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निर्माण क्षेत्र में पुरुषों की तुलना में महिला श्रमिकों को मिलती है 30-40 प्रतिशत कम मज़दूरी: रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘‘इस क्षेत्र में महिलाएं मुख्यतः कम वेतन वाले एवं बेहद ख़तरनाक कार्यों में ही तैनात हैं। ईंट-भट्ठा, पत्थर की खदान, स्लैब ढलाई, ढुलाई और सहयोगी कार्यों में उनकी मौजूदगी ज़्यादा है।’’
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फ़ोटो साभार: पीटीआई

निर्माण एवं रियल एस्टेट क्षेत्र में असंगठित महिला कामगारों को पुरुष श्रमिकों की तुलना में 30-40 प्रतिशत तक कम मजदूरी मिलती है। इस क्षेत्र में महिला एवं पुरुष असमानता पर जारी एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है।

सलाहकार फर्म प्राइमस पार्टनर्स और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की तरफ से सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू निर्माण एवं रियल एस्टेट क्षेत्र में काम करने वाले कुल 5.7 करोड़ लोगों में सिर्फ 70 लाख महिलाएं हैं जो कुल संख्या का सिर्फ 12 प्रतिशत है।

कुल कामगारों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व आनुपातिक रूप से कम होने के साथ ही उन्हें पारिश्रमिक या मजदूरी भी तुलनात्मक रूप से कम मिलती है। रिपोर्ट कहती है कि पुरुष कामगारों की तुलना में महिला कामगारों को 30 प्रतिशत से लेकर 40 प्रतिशत तक कम मजदूरी मिलता है।

रिपोर्ट कहती है, ‘‘यह आंकड़ा निर्माण एवं रियल एस्टेट क्षेत्र में मौजूद लैंगिक असमानता को दर्शाता है।’’

निर्माण क्षेत्र में कार्यरत महिला कामगारों का औसत पारिश्रमिक 26.15 रुपये प्रति घंटे है जबकि पुरुषों को प्रति घंटे 39.95 रुपये का मिलते हैं।

जहां तक प्रबंधन स्तर के पदों पर महिलाओं की भागीदारी का सवाल है तो निर्माण क्षेत्र की कंपनियों में सिर्फ दो प्रतिशत महिलाएं ही प्रबंधन स्तर पर मौजूद हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के आगे बढ़ने की राह में मौजूद गतिरोध इस क्षेत्र में उनके लिए अवरोधक के तौर पर काम करते हैं।

निर्माण एवं रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनियों के शीर्ष प्रबंधन स्तर पर महिलाओं की भागीदारी महज एक-दो प्रतिशत तक सीमित है। सलाहकार फर्म ने रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘‘इस क्षेत्र में महिलाएं मुख्यतः कम वेतन वाले एवं बेहद खतरनाक कार्यों में ही तैनात हैं। ईंट-भट्ठा, पत्थर की खदान, स्लैब ढलाई, ढुलाई और सहयोगी कार्यों में उनकी मौजूदगी ज्यादा है।’’

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