अमेरिका और इज़रायल लेबनान में दूसरा मोर्चा खोलने को तैयार
फ़िलिस्तीन के सवाल पर चर्चा के लिए 4 नवंबर, 2023 को अम्मान में अमेरिका और पांच अरब विदेश मंत्रियों की एक संयुक्त बैठक हुई।
रविवार देर रात, दोहा में यूएस सेंट्रल कमांड [CENTCOM] के मुख्यालय से अपने "कर्तव्य के दायरे" के तहत ओहियो श्रेणी की अमेरिकी परमाणु पनडुब्बी के आगमन की घोषणा की जिससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि आगे चलकर फिलिस्तीन-इजरायल संघर्ष के आसपास के बढ़ते तनाव की स्थिति में महत्वपूर्ण वृद्धि हो सकती है।
अक्सर ऐसा बहुत कम होता है कि इस तरह की पनडुब्बियों के इस्तेमाल का प्रचार किया जाए। यद्द्पि, यूएस सेंट्रल कमांड ने इस बारे में कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं दी है लेकिन उसने एक फोटो पोस्ट की है, जिसमें स्पष्ट रूप से मिस्र की स्वेज नहर पुल में ओहियो श्रेणी की पनडुब्बी दिखाई गई है। दिलचस्प बात यह है कि यूएस सेंट्रल कमांड ने पश्चिम एशिया में सक्रिय परमाणु-सक्षम बी-1 बमवर्षक की भी एक फोटो अलग से साझा की है।
कुल मिलाकर, ये अमेरिकी तैनाती, क्रमशः पूर्वी भूमध्य सागर और लाल सागर में दो विमान वाहक और युद्धपोतों इसके साथ सैकड़ों उन्नत जेट लड़ाकू विमानों की उपस्थिति, "समीकरण के दूसरे पक्ष" में नजर रख रही है। जैसा कि गृह सचिव एंटनी ब्लिंकन ने अपनी हाल ही की तेल अवीव की यात्रा के दौरान शुक्रवार को हमास, हिजबुल्लाह और ईरान का विचित्र रूप से जिक्र किया।
इसी से संबंधित घटनाक्रम में, शायद, सीआईए निदेशक, विलियम बर्न्स तत्काल परामर्श के लिए रविवार को इसराइल आए थे। न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया कि अमेरिका "इसरायल के साथ अपनी खुफिया जानकारी साझा करने का विस्तार करना चाहता है।"
संभवतः, अमेरिकी परमाणु पनडुब्बी की तैनाती का सबसे बड़ा स्पष्टीकरण यह हो सकता है कि यह पेंटागन के उन "तीन परमाणु हथियारों" का हिस्सा है – जिसमें ओहियो श्रेणी की बोट्स अमेरिकी नौसेना के लिए अब तक बनाई गई सबसे बड़ी पनडुब्बियां हैं – इसके ज़रिए बाइडेन प्रशासन हिजबुल्लाह को लेबनान से बाहर निकालने के लिए युद्ध बढ़ाने की तैयारी कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप ईरान भी इसमें कूद सकता है।
विडंबना यह है कि, यह वर्ष अक्टूबर 1983 में बेरूत अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे में अमेरिकी बलों के आवास वाले बैरक पर हुए आत्मघाती बम विस्फोट की 40वीं वर्षगांठ का वर्ष भी है, जिसमें 220 नौसैनिक, 18 नाविक और तीन सैनिक मारे गए थे, जिसके कारण अमेरिका को लेबनान से वापसी पर मजबूर होना पड़ा था। (मेरा ब्लॉग हिज़्बुल्लाह टेक्स टु द हाई ग्राउंड देखें।)
यह साफ है कि, पश्चिम एशिया की वर्तमान हालत में अमेरिकी रणनीति कूटनीति के रास्ते से पीछे हट रही है, जो वैसे भी अपनी पकड़ खो चुकी है। लड़ाई में "मानवीय विराम" की ओर ध्यान भटकाकर इसराइल के भयानक युद्ध अपराधों की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय आलोचना को संबोधित करने के ब्लिंकन के हताश भरे प्रयासों को नेतन्याहू ने अनाप-शनाप तरीके से खारिज कर दिया है।
मुद्दा यह है कि गज़ा और उसके लोगों पर तोपखाने और बमों से हमला करने के बाद, इसरायली सेना शुक्रवार को आगे बढ़ गई है। अब तक जो पता चला है वह यह कि यह गज़ा शहर के बाहरी इलाके में आगे बढ़ी है, लेकिन अभी तक हमास के गढ़ में प्रवेश नहीं किया है। ऐसा होने पर शहर में भयंकर लड़ाई हो सकती है।
समान रूप से, युद्ध के बाद के गज़ा के बारे में अमरीकी प्रशासन ने जल्दबाज़ी में जो अस्पष्ट रूपरेखा अपनाई है जिसमें एक पुनर्जीवित फिलिस्तीनी प्राधिकरण, एक शांति सेना आदि का संयोजन हो सकता है, लेकिन सप्ताह के अंत में अम्मान में जॉर्डन, मिस्र, सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात के अरब विदेश मंत्रियों के साथ ब्लिंकन की हुई बैठक में इसे उत्साह के साथ नहीं देखा गया, जिन्होंने इसके बजाय तत्काल युद्धविराम की मांग की, जबकि ब्लिंकन ने कहा कि वाशिंगटन इस पर जोर नहीं देगा।
ब्लिंकन अम्मान से रामल्ला गए, जहां ‘फ़िलिस्तीन प्राधिकरण के प्रमुख महमूद अब्बास ने भी उन्हें यह कहते हुए शांत कर दिया कि फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण केवल "व्यापक राजनीतिक समाधान" के ढांचे में गज़ा पट्टी की पूरी जिम्मेदारी लेने को तैयार होगा, जिसमें वेस्ट बैंक, पूर्वी येरुशलम और गज़ा भी शामिल होंगे - और, इसके अलावा, सुरक्षा और शांति केवल "फिलिस्तीन राज्य" के इलाकों पर कब्जे को समाप्त करके और पूर्वी येरुशलम को इसकी राजधानी के रूप में मान्यता देकर ही हासिल की जा सकती है। बैठक एक घंटे से भी कम समय तक चली और किसी सार्वजनिक बयान के बिना समाप्त हो गई।
इस बीच, चीन और यूएई ने तत्काल युद्धविराम की एक और कोशिश में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक बंद कमरे में बैठक बुलाई है, जिसका बाइडेन प्रशासन निश्चित रूप से विरोध करेगा। यह कहना काफी होगा कि बाइडेन प्रशासन खुद को फंसा हुआ महसूस कर रहा है और इससे बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता जबरदस्ती कुछ रास्ता निकालना है।
मुस्लिम देशों के बीच नए क्षेत्रीय समीकरण उभरते देख अमेरिका हताशा से दिख रहा है। ईरान और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों ने आज फिर फोन पर बातचीत की। ओआईसी ने बाद में घोषणा की कि फ़िलिस्तीनी लोगों पर इज़राइल के हमलों पर चर्चा करने के लिए वर्तमान अध्यक्ष, सऊदी अरब के अनुरोध पर 12 नवंबर को रियाद में एक असाधारण शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
निश्चित रूप से, बीजिंग की मध्यस्थता में ईरान-सऊदी मेल-मिलाप ने क्षेत्रीय सुरक्षा माहौल को गहरे तौर पर बदल दिया है, जिसमें क्षेत्रीय देश स्पष्ट रूप से बाहरी हस्तक्षेप के बिना अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढना पसंद कर रहे हैं, और अपने प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए अमेरिका द्वारा प्रचारित पुराने मतभेद और ज़ेनोफोबिया को कोई महत्व नहीं दिया गया है और उनके प्रभुत्व को कोई भी बर्दाश्त करने वाला नहीं है।
जैसे ही गज़ा में मरने वालों की संख्या 10,000 से अधिक हुई, मुस्लिम जगत में भावनाएं वास्तव में चरम पर पहुँच गई हैं। ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने आज कहा कि "सभी सबूत और संकेत गज़ा में युद्ध चलाने में अमेरिकियों की प्रत्यक्ष भागीदारी को दर्शाते हैं"। खामेनेई ने कहा कि जैसे-जैसे युद्ध आगे बढ़ेगा, अमेरिका की प्रत्यक्ष भूमिका के पीछे के कारण और अधिक स्पष्ट हो जाएंगे।
फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी, जो इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स की करीबी है, ने यह भी खुलासा किया कि खामेनेई ने हमास के राजनीतिक ब्यूरो के प्रमुख, इस्माइल हनिएह के साथ "तेहरान में हालिया बैठक" की, जहां उन्होंने बाद में बताया गया कि तेहरान का समर्थन विद्रोही समूहों के लिए "स्थायी नीति का हिस्सा है।"
जाहिर है, तेहरान को अब प्रतिरोध समूहों के साथ अपने भाईचारे के संबंधों को स्वीकार करने में कोई समस्या नहीं दिखती है। यह ताकतों के संतुलन में आई गतिशीलता में बदलाव का संकेत देने वाला एक आदर्श बदलाव है, जिसे अमेरिका और इसराइल बल के इस्तेमाल के माध्यम से मुकाबला करने पर मजबूर हैं, इसलिए वाशिंगटन की कूटनीति ईरान को अलग-थलग करने में विफल रही है।
इसरायली जनरल स्टाफ के प्रमुख हरजी हलेवी ने रविवार को उत्तरी कमान में एक बैठक के दौरान कहा, ''हम किसी भी समय उत्तर में हमला करने को तैयार हैं। हम समझते हैं कि ऐसा हो सकता है... हमारे पास न केवल गज़ा पट्टी में, बल्कि सीमाओं पर भी बेहतर सुरक्षा स्थिति बहाल करने का स्पष्ट लक्ष्य है।
दुनिया की कोई भी ताकत अब इसराइल को उसके रास्ते पर बढ़ने से नहीं रोक सकती है। इसकी स्थिरता और रक्षा इस युद्ध से अविभाज्य रूप से जुड़ी हुई है, जो निकट भविष्य के लिए अमेरिकी वैश्विक रणनीतियों के प्रमुख टेम्पलेट के रूप में इसकी सुरक्षा के प्रति अमेरिकी प्रतिबद्धता को भी सुनिश्चित करेगी। इसलिए, इसराइल के बचने की सबसे अच्छी संभावना गज़ा में युद्ध के दायरे को लेबनान तक और संभवतः सीरिया तक भी विस्तारित करने में है – जिसे अमेरिकियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पूरा किया जाएगा।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि स्वेज़ नहर के पूर्व में अमेरिकी परमाणु पनडुब्बी का स्थान ईरान को हस्तक्षेप करने से डराने का एक प्रयास हो सकता है, जबकि इसराइल, अमेरिका के समर्थन से, लेबनान में दूसरा मोर्चा खोलने के लिए आगे बढ़ रहा है। इसरायली अधिकारियों ने लेबनान की सीमा से पांच किलोमीटर तक के क्षेत्र में स्थित बस्तियों से लोगों को निकालने की घोषणा की है।
पश्चिम एशिया में अनिश्चित समय तक युद्ध चलने वाला है। जैसे ही जिहाद का आह्वान शुरू होता है, अनिवार्य रूप से, कोई नहीं जानता कि 80 वर्षीय अमेरिकी राष्ट्रपति इस पर कैसी प्रतिक्रिया देंगे।
नहीं, यह विश्व युद्ध में नहीं बदलेगा। यह केवल पश्चिम एशिया में लड़ा जाएगा, लेकिन इसके नतीजे एक नई बहुध्रुवीय विश्व-व्यवस्था के निर्माण पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेंगे। पिछले साल फरवरी में यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से एक महीने में अमेरिकी प्रभाव में तेजी से गिरावट आई है और अत्यधिक अस्थिर वैश्विक माहौल दिखाई दे रहा है।
एम.के. भद्रकुमार एक पूर्व राजनयिक हैं। वे उज़्बेकिस्तान और तुर्की में भारत के राजदूत रह चुके हैं। व्यक्त विचार निजी हैं।
साभार: इंडियन पंचलाइन
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।