उत्तराखंड: केदारनाथ को लेकर 'हिंदुत्व के बने नए पोस्टर बॉय' धामी पड़े मुश्किल में
देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, जो हिंदुत्व के नए पोस्टर बॉय हैं, एक बड़े विवाद में फंस गए हैं, वह भी केदारनाथ धाम के मुद्दे पर, जो गढ़वाल हिमालय में मौजूद सबसे प्रतिष्ठित हिंदू धार्मिक स्थलों में से एक है।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उत्तर प्रदेश में अयोध्या लोकसभा सीट और उसके बाद उत्तराखंड में बद्रीनाथ विधानसभा उपचुनाव दोनों हार गई है, यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि ये दोनों ही स्थान हिंदू धर्म से जुड़े हुए हैं, केदारनाथ धाम पर विवाद का उठना पार्टी और मुख्यमंत्री धामी के लिए इससे बुरा समय नहीं लेकर आ सकता था।
यह विवाद, केदारनाथ से भाजपा विधायक शैला रानी रावत के निधन के एक दिन बाद शुरू हुआ, जिसके कारण उपचुनाव की जरूरत आन पड़ी थी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने दिल्ली के बुराड़ी इलाके में एक मंदिर के शिलान्यास समारोह की अध्यक्षता की, जिसका नाम प्रतीकात्मक रूप से केदारनाथ धाम रखा गया। यह खबर, जिसे मुख्यमंत्री ने खुद अपने सोशल मीडिया पर साझा किया था, केदारनाथ मंदिर के पुजारी समुदाय को पसंद नहीं आई, जिन्होंने मंदिर के बाहर धरना दे दिया।
उत्तराखंड चार धाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के महासचिव बृजेश सती ने आरोप लगाया कि सनातन धर्म के सबसे पूजनीय तीर्थस्थलों में से एक केदारनाथ के नाम का इस्तेमाल आर्थिक लाभ के लिए करना अपवित्रता है। उन्होंने कहा कि शिव मंदिर बनाने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन केदारनाथ की प्रतिकृति बनाने की इज़ाजत नहीं दी जानी चाहिए। पुरोहितों ने मांग की कि इस तरह की परियोजना को रोका जाना चाहिए और ऐसा न करने पर उत्तराखंड में सभी चार धामों – केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री – में आंदोलन तेज करने की धमकी दी गई है।
पुजारियों को डर था कि भगवान शिव को समर्पित केदारनाथ मंदिर में आने वाली बड़ी मात्रा में धनराशि दिल्ली के मंदिर में चली जाएगी और उन्होंने आरोप लगाया कि केदारनाथ मंदिर की तरह ही क्यूआर कोड के तहत पहले से ही धन एकत्र किया जा रहा है। उन्होंने सोमवार को रुद्रप्रयाग जिले के उखीमठ में नागरिक अधिकारियों के साथ बैठक की और केदारनाथ धाम की प्रतिकृति कर कहीं और मंदिर बनाने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध किया।
चमोली जिले के जोशीमठ इलाके में स्थित ज्योतिर्मठ के प्रमुख शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने केदारनाथ मंदिर से 228 किलो सोना चोरी करने का आरोप लगाते हुए मौजूदा सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने केदारनाथ धाम की नक़ल की है, जबकि यह स्थान आदि शंकराचार्य ने चुना था।
विवाद उठने के बाद भाजपा ने तर्क देने की कोशिश की कि बद्रीनाथ के इसी तरह के मंदिर का उद्घाटन पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने कार्यकाल के दौरान मुंबई में किया था, लेकिन इस पर ज्यादा विवाद नहीं उठा था।
खुद को विवाद में फंसा हुआ पाकर, वह भी सबसे प्रतिष्ठित हिंदू धार्मिक स्थलों में से एक के मुद्दे पर, मुख्यमंत्री धामी ने बैकफुट पर आते हुए कहा कि केदारनाथ धाम की नक़ल नहीं की जा रही है। उन्होंने मीडिया से कहा कि, "ज्योतिर्लिंग का स्थान एक ही है...मंदिर अनेक स्थान पर बने हैं।"
इस बीच, उत्तराखंड कांग्रेस ने इस मुद्दे पर उत्तराखंड सरकार पर पलटवार किया है। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि अयोध्या और बद्रीनाथ को खोने के बाद भाजपा ने कोई सबक नहीं सीखा है और सदियों पुरानी हिंदू परंपराओं को खत्म करने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि केदारनाथ धाम जो कि ‘सनातन हिंदुओं’ के 12 ‘ज्योतिर्लिंग धामों’ में से एक है, की नक़ल करने का कोई भी प्रयास बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली में केदारनाथ धाम मंदिर का निर्माण करने वाले ट्रस्ट में भाजपा से जुड़े लोग शामिल थे, जो पार्टी की इस काम में संलगन होने को दर्शाता है।
बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय को हस्तक्षेप करना पड़ा और स्पष्ट करना पड़ा कि केदारनाथ-बद्रीनाथ मंदिरों के नाम या फोटो का दुरुपयोग करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि केदारनाथ धाम की कोई प्रतिकृति बनाई नहीं जा सकती है।
दिल्ली के बुराड़ी स्थित केदारनाथ धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला ने भी स्पष्ट किया कि दिल्ली में मंदिर के निर्माण से उत्तराखंड सरकार का कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने मीडिया कर्मियों से कहा कि, "केदारनाथ धाम मंदिर सिर्फ़ मंदिर है, धाम नहीं है। उत्तराखंड सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। पुष्कर सिंह धामी हमारे अनुरोध पर शिलान्यास समारोह में शामिल हुए थे। वे हमारे निजी निमंत्रण पर इसमें शामिल हुए थे और इसका सरकार से कोई लेना-देना नहीं है।"
रौतेला ने कहा कि, "बद्रीनाथ धाम बॉम्बे में भी है और इसका उद्घाटन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किया था। वैष्णो देवी मंदिर और साईं बाबा मंदिर भी देश भर में मौजूद हैं। यह एक राजनीतिक स्टंट है और कुछ नहीं है।" उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ नेता इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं।
लेखक देहरादून, उत्तराखंड स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं। व्यक्त विचार निजी है।
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
Uttarakhand: New ‘Hindutva Poster Boy' Dhami in Soup Over Kedarnath
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