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भयावह जल संकट की चपेट में चेन्नई, पानी के बिना लोग बेहाल

2017 के उत्तर-पूर्व मानसून के दौरान कम बारिश होने और 2018 में भी मानसून की भारी कमी के कारण भूजल में कमी आई है और कई प्रमुख जल निकाय सूखने के करीब है।
Chennai
फोटो साभार: NDTV

गली-मुहल्लों में पानी-टैंकरों के आने पर पानी भरने के लिए बर्तनों को लेकर दौड़ते लोग, कतार में अपनी बारी का इंतजार करती महिलाएं और घरों में सूखे पड़े नल, यह नजारा है देश के सबसे बड़े महानगरों में शामिल चेन्नई का, जो वर्तमान में भयावह जल संकट से जूझ रहा है। 

शहर के कई बाशिंदों के लिए रोजाना स्नान करना दुर्लभ हो गया है। कपड़े और बर्तन धोने के लिए पर्याप्त पानी मिलना एक सपना बन गया है।

मध्य चेन्नई के एक निवासी कुमार बी दास ने कहा कि वह बोतलबंद पेयजल खरीदने के लिए पैसा खर्च करने के अलावा प्रति माह पानी के टैंकरों पर लगभग 2,500 रुपये खर्च कर रहे हैं।
आईटी पेशवर ने कहा, ‘‘मैंने बर्तनों को इस्तेमाल के बाद कपड़े या टिश्यू पेपर से पोंछकर दोबारा इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इससे पानी की बहुत बचत होती है। बॉडी स्प्रे से काम चलाता हूं।’’

एक आवासीय एसोसिएशन के सदस्य रवींद्रनाथ ने कहा कि उन्हें जल आपूर्ति के लिए निजी टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ता है क्योंकि सरकारी टैंकरों को दो से तीन हफ्ते लग जाते हैं।

उन्होंने दावा किया कि निजी आपूर्तिकर्ताओं ने दरों में बढ़ोतरी की है और प्रति ट्रक पानी के लिए 3,000 से 5,000 रुपये की मांग कर रहे हैं।

यहाँ तक की चेन्नई मेट्रो रेल लिमिटेड (CMRL) ने कथित तौर पर पानी की खपत को कम करने के लिए मेट्रो स्तातिओंस पर एयर कंडीशनिंग को बंद करना शुरू कर दिया है।

2017 के उत्तर-पूर्व मानसून के दौरान कम बारिश होने और 2018 में भी मानसून की भारी कमी के कारण भूजल में कमी आई है और कई प्रमुख जल निकाय सूखने के करीब है। इसके चलते लोगों को अब जल-टैंकर के संचालकों पर निर्भर होना पड़ रहा है, जिसके सहारे वे अपना दैनिक काम चला रहे हैं। 

इस संकट के बीच, प्रदेश के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी, उप मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम, कई मंत्रियों और अधिकारियों ने बुधवार को जल आपूर्ति की समीक्षा करने के लिए एक बैठक की है।

(इनपुट भाषा के साथ )

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