़ें सामने थीं लेकिन, किसकी तरफ से शुरुआत हुई ये तो अब जांच के बाद ही पता चल पाएगा, लेकिन मेन वजह है मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी जिन्होंने वीडियो में चैलेंज दिया और उन्होंने बहुत भड़काने वाले वीडियो वायरल किए।"

रमज़ान चौधरी ने आगे कहा कि "हमने ये सारे इनपुट प्रशासन को दिए थे, ऊषा कुंडू (ASP) से मैंने ख़ुद बात की थी कि इस तरह के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं और आप इन्हें देखिएगा, अलर्ट रहिएगा, तो उन्होंने कोई इंतज़ाम नहीं किए, ना ही मुस्तैदी दिखाई, तो ये सौ फीसदी पुलिस प्रशासन की असफलता रही है।"

इसके साथ ही चौधरी ने न्यूज़क्लिक के माध्यम से अपील की, "मैं अपील करना चाहता हूं जो हो गया उसे पीछे छोड़कर अमन-शांति कायम होनी चाहिए, मेवात सांझी संस्कृति और भाईचारे का गहवारा (पालना) रहा है, सदियों से प्यार मोहब्बत से रहा है और अब भी रहना चाहता है। बाहरी लोग यहां पर, एक ख़ास एजेंडे के तहत, अपने मुनाफे के लिए इस इलाके को डिस्टर्ब ना करें, यहां के हिंदुओं की हिफ़ाज़त करना हमारी ज़िम्मेदारी है, मंदिरों की हिफ़ाज़त करना हमारी ज़िम्मेदारी है। इसी तरह दूसरी जगह जो हमारे मस्जिद-इदारे हैं उनकी हिफ़ाज़त करना हिंदू भाइयों की ज़िम्मेदारी है, और ऐसी ही सोच से पूरा हिंदूस्तान बनता है।"

जैसा की रमज़ान चौधरी ने कहा कि हिंसा के पीछे किसी का एजेंडा लगता है, कुछ ऐसी ही बात हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने भी ANI से कही। उन्होंने कहा कि "जिस तरह की ये हिंसा हुई है, ये अचानक भड़की हुई हिंसा तो नहीं है, जहां तक मैं जानता हूं, नूंह में दोनों समुदाय लंबे समय से प्यार के साथ रहता आया है। उनका आपस में द्वेष नहीं है, ये तो किसी ने ज़हर घोला है, किसी ने इंजीनियरिंग की है, कोई मास्टरमाइंड है।"

इन सवालों के जवाब प्रशासन की पड़ताल के बाद ही पता चलेंगे, साथ ही इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि जब पहले से ही अलर्ट दिए जा रहे थे तो उन्हें अनदेखा क्यों किया गया।

जैसा कि आरोप लग रहे हैं कि मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी की तरफ से भड़काऊ वीडियो और उनके जवाब में दूसरी तरफ से भी पोस्ट किए गए वीडियो ने मामला बहुत ख़राब किया। इन सब में मोनू मानेसर से तो सब वाकिफ हैं लेकिन कौन है बिट्टू बजरंगी? 

कौन है बिट्टू बजरंगी?

बिट्टू बजरंगी वही है जिस पर कुछ दिन पहले हरियाणा के फरीदाबाद में एक मुस्लिम परिवार की क़रीब 70 गाय और बकरियां छीनने का आरोप लगा था। बिट्टू बजरंगी गौ रक्षक दल का नेता है और उनके नाम के इंस्टाग्राम हैंडल पर कुछ दिन पहले ही भड़काऊ पोस्ट के माध्यम से मेवात आने का पोस्ट किया गया था, इसके साथ ही उससे जुड़े कुछ वीडियो फैक्ट चेकर जुबैर ने भी पोस्ट किए हैं।

सोशल मीडिया पर अब भी हिंसा से जुडी वीडियो पोस्ट करने का सिलसिला नहीं थम रहा है इसे लेकर नूंह के SP के साथ ही फरीदाबाद पुलिस की तरफ से भी सख्त हिदायत दी गई है। 

हिंसा के बाद अब तक क्या-क्या हुआ?

* 31 जुलाई दोपहर दो गुटों के बीच पथराव शुरू हुआ और कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया।
* हिंसा में अब तक पांच लोगों के मारे जाने की ख़बर है।
* PTI के मुताबिक हिंसा में 23 लोग घायल जिसमें 10 पुलिस वाले भी शामिल हैं।
* अब तक 11 FIR दर्ज हो चुकी हैं और 27 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
* नूंह के बाद सोहना, गुरुग्राम और पलवल से भी हिंसा की ख़बरें सामने आईं हैं।
* गुरुग्राम में एक मस्जिद (अंजुमन जामा मस्जिद) को निशाना बनाया गया, जिसमें इमाम की मौत, एक की हालत गंभीर है।
* नूंह में कर्फ्यू लगा दिया गया है व इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है।
* भारी सुरक्षा बल की तैनाती कर दी गई है साथ ही गुरुग्राम में स्कूल, कॉलेज, कोचिंग सेंटर बंद करने का आदेश है।
* हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने बताया कि एयर फोर्स को भी स्टैंडबाई पर रखा गया है।
* हरियाणा के सीएम खट्टर ने इसे बड़ा षड्यंत्र बताया है।

हिंसा कहां से और कैसे शुरू हुई इस पर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि आख़िर स्थानीय लोगों द्वारा, प्रशासन को मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी की तरफ से जारी कथित भड़काऊ वीडियो और उसकी प्रतिक्रिया में दिए जा रहे जवाबों के बारे में जानकारी देने के बावजूद उन्हें नज़रअंदाज़ क्यों किया गया?

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