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पंजाब: बाढ़ ने मचाई भीषण तबाही

मुख्यमंत्री मान ने 23 जुलाई को मीडिया को बताया कि राज्य में अभी तक बाढ़ के कारण लगभग 1,000 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हो चुका है।
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फ़ोटो : PTI

8 जुलाई से शुरू हुई लगातार बारिश बाढ़ का रूप लेकर पंजाब में तबाही मचा चुकी है। पंजाब के 19 ज़िलों के करीब 1500 गांव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं, वहां दिन-रात राहत कार्य जारी है। प्रभावित इलाकों में रहने वाले कई लोग अपने घरों को छोड़ सुरक्षित जगहों पर चले गए हैं। राज्य में अभी तक बाढ़ के कारण 40 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। लोगों के घरों, पशुओं के नुकसान का कोई सही आंकड़ा नहीं है। राज्य के पॉश माने जाने वाले इलाकों में भी पानी भर गया है। कई जगह लोग सीधा प्रशासन पर गुस्सा निकालते हुए भी नजर आये। उनका कहना है कि जो भी काम हो रहा है वो आसपास के लोगों या सामाजिक, धार्मिक संगठनों की तरफ से हो रहा है, सरकार के मंत्री और एमएलए सिर्फ फोटो खिचवा रहे हैं। दूसरी तरफ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि उनकी सरकार तन-मन-धन से लोगों की सहायता में लगी हुई है।

मुख्यमंत्री मान ने 23 जुलाई को मीडिया को बताया कि राज्य में अभी तक बाढ़ के कारण लगभग 1,000 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हो चुका है। नुकसान की विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाएगी और राहत पैकेज की मांग भी की जायेगी। पंजाब सरकार ने अभी भी राज्य को ‘बाढ़ प्रभावित’ घोषित नहीं किया है। केंद्र सरकार द्वारा बाढ़ प्रभावित राज्यों को जारी की गई सहायता राशि के तहत पंजाब को 218 करोड़ रूपये मिले हैं लेकिन अधिकारिक तौर पर ‘बाढ़ प्रभावित’ राज्य न घोषित होने के कारण अभी और सहायता राशि केंद्र से नहीं मिल पायी है। अब तक पंजाब सरकार को बाढ़ प्रभावित जिलों में हुए नुकसान की सही जमीनी रिपोर्ट नहीं मिल पायी हैं।

बाढ़ के कारण पंजाब के शहरी इलाके भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। चंड़ीगढ़ से सटे मोहाली जिले के कई इलाकों में बुरी तरह नुकसान हुआ, यहां स्थित डेराबसी की गुलमोहर कालोनी पूरी तरह पानी में डूब गई थी। खरड़ में एक मकान पूरी तरह गिर गया। यहां घग्‍गर नदी का बंधा टूटने के कारण भी काफी नुकसान हुआ। पटियाला शहर का पॉश माने जाने वाला इलाका अर्बन एस्टेट बुरी तरह बाढ़ से प्रभावित हुआ। यहां गांव के लोगों और कई सामाजिक/धार्मिक संगठनों ने लोगों की सहायता की। इसी तरह लुधियाना जिला में भी सतलुज नदी और बूढ़ा नाला से लगे इलाकों में नुकसान हुआ है।

नदियों के किनारों में दरार पड़ने के कारण ज्यादा नुकसान हुआ है। मोहाली, रूपनगर, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, फिरोजपुर, जालंधर और पठानकोट जिलों में फ़ौज और एन.डी.आर.एफ. की टीमों ने मोर्चा संभाला। सतलुज, ब्यास, रावी, घग्‍गर नदियों से सटे इलाके बुरी तरह नुकसान की चपेट में हैं। लोगों को कश्तियों द्वारा सुरक्षित ठिकानों पर छोड़ा गया। सतलुज नदी के पानी ने दोआबा इलाके को और सरहदी इलाके को प्रभावित किया। रावी और ब्यास ने सरहदी इलाके में बहुत नुकसान किया। बाढ़ के कारण ही करतारपुर कॉरिडोर तीन दिन बंद रहा क्योंकि डेरा बाबा नानक इलाके में रावी नदी का पानी भर आया। घग्‍गर नदी का कहर मालवा क्षेत्र में बुरी तरह से बरपा। इस नदी ने संगरूर, मानसा, पटियाला जिलों को बुरी तरह प्रभावित किया। घग्‍गर ने चांदपुरा बांध तोड़ कर मानसा जिला के कई गांव डुबो दिए। इसी तरह संगरूर जिला के खनौरी और मूनक इलाकों में काफी नुकसान हुआ। यहां लोगों ने खुद ही बांध को मज़बूत कर दिया। घग्‍गर में दरार के कारण मानसा में सरधूलगढ़ इलाका लगभग पूरा डूब गया। उधर पाकिस्तान की सरहद को लगते गुरदासपुर जिले के सात गांवों का देश से संपर्क टूट गया है।

इस बाढ़ ने पंजाब की खेती का भारी नुकसान किया है। हालांकि किसानों का सही रूप में हुए नुकसान का सरकार अभी पता करने में लगी हुई है। माझा क्षेत्र के बटाला इलाके के कई किसानों ने अपना दुखड़ा रोते हुए प्रशासन से सहायता की मांग की है। यहां के किसान बलबीर सिंह ने हमें बताया, “हमारी फसल का बहुत नुकसान हुआ है। पशुओं के खाने के लिए भी कुछ नहीं बचा। इस हाल से हमारा सरकारी सहायता के बिना उभरना बहुत मुश्किल है।” इसी तरह छोटे किसानों की हालत और भी खस्ता हो चुकी है। ये वो किसान हैं जिन्होंने ठेके पर जमीन ले रखी हैं। बाढ़ ने सिर्फ उनकी फसल का ही नुकसान ही नहीं किया है बल्कि अब उन पर क़र्ज़ का बोझ और बढ़ जायेगा। जालंधर जिले के किसान संदीप सिंह का कहना है, “अभी मैंने 6 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर खेती करनी शुरू की थी और इसके लिए 2 लाख का कर्जा लिया था। मुझे लगता है कि पानी में सिर्फ मेरी फसल ही नहीं मेरे और मेरे परिवार के सपने भी बह गए हैं।” सरहदी इलाकों में किसानी बुरी तरह प्रभावित हुई है।

बाढ़ के बाद इन इलाकों में कई तरह की बीमारियां भी दस्तक दे चुकी हैं। पेचिस, हैजा और मलेरिया के कई केस आने लगे हैं। सरकार का दावा है कि वह लोगों के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर है उनकी टीमें काम में लगी हैं। दूसरी तरफ़ सरकार को लोग अपने निशाने पर ले रहे हैं। पटियाला के वसनीक रमणीक सिंह का कहना है, “यहां सरकार से ज्यादा सहायता आम लोग एक दूसरे की कर रहे हैं। खालसा ऐड जैसे सामाजिक संगठन, शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी व अन्य धार्मिक संस्थाएं अपना योगदान दे रही हैं। मालेरकोटला के हमारे मुसलमान भाई बढ़-चढ़ कर लोगों की सहायता में लगे हुए हैं।”

संगरूर जिला के अध्यापक लखवीर सिंह बताते हैं, “बाढ़ के कारण बच्चों की पढाई का बहुत नुकसान हुआ है। गरीब लोगों के घर तो टूटे ही उनके बच्चों की किताबें भी बह गईं। सरकारी स्कूलों की कई इमारतों का बुरा हाल हो चुका है। बच्चों और अध्यापकों के लिए बने पखाने कई जगह टूट चुके हैं या उनमें काफी दरारें आ चुकी हैं।” पंजाब में बाढ़ प्रभावित इलाकों में 29 जुलाई तक स्कूल बंद हैं।

राज्य के लोग और विशेषज्ञ इस बाढ़ के लिए पिछली सरकारों की भ्रष्ट नीतियों और मौजूदा सरकार की लापरवाही को जिम्मेवार मान रहे हैं। पर्यावरण के विषय पर कई किताबें लिखने वाले पंजाबी लेखक विजय बंबेली का कहना है, “असल में यह इन्सान द्वारा अपने लालच में आकर कुदरत के निजाम में दखल देने के कारण हुआ है। पूरे देश की तरह पंजाब में भी विकास के जिस गैर-वैज्ञानिक माॅडल को अपनाया गया है वह पर्यावरण को तबाही की ओर ले जा रहा है। सरकार, भू-माफिया और रियल-एस्टेट कारोबारियों के गठजोड़ ने नदियों के रास्तों पर इमारतें खड़ी कर दी हैं जिन्होंने पानी के कुदरती रास्तों को रोक दिया है। गैर-कानूनी माइनिंग हो रही है और सरकारों की यह लापरवाही रही है कि बरसात से पहले नदियों, नालों और पानी के निकासी वाले रास्तों की कोई सफाई नहीं करवाई गई। मेरा मानना है कि हरित क्रांति की अंधी दौड़ ने भी पर्यावरण का बहुत नुकसान किया है।”

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :

Amid Flood Havoc, Punjabis Allege Government Negligence

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