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अर्जेंटीना में सार्वजनिक शिक्षा की रक्षा में निकाला गया विशाल मार्च

2 अक्टूबर को शिक्षा की रक्षा में जो राष्ट्रीय मार्च आयोजित किया गया वह माइली के कठोर नवउदारवादी निर्णयों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन था, फिर भी लिबरटियन राष्ट्राध्यक्ष ने आम जनता की मांगों के आगे झुकने से इनकार कर दिया है।
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ब्यूनस आयर्स का केंद्र जेवियर माइली से वित्तीय कानून को मंजूरी देने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों से पूरी तरह भरा हुआ था। फोटो: CONADU

2 अक्टूबर को अर्जेंटीना की सड़कों पर लाखों प्रदर्शनकारियों ने उतर कर मांग की कि जेवियर माइली की नवउदारवादी सरकार सार्वजनिक विश्वविद्यालय शिक्षा के वित्तपोषण को तबाह करने के अपने प्रयासों को बंद करे।

इस मार्च में, कई राजनीतिक दल, सामाजिक आंदोलन, यूनियन और मानवाधिकार संगठन छात्रों, प्रोफेसरों, स्नातकों और विश्वविद्यालय कर्मचारियों के साथ सड़कों पर उतरे और मांग की कि माइली विश्वविद्यालय वित्त-पोषण कानून को वीटो न करें, जो कानून अर्जेंटीना के विश्वविद्यालयों की जरूरतों को देखते हुए विश्वविद्यालय के बजट को बढ़ाने का एक ज़रिया है। इस कानून को पहले ही विधायिका में मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन अर्जेंटीना के राष्ट्रपति ने कहा है कि वह इस कानून को पूरी तरह से वीटो कर देंगे क्योंकि उन्हें यह कानून अपमानजनक और अव्यवहारिक लगता है। हालांकि, इस विषय पर कई विशेषज्ञों का मानना है कि, कानून को लागू करने से सकल घरेलू उत्पाद में मात्र (0.14 फीसदी) की सार्वजनिक खर्च में मामूली वृद्धि होगी।

प्रदर्शनकारियों की मुख्य चिंता यह है कि दक्षिण अमेरिकी देश में कई वर्षों से व्याप्त मुद्रास्फीति या बढ़ती महंगाई के बावजूद वेतन और काम-काज दोनों के लिए बजट में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है। संस्थानों की काम करने की क्षमता को कम करने के अलावा, यह विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की क्रय शक्ति में भी कमी का कारण बन गया है, जो उन्हें अन्य नौकरियां करने पर मजबूर करता है और इसलिए, उन्हें क्लास करने की तैयारी, शोध आदि के लिए समय कम मिलता है, जिसका मतलब है शैक्षणिक गुणवत्ता में कमी का आना। साथ ही, छात्र भी बजट में वृद्धि की मांग कर रहे हैं ताकि शोध में सुधार हो और शैक्षणिक बुनियादी ढांचे में अधिक निवेश हो सके। 2 अक्टूबर को एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "यह सरकार अस्थिर है, यह हमारी ओर, विश्वविद्यालय की ओर, शिक्षा की ओर, हमारे देश की प्रगति की ओर न तो देख रही है और न ही देखना चाहती है।"

सबसे बड़ा प्रदर्शन ब्यूनस आयर्स में हुआ, जहां आयोजकों के अनुसार, लाखों लोगों ने सड़कों पर मार्च किया। विशाल एवेनिडा डे मेयो मैदान खचाखच भरा हुआ था; भीड़ कासा रोसाडा (सरकार की सीट) से लेकर राष्ट्रीय कांग्रेस संसद तक फैल गई थी। निस्संदेह, यह माइली की बजट-कटौती नीतियों के खिलाफ अब तक का सबसे महत्वपूर्ण प्रदर्शन था। नेशनल फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी टीचर्स के महासचिव कार्लोस डे फियो ने प्रदर्शनकारियों से कहा, "हम पुलिस से कह रहे हैं कि उन्हें हमारा ख्याल रखना है और डेप्युटी और सीनेटरों को कानूनों की पुष्टि करनी है क्योंकि अन्यथा सरकार खुद ही अपना तख्तापलट करने जा रही है। यह तख्तापलट की कार्रवाई नहीं है, यह लोकतंत्र की सबसे सही अभिव्यक्ति है। तख्तापलट का मतलब है हुक्म जताते हुए शासन करना।"

हालांकि, ब्यूनस आयर्स में ही केवल लामबंदी नहीं हुई। रोसारियो, कॉर्डोबा और सैन मिगुएल डे तुकुमान जैसे शहरों में, हजारों लोगों ने सरकार को सचेत किया कि वे वित्तपोषण कानून के वीटो को स्वीकार नहीं करेंगे। कॉर्डोबा के प्लाजा वेलेज़ सरसफील्ड में आयोजकों ने एक विज्ञप्ति पढ़ी गई, जिसमें कहा गया कि "हम उन्हें हमारे सपने नहीं छीनने देंगे। हमारा भविष्य उनका नहीं है।" तुकुमान में, रेक्टर और कई डीन के नेतृत्व में मार्च नेशनल यूनिवर्सिटी से प्लाजा इंडिपेंडेंसिया तक आगे बढ़ा। गैर-शिक्षण संघ के सचिव एंजेल मोरालेस ने भीड़ से कहा, "राष्ट्रपति लोगों को अज्ञानी बनाने के लिए विश्वविद्यालय प्रणाली का निजीकरण करना चाहते हैं...हम इससे कभी सहमत नहीं होंगे।"

प्रदर्शनकारियों ने एक आधिकारिक दस्तावेज पेश किया जिसका शीर्षक था "लोकतंत्र और सामाजिक विकास का आधार, सार्वजनिक विश्वविद्यालय अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है," जिसमें चेतावनी दी गई है कि अर्जेंटीना के विश्वविद्यालयों में शैक्षिक वित्त पोषण का संकट है, यही कारण है कि वेतन में वृद्धि की जानी चाहिए अन्यथा विश्वविद्यालय कर्मचारियों में गरीबी की दर बढ़ जाएगी। इसके अलावा, विज्ञान के लिए निवेश की आवश्यकता होती है, और दस्तावेज़ के अनुसार अर्जेंटीना राज्य संवैधानिक रूप से विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिक विकास का समर्थन करने के लिए बाध्य है।

"सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में काम करने वालों का नुकसान असामान्य रूप से गंभीर है; शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का एक बड़ा प्रतिशत यदि निर्धन नहीं है तो भी वह गरीबी रेखा से नीचे वेतन हासिल कर रहा है। यह सार्वजनिक विश्वविद्यालय के मूल में से एक से समझौता करता है क्योंकि यह इसके संचालन के लिए आवश्यक शैक्षणिक, प्रशासनिक और सेवा संवर्गों की निरंतरता को खतरे में डालता है। उन्होंने दस्तावेज़ में लिखा कि, सरकार तीन तरीकों से राष्ट्रीय शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारी मानदंड को खत्म करना चाहती है, जो वेतन विवादों और कामकाजी परिस्थितियों को हल करने का मुख्य साधन है।"

मार्च के कुछ घंटों बाद, एक बहुत ही सीधे राजनीतिक इशारे में, माइली ने विश्वविद्यालय वित्तपोषण कानून को वीटो कर दिया। कार्यकारी के अनुसार, कानून "इस तरह के उपाय के वित्तीय प्रभाव पर विचार नहीं करता है और न ही इसके वित्तपोषण के स्रोत को निर्धारित करता है"। इस प्रकार, माइली न केवल उन लाखों अर्जेंटीनावासियों की उपेक्षा की है जो शांतिपूर्वक रवैये में बदलाव की मांग कर रहे थे, बल्कि अपने विरोधियों को एक स्पष्ट संदेश भी भेज रहे है: जब भी सार्वजनिक खर्च बढ़ाने की बात आती है, फिर भले ही वह न्यूनतम बढ़ोतरी क्यों न हो, तब भी कोई बातचीत संभव नज़र आती नहीं है।

ाभार: पीपल्स डिस्पैच

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