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महिला आरक्षण विधेयक: उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस नेता की याचिका पर जवाब देने के लिए केंद्र को दो हफ्ते का समय दिया

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने केंद्र सरकार को यह समय उसके वकील कनु अग्रवाल के यह कहने पर दिया कि सरकार को व्यापक जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय चाहिए।
SC

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह एक कांग्रेस नेता की उस याचिका पर दो सप्ताह के भीतर जवाब दे, जिसमें नारी शक्ति वंदन अधिनियम-2023 को तत्काल लागू करने का अनुरोध किया गया है, ताकि इस साल होने वाले आम चुनाव से पहले लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की जा सकें।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने केंद्र सरकार को यह समय उसके वकील कनु अग्रवाल के यह कहने पर दिया कि सरकार को व्यापक जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय चाहिए।

याचिकाकर्ता जया ठाकुर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि अदालत को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी करना चाहिए कि कानून को आम चुनाव से पहले लागू किया जा सके।

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि अदालत इस स्तर पर कोई निर्देश पारित नहीं कर सकती और सिंह से केंद्र के जवाब का इंतजार करने के लिए कहा।

जब वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि वह इस मुद्दे पर एक याचिका दायर करना चाहते हैं, तो पीठ ने उनसे कहा कि उनकी याचिका, एक नया मामला होने के कारण, केवल प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ को ही सौंपी जा सकती है।

अदालत इस मामले की सुनवाई अब तीन सप्ताह बाद करेगी।

उच्चतम न्यायालय ने तीन नवंबर, 2023 को कहा था कि महिला आरक्षण कानून के उस हिस्से को रद्द करना अदालत के लिए ‘बहुत मुश्किल’ होगा, जो कहता है कि इसे जनगणना के बाद लागू किया जाएगा।

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