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क्यूबा की यात्रा से मैंने तीन सबक सीखे

क्यूबा की क्रांति संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रगतिशील लोगों को एक महत्वपूर्ण सबक देती है कि किस प्रकार समाज को इस तरह संगठित किया जाए कि बजाय इसके कि वह अभिजात वर्ग के छोटे से तबके की सेवा करे, वह बहुमत जनता के पक्ष में खड़ा हो।
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फोटो: गेरार्डो हर्नांडेज़ नॉर्डेलो

पिछले महीने, मैं 20 लोगों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ क्यूबा गई थी, जहा मैंने दो बाल चिकित्सा अस्पतालों में 60,000 अमेरिकी डॉलर की महत्वपूर्ण जीवन रक्षक कैंसर दवाइया और चिकित्सा आपूर्तियां पहुचाईं थी। इस प्रतिनिधिमंडल का आयोजन हैटुए प्रोजेक्ट द्वारा किया गया था, जो एक स्वयंसेवी संगठन है जो नियमित रूप से क्यूबा में चिकित्सा और मानवीय सहायता पहुचाता रहता है। 10-दिवसीय यात्रा के दौरान हमने क्यूबा के विभिन्न संगठनों, संस्थानों और यहा तक कि सांसदों से भी मुलाकात की। इन वार्ताओं और आदान-प्रदानों के माध्यम से, हमने जाना कि क्यूबा के लोग अपनी चल रही क्रांतिकारी की प्रक्रिया, समाजवाद के निर्माण की अपनी परियोजना और रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर अमेरिकी नीति के प्रभावों से कैसे लड़ रहे हैं।

यहां तीन प्रमुख सबक हैं जो मैंने हमारे प्रतिनिधिमंडल से सीखे।

  1. क्यूबा का पूरा समाज अमेरिकी नाकेबंदी से प्रभावित हुआ है

क्यूबा पर 1960 के दशक से लागू अमेरिकी नाकाबंदी आर्थिक युद्ध का एक कृत्य है। इसके पीछे की राजनीतिक मंशा शुरू से ही स्पष्ट रही है: द्वीप पर जीवन को इतना दयनीय बनाना कि क्यूबा के लोग अपनी कुंठाओं को कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ़ निकालने लगे और उसे उखाड़ फेंकें, जिससे अमेरिकी व्यापारिक हितों को फिर से जगह मिल सके। क्यूबा के खिलाफ पिछले 60 से अधिक वर्षों से अमेरिक की यही नीति रही है।

जैसा कि हमने जिन प्रतिनिधियों से बात की, उन्होंने जोर देकर कहा कि समाज का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जिसे नाकाबंदी ने प्रभावित न किया हो। हालात अब पहले से भी बदतर हो गए हैं: नाकाबंदी के कारण भोजन, आटा और ईंधन की अत्यधिक कमी हो गई है। बिजली कटौती लगातार बढ़ती जा रही है।

इस बीच, किसान बड़े पैमाने पर खाद्यान्न नहीं उगा सकते हैं, क्योंकि नाकाबंदी के कारण उन्हें कीटनाशक, उर्वरक और उपकरण नहीं मिल पा रहे हैं। बहुत से किसान ट्रैक्टर, कुदाल और अन्य कृषि आपूर्ति के लिए मेक्सिको जैसे देशों पर निर्भर हैं।

सांता क्लारा में बच्चों के अस्पताल के एक डॉक्टर ने हमें बताया कि दवा की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है और फिर भी नाकाबंदी से सबसे ज़्यादा प्रभावित दवा ही है। नाकाबंदी की वजह से न सिर्फ़ महत्वपूर्ण दवाए द्वीप तक नहीं पहुच पातीं हैं, बल्कि उन्हें बनाने के लिए ज़रूरी कच्चे माल और विज्ञान और तकनीक भी नहीं पहुच पाती है। और चूकि कैंसर के सबसे प्रभावी उपचार अक्सर अमेरिका में ही होते हैं और डॉक्टरों के पास उन तक पहुच नहीं होती, इसलिए वे अक्सर वैकल्पिक उपचारों की तलाश करते हैं जो उतने प्रभावी नहीं होते हैं। इसका स्पष्ट असर जीवित रहने की दर पर पड़ता है।

डॉक्टरों ने यह भी कहा कि ईंधन की कमी के कारण मरीजों के परिवारों के लिए अपने घरों से अस्पताल तक आना-जाना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, खाद्यान्न की कमी इन परिवारों के लिए और भी अधिक कठिनाई पैदा करती है। जैसा कि हमने समझा, नाकाबंदी केवल अलग-अलग चीजों को प्रभावित नहीं करती है; यह अतिव्यापी संकट पैदा करती है जिसका सामना क्यूबा के लोगों को हर रोज़ के जीवन में करना पड़ता है।

यह वह क्रूर कीमत है जो क्यूबा के लोग अपनी समाजवादी व्यवस्था के लिए चुकानी पड़ रही है।

  1. क्यूबा हमें दिखाता है कि एक और दुनिया संभव है

क्यूबा एक उदाहरण है कि पूंजीवाद से परे भी एक भविष्य मौजूद है, और उस भविष्य के लिए संघर्ष करना फायदेमंद है।

क्यूबा की सरकार एक ऐसे लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करती है जो संयुक्त राज्य अमेरिका में हमारे लिए लगभग अज्ञात है। अपने अंतिम दिन में, हमने संसद के कई सदस्यों या नेशनल असेंबली ऑफ पीपल्स पावर-देश के सर्वोच्च राजनीतिक निकाय के सदस्यों से मुलाकात की। अमेरिका के विपरीत, इन सरकारी प्रतिनिधियों को वेतन नहीं मिलता है और न ही वे किसी ऐसे समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसके कुछ खास राजनीतिक हित हों। न ही उनके पास चुनाव अभियान होते हैं और न ही उन्हें अभियान के लिए धन मिलता है।

जैसा कि विधानसभा के एक सदस्य ने हमें बताया, "नीति कोई व्यवसाय नहीं है। यह उस क्रांतिकारी परियोजना की जिम्मेदारी है जिसे हमने बनाया है।"

क्यूबा में सरकारी अधिकारियों और समुदाय के सदस्यों के बीच लोकप्रिय परामर्श एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक सिद्धांत है। हर नए संभावित कानून पर इस प्रक्रिया के माध्यम से बहस की जाती है और उसे परिष्कृत किया जाता है, जिसमें 2022 में पारित नई परिवार संहिता भी शामिल है। क्यूबा के लोगों के बीच उच्च स्तर की राजनीतिक भागीदारी संभवतः इस लोकतांत्रिक परामर्श प्रक्रिया में उनके विश्वास के कारण है।

और नाकाबंदी के बावजूद, क्यूबा अपने लोगों की सेवा में अपने सीमित संसाधनों को जुटाता है, खासकर अपने सबसे कमजोर लोगों की सेवा के लिए वह ऐसा करता है। हम लगातार इस बात से आश्चर्यचकित थे कि क्यूबा ने इतने कम संसाधनों में कितना कुछ कर दिखाया है। हमने जिन अस्पतालों का दौरा किया, वहां हमारे प्रतिनिधिमंडल - जो लाभ कमाने वाली अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा और बीमा प्रणालियों में उलझे रहने के आदी थे - नाकाबंदी के कारण आई अत्यधिक कठिनाइयों के बावजूद मरीजों को व्यापक और गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्रदान करने के लिए कर्मचारियों के समर्पण से बेहद प्रभावित हुए।

हमने आर्टेमिसा प्रांत में क्विसिकुआबा कृषि शिविर का भी दौरा किया, जो बेघर लोगों के लिए एक सहायता प्राप्त केंद्र है, साथ ही उन बुजुर्गों के लिए भी जिन्हें अपने बुढ़ापे में सहायता की आवश्यकता है। चूंकि क्रांति के बाद क्यूबा में जमींदारी प्रथा समाप्त कर दी गई थी, इसलिए वहां बेघर होने वाली परिस्थितियां अमेरिका से अलग हैं। क्यूबा में, बेघर होने का कारण आमतौर पर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, शराब की लत या परिवार का समर्थन खोना है, न कि बेदखली।

क्विसिकुआबा निवासियों को आवास, नैदानिक र मनोवैज्ञानिक उपचार, दिन में तीन बार भोजन, कार्यशालाओं और दैनिक कार्यक्रम प्रदान किया जाता है। शिविर एक खेत में है जहा, निवासी मिलकर केले, शकरकंद और कसावा उगाने के साथ-साथ पशुधन की भी देखभाल करते हैं। शिविर निवासियों के बीच सामुदायिक माहौल को बढ़ावा दिया जाता है, और इसका प्राथमिक लक्ष्य उन्हें समाज में फिर से शामिल करने के लिए सुरक्षा और पुनर्वास करना है। क्विसिकुआबा जैसे सहायता प्राप्त केंद्रों को उनकी प्रांतीय सरकारों द्वारा सब्सिडी दी जाती है।

इस बीच अमेरिका में, पाच लाख से ज़्यादा लोग बिना किसी सरकारी सहायता के बेघर हैं, और ज़्यादातर बेघर आश्रयों की घटिया हालत का सामना करते हुए, वे अक्सर शरण लेने के बजाय सड़कों पर रहना पसंद करते हैं। यह अमेरिका में रहने की एक अमानवीय सच्चाई है - हमारी सरकार युद्ध पर और गाजा में इज़राइल के नरसंहार को वित्तपोषित करने के लिए अरबों डॉलर खर्च करती है, जबकि बेघरों की संख्या आसमान छू रही है, लोग बुनियादी ज़रूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं और बुनियादी ढाचा चरमरा रहा है।

लेकिन ऐसा होना ज़रूरी नहीं है। क्यूबा हमें दिखाता है कि एक और दुनिया संभव है, जहा लाभ के बजाय मानवता और जीवन की गरिमा को प्राथमिकता दी जाती है।

  1. हमें इस नई दुनिया के लिए लड़ते हुए निराशा को दृढ़ता से अस्वीकार करना होगा

फिर भी नाकाबंदी से पैदा हुई कठिनाइयों के बावजूद, हम इस बात से चकित थे कि क्यूबा के लोग हमारे प्रति कितने गर्मजोशी से पेश आए, अपनी क्रांति के बारे में बात करते समय वे कितने गर्व से भरे थे, और अमेरिकी नीति के आगे घुटने न टेकने की उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता ज़ाहिर थी। प्रतिनिधिमंडल के मेरे पसंदीदा हिस्सों में से एक हवाना में एक शोध संस्थान, जेनेटिक इंजीनियरिंग और जैव प्रौद्योगिकी केंद्र की यात्रा थी।

हमने जिस वैज्ञानिक से बात की, उसने बताया कि उसके जीवन का सबसे गौरवपूर्ण पल क्यूबा के कोविड-19 वैक्सीन में योगदान देना था। उन्होंने उस वैक्सीन का नाम "अब्दला" रखा, जो क्यूबा के राष्ट्रीय नायक जोस मार्टी द्वारा लिखी गई एक कविता के नाम पर रखा गया था, जिसमें शीर्षक वाला पात्र स्पेनिश कब्ज़े वालों के खिलाफ़ अपनी मातृभूमि नूबिया की रक्षा करता है। मार्टी ने वह कविता स्पेन के खिलाफ़ क्यूबा के दस साल के युद्ध के दौरान लिखी थी। लोगों के दिमाग में हमेशा संप्रभुता और राष्ट्रीय मुक्ति के लिए उनका संघर्ष सबसे आगे रहता है।

वैज्ञानिक ने हमसे कहा कि, "जब आपका विचार सही हो, तो आपको अंत तक लड़ना चाहिए।"

अमेरिका में रहने वाले एक व्यक्ति के रूप में मेरे लिए यह एक महत्वपूर्ण सीख थी, खास तौर पर अमिका यहा वामपंथ के कुछ क्षेत्रों में निराशावाद के स्तर को देखते हुए यह बेहतरीन सीख थी। अमेरिकी नाकाबंदी अब 60 साल से अधिक समय से लागू है। अब तक जीवित अधिकांश क्यूबाई लोगों ने अपना पूरा जीवन नाकाबंदी के तहत ही गुजारा है। अगर क्यूबा के लोग अपनी क्रांति के लाभों की रक्षा करने के लिए इतने दृढ़ हैं, अगर वे सबसे कठिन परिस्थितियों में भी क्रांतिकारी आशावाद की अपनी भावना को बनाए रखते हैं, तो हमारे पास निराश महसूस करने का कोई बहाना नहीं है कि हम किससे जूझ रहे हैं? वह भी अमेरिकी साम्राज्यवाद से लड़ने के बारे में उनका खया बेबाक है?

मेरा मानना है कि इस तरह की निराशावादिता हमारे लिए एक विलासिता है, लेकिन हमें इसे अस्वीकार करना चाहिए। निराशा साम्राज्य के दिल में रहने वालों के रूप में हमारी सामूहिक जिम्मेदारी से मुंह मोड़ना है। हमारी अपनी सरकार ने सदियों से क्यूबा के लोगों को कब्जे से लेकर मौजूदा नाकाबंदी तक बहुत कुछ लूटा है। अमेरिका की दुष्ट नीतियों का मुकाबला करना हमारी जिम्मेदारी है। लेकिन यह तभी होगा जब अमेरिकी साम्राज्यवाद को उखाड़ फेंका जाएगा, क्यूबा जैसे देशों को सलमात रहने और अपनी पूरी क्षमता से विकसित होने की इज़ाजत दी जाएगी। हम इसे सबसे पहले संगठित होकर करेंगे, ताकि हम साम्राज्यवाद को अंदर से कमजोर करने की क्षमता बना सकें। यह एक जिम्मेदारी है जिसे हम सभी साझा करते हैं क्योंकि हम खतरनाक जगह में रहते हैं। क्यूबा जैसी जगहों पर रहने वाले लोगों के लिए हमारा यही कर्तव्य है।

अमांडा यी ब्रुकलिन में रहने वाली एक पत्रकार और आयोजक हैं। वह लिबरेशन न्यूज़ की प्रबंध संपादक हैं और उनका लेखन मंथली रिव्यू ऑनलाइन, द रियल न्यूज़ नेटवर्क, काउंटरपंच और पीपल्स डिस्पैच में छप चुका है। उन्हें X @catcontentonly पर फ़ॉलो करें।

यह लेख ग्लोबट्रॉटर द्वारा तैयार किया गया था।

ाभार: पीपल्स डिस्पैच

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