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किसान स्मारक समेत कई मांगों को लेकर SKM करेगा प्रदर्शन, 16 फरवरी को ग्रामीण बंद का आह्वान!

“किसान सेनानियों का बलिदान भारत के संविधान में निहित लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद और समाजवाद के सिद्धांतों के फलने-फूलने के लिए मूल्यवान है इसलिए उन किसानों की याद में स्मारक स्थापित करना भारत के लोगों की ज़िम्मेदारी है।”
SKM Convention

मंगलवार, 16 जनवरी को पंजाब के जालंधर में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) का अखिल भारतीय किसान सम्मेलन हुआ। ये सम्मलेन जालंधर के बाबा ज्वाला सिंह ऑडिटोरियम, देश भगत यादगार स्मारक में आयोजित हुआ। इस सम्मलेन में 16 फरवरी 2024 को पूरे भारत में 'कॉरपोरेट लूट' के ख़िलाफ़ ग्रामीण बंद और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया गया। इसके साथ ही सम्मलेन के ज़रिए दिल्ली बॉर्डर, जहां किसानों ने 13 महीनों तक आंदोलन किया, वहां पर शहीद किसान स्मारक बनाने की मांग की गई।

किसान संगठनों ने दिल्ली और हरियाणा की राज्य सरकारों से 736 शहीद किसानों के सम्मान में दिल्ली सीमा पर किसान शहीद स्मारक बनाने के लिए उपयुक्त भूमि प्रदान करने की अपील की है। इसके अलावा संगठन ने देश भर के किसानों से अपील की है कि वे भी स्मारक की इस मांग के समर्थन में दोनों राज्य के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखें।

किसान संगठनों ने कहा, "ऐतिहासिक किसान आंदोलन आज़ादी के बाद से अब तक का सबसे लंबा आंदोलन था। यह संघर्ष 26 नवंबर 2020 से 11 दिसंबर 2021 तक दिल्ली के सिंघु बॉर्डर, राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर, पटिकरी, गाज़ीपुर, पलवल, ढासा, सुन्हेड़ा और शाहजहांपुर बॉर्डर्स पर आयोजित किया गया था। दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के संघर्ष ने उन तीन काले कानूनों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो खाद्य सुरक्षा पर कॉरपोरेट नियंत्रण को बढ़ावा देने वाले थे।”

SKM ने इस स्मारक की ज़रूरत को लेकर कहा कि "इस व्यापक आंदोलन से केंद्रीकृत राज्य शक्ति के ख़िलाफ़ जनवाद और जन आंदोलन में जनता का विश्वास बढ़ाने में मदद मिली। साथ ही इस आंदोलन ने औपनिवेशिक एवं सामंती सामाजिक व्यवस्था के ख़िलाफ़ स्वतंत्रता के लिए दशकों लंबे ऐतिहासिक संघर्ष की याद दिलाई जिसने भारतीय गणराज्य के निर्माण को हासिल किया।”

SKM ने कहा, “उन किसान सेनानियों का बलिदान भारत के संविधान में निहित लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद और समाजवाद के सिद्धांतों के फलने-फूलने के लिए मूल्यवान है, इसलिए उन किसानों की याद में एक उपयुक्त स्मारक स्थापित करना भारत के लोगों की ज़िम्मेदारी है। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होगा और उन्हें किसी भी प्रकार के अन्याय और शोषण के ख़िलाफ़ संघर्ष का रास्ता  दिखाएगा।"

इस सम्मेलन में किसानों, श्रमिकों और आम लोगों से 26 जनवरी 2024 को गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर/वाहन परेड को सफल बनाने की अपील की गई।

सम्मलेन के बाद SKM ने अपने बयान मे कहा, "कॉरपोरेट समर्थक और किसान विरोधी भाजपा सरकार को सज़ा देने के लिए देश भर के किसानों से अपील की गई। सरकार ने किसानों को खेती से बाहर करने के लिए नीतियां बनाई और लागू की हैं।”

किसान संगठनों ने उत्पादक सहकारी समितियों और अन्य जन-केंद्रित मॉडलों पर आधारित कृषि और कृषि आधारित औद्योगिक विकास की एक वैकल्पिक नीति की मांग की ताकि किसानों को लाभकारी मूल्य, श्रमिकों को सम्मानजनक जीवन के लिए उचित मज़दूरी और सभी वर्गों के लोगों के लिए पेंशन सहित सामाजिक सुरक्षा मिल सके।

किसान संगठनों ने अपनी मांगे दोहराई और कहा कि जब तक केंद्र सरकार सभी मांगों को पूरा नहीं करती तब तक संघर्ष जारी रहेगा। किसानों की मांगे इस प्रकार हैं:

* गारंटीकृत खरीद के साथ सभी फसलों के लिए C2+50% की दर से न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाए।

* केंद्रीय गृह मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त किया जाए और लखीमपुर खीरी में किसानों के नरसंहार के लिए उन पर मामला दर्ज किया जाए।

* छोटे और मध्यम किसान परिवारों की क़र्ज़ मुक्ति के लिए व्यापक ऋण माफी योजना लाई जाए।

* सार्वजनिक क्षेत्र में व्यापक फसल बीमा, श्रमिकों के लिए प्रति माह न्यूनतम मज़दूरी 26,000 रुपये की जाए। 4 श्रम संहिताओं को निरस्त किया जाए।

* रेलवे, रक्षा, बिजली सहित सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण बंद किया जाए।

* प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 200 दिनों के काम और दैनिक वेतन के रूप में 600 रुपये के साथ मनरेगा को मजबूत किया जाए।

* पुरानी पेंशन योजना को पुनः बहाल किया जाए।

* एलएआरआर अधिनियम 2013 (भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013) को सख्ती से लागू किया जाए।

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