संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में दी गई ख़तरनाक जलवायु परिवर्तन की चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र की एक नयी रिपोर्ट के अनुसार अगर दुनिया खतरनाक ‘ग्लोबल वार्मिंग’ से बचना चाहती है तो इस बात का ध्यान रखना होगा कि समय हाथ से निकलता जा रहा है।
2015 में हुए पेरिस जलवायु समझौते के बाद से ‘ग्लोबल वार्मिंग’ पर हुए शोध के सिलसिलेवार तरीके से प्रस्तुत सार पर यह रिपोर्ट आधारित है।
इसे स्विटजरलैंड के शहर ‘इंटरलेकन’ में जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट पर संयुक्त राष्ट्र की अंतर सरकारी समिति की एक सप्ताह तक हुई बैठक के अंत में मंजूरी दी गई है।
बैठक की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने प्रतिनिधियों को चेतावनी दी कि पृथ्वी ऐसे मोड़ पर पहुंच गई है, जहां से वापस नहीं जाया जा सकता। उन्होंने प्रतिनिधियों से कहा कि ‘ग्लोबल वार्मिंग’ की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहमति प्राप्त सीमा 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 फारेनहाइट) लांघने का खतरा है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन के जलने, वनों की कटाई और गहन कृषि के कारण कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का वैश्विक उत्सर्जन बढ़ता जा रहा है। ऐसा तब हो रहा है जब इसे कम करने की जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर दुनिया खतरनाक ‘ग्लोबल वार्मिंग’ से बचना चाहती है तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि समय निकलता जा रहा है।
वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों जैसे- मीथेन, कार्बन डाईऑक्साइड, ऑक्साइड और क्लोरो-फ्लूरो-कार्बन के बढ़ने के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में होने वाली वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। इसकी वजह से जलवायु परिवर्तन भी होता है।
ज्ञात हो कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ गई हैं। हवा में प्रदूषण के बढ़ते स्तर से सांस लेने की समस्याएं और फेफड़े के संक्रमण जैसी बीमारियां पनप रही है। इससे अस्थमा के रोगियों के लिए समस्या पैदा हो गई है। तेज़ गर्म हवाएं और बाढ़ भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में वृद्धि का एक कारण है।
(न्यूज़ एजेंसी एपी/भाषा के साथ)
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