क्या ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच महानदी विवाद का राजनीतिकरण किया जा रहा है ?
छत्तीसगढ़ और केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी के खिलाफ महानदी के जल विवाद के मुद्दे को लेकर ओड़िसा की बीजू जनता पार्टी ने ‘जनसचेतना यात्रा’ शुरू करने का ऐलान किया है I ये यात्रा 16 मई से उन 15 ज़िलों से जाएगी जहाँ से होकर महानदी गुज़रती है I
इस अंतर्राष्ट्रीय विवाद की जटिलता को पीछे रखते हुए राजनीतिक दल राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने के प्रयास में है I जहाँ छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में चुनाव होंगे वहीँ दूसरी तरफ ओड़िसा में नवम्बर में निकाय चुनाव होंगे और मई 2019 में विधान सभा चुनाव होंगे I
पिछले कुछ सालों में छत्तीसगढ़ सरकार ने महानदी पर कई बाँध बना दिए, जिससे उस पानी को औद्योगिक प्रयोजन के लिए इस्तेमाल किया जा सके I अब तक आयी रिपोर्टों के अनुसार नदी पर बनाये गए 6 बाँध जिसमें कमला, सरदिही ,मिरोनी ,बसंतपुर, सेओरिनारायन और समोड़ा शामिल हैं, में 27.48 मिलियन एकड़ फुट पानी को इकठ्ठा क्या जा सकता है I इनके अलावा 7 और बाँध बनाए जा रहे हैं I
इसके खिलाफ 2016 में ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि इन बाँधों से हीराकुद बाँध में आने वाले पानी का बहाव रुकता है, जिससे राज्य की खेती ख़राब होती है I उन्होंने इस कार्य को रोकने की माँग की I जब केंद्र सरकार ने इस मुद्दे का कोई हल नहीं निकाला तो ओडिशा सरकार केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गयी I इसके बाद निचली अदालत ने अपने आदेश में केंद्र सरकार को महानदी ट्रिब्यूनल बनाने के को कहा I इसके बाद जल मंत्रालय ने इस साल मार्च में ट्रिब्यूनल बनाया I
महानदी घाटी छत्तीसगढ़ , ओड़िसा और झारखण्ड , महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के 1,41,589 किलोमीटर के इलाके में फैली है I न्यूज़क्लिक से बात करते हुए UNESCO के International Water Cooperation के अध्यक्ष और उस्मानिया विश्विद्यालय में Research School of International Water Cooperation के डायरेक्टर अशोक स्वेन ने कहा कि इस जल विवाद को दोनों राज्यों के नेताओं द्वारा दूर दृष्टि रखते हुए सुलझाना चाहिए और इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिये I
.इस विवाद में मुख्य सवाल 2 मुख्य दावों पर आधारित है पानी के ऐतिहासिक इस्तेमाल पर और बराबरी से इस्तेमाल पर स्वेन ने कहा “ओड़िशा छत्तीसगढ़ के द्वारा नदी पर बाँध बनाये जाने के खिलाफ इसीलिए है, क्योंकि ऐतिहासिक तौर पर वे पानी को इस्तेमाल करते रहे हैं, जबकी छत्तीसगढ़ का ये दावा है कि बाँध बनाने से नदी का पानी बराबरी से बटेगा, जो अब तक नहीं होता था I” उन्होंने कहा कि पानी की माँग बढ़ जाने की वजह से और कम होती आपूर्ति की वजह से ऊपरी राज्य नदी पर बाँध बनाये जा रहे हैं, जो कि दुनिया भर में एक चलन है I
स्वेन ने कहा “क्योंकि इस विवाद को सुलझाने के लिए कोई कानूनी समझौते नहीं है और ट्रिब्यूनल को भी ये मामला सुलझाने में कई साल लग जायेंगे I” Inter-State River Water Disputes Act, 1956 के अनुसार ट्रिब्यूनल को अपनी रिपोर्ट 3 साल के भीतर देनी होती है , ये समय सीमा 2 साल तक और बढाई जा सकती है I
भारत में जहाँ राज्यों के बीच जल विवाद को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है , वहीँ दूसरी तरफ गरीब किसानों और नदी के संरक्षण के मुद्दे पीछे छूटते जा रहे हैं I
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