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दिल्ली: बुराड़ी अस्पताल में सफाई कर्मचारियों का अनिश्चितकालीन धरना, वेतन में देरी और यौन शोषण के गंभीर आरोप!

सफाई कामगार यूनियन ने कॉन्ट्रैक्ट कंपनी ग्लोबल वेंचर को हटाने और सभी आरोपी अधिकारियों को निलंबित करने और कर्मचारियों के अधिकारों और हितों को सुनिश्चित करने की मांग भी की है।
Sanitation Workers strike

दिल्ली का बुराड़ी सरकारी अस्पताल एक बार फिर सुर्खियों में है। बीते दिनों अस्पताल की आउटसोर्स महिला कर्मचारियों ने अधिकारियों पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए थे। जिसके बाद इस मामले में स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता में तत्काल जांच समिति का गठन किया गया था। अब इस अस्पताल के अनुबंधित सफाई कर्मचारियों ने वेतन न मिलने पर नाराजगी जताते हुए मंगलवार, 16 जनवरी से काम बंद कर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। कर्मचारियों का आरोप है कि प्रशासन एक तो वेतन देने में देरी कर रहा है, वहीं उनके वेतन में भी कटौतियां की जा रही है।

बता दें कि कोरोना काल के दौरान साल 2020 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने बुराड़ी के इस नए 450 बेड के अस्पताल का उद्घाटन किया था, जिसमें बाद में 700 बेड और बढ़ाने का काम किया गया। फिलहाल इस अस्पताल के सभी सफाई कर्मचारी “ग्लोबल वेंचर” कंपनी के अंतर्गत अनुबंध पर कार्यरत हैं और बीते डेढ़ महीने से इन्हें वेतन नहीं मिला।

ज्यादातर दलित महिलाएं कार्यरत

धरने पर बैठे सफाई कर्मचारियों ने न्यूज़क्लिक को बताया कि अस्पताल में लगभग 100 से अधिक सफाई कर्मचारी कार्यरत हैं। जिसमें अधिकांश महिलाएं हैं जो ज्यादातर दलित समाज से आती हैं। इनकी रोज़ी-रोटी और घर चलाने का एकमात्र साधन यहां की कमाई ही है। ऐसे में अगर वेतन ही समय से न मिले तो घर की आर्थिक स्थिति पूरी तरह चरमरा जाती है और दो रोटी के भी लाले पड़ जाते हैं। ऊपर से प्रशासन द्वारा ट्रांसफर कर देने, काम करने के दिन न देने आदि की बातें कहकर अलग तरीके से प्रताड़ित किया जाता है।

इन सफाई कर्मचारियों की आवाज़ को सशक्त तरीके से उठाने वाले संगठन सफाई कामगार यूनियन ने भी अपने बयान में बुराड़ी प्रशासन और कॉन्ट्रैक्ट कंपनी ग्लोबल वेंचर पर साठगांठ का आरोप लगाते हुए इन सफाई कर्मचारियों की दिक्कतों को लगातार नजरअंदाज करने की बात कही है। संगठन ने ग्लोबल वेंचर को हटाने और सभी आरोपी अधिकारियों को निलंबित करने और कर्मचारियों के अधिकारों और हितों को सुनिश्चित करने की मांग भी की है।

सफाई कामगार यूनियन के एग्ज्यूकेटिव कमेटी के मेंबर हरीश गौतम ने न्यूज़क्लिक से कहा कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज के संज्ञान के बावजूद इस मामले में अभी तक कोई सकारात्मक कार्रवाई सामने नहीं आई है। अस्पताल में कार्यरत महिला अनुबंध कर्मियों के साथ बदसलूकी का आरोप गंभीर है, लेकिन इस मामले में भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं दिखाई देती। इन सभी के घरों की स्थिति ठीक नहीं है और यही कारण है कि तमाम दिक्कतों के बावजूद ये यहां काम करने को मजबूर हैं। ऐसे में इनके लिए अनुकूल परिस्थिति बनाना शासन-प्रशासन का काम है।

वेतन में देरी भी, कटौती भी

धरने पर बैठे कई कर्मचारियों का कहना है कि लंबे समय से इस अस्पताल में काम करने के बावजूद अभी तक उन्हें अपने मूल वेतन तक की जानकारी नहीं है। शुरुआती दिनों में कभी 9 तो कभी 10 हज़ार रुपए मिल जाते थे। इसके अलावा अभी 14 हज़ार के आस-पास वेतन मिल रहा है, लेकिन उनका कहना है कि ये बाकी जगहों के मुकाबले कम है और आज की महंगाई के हिसाब से बिल्कुल न्यायोचित नहीं है।

कई कर्मचारी सुपरवाइजर द्वारा प्रताड़ित किए जाने से बहुत परेशान हैं। उनका मानना है कि उन्हें हमेशा डरा-धमका कर काम करवाया जाता है। अगर कहीं कोई आवाज़ उठा भी दे, तो उसे तबादले की धमकी दे दी जाती है। इन कर्मचारियों की कई और भी समस्याएं हैं, जैसे अवकाश, काम के दिन और अन्य सुविधाएं लेकिन इस तक अभी किसी का ध्यान जा ही नहीं पा रहा। क्योंकि ये कर्मचारी बीते लंबे समय से कभी भुगतान में देरी तो कभी महिला कर्मियों से बदसलूकी को लेकर ही संघर्ष कर रहे हैं।

गौरतलब है कि इस अस्पताल के यौन शोषण मामले में पहले एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है, लेकिन यहां कि महिला कर्मचारियों का दावा है कि जिन अधिकारियों पर महिलाओं के साथ उत्पीड़न करने के आरोप लगे थे, मुकदमा दर्ज हुआ था, वो आज़ाद हैं। लेकिन ये महिलाएं डर-डर के अपना काम करने को मजबूर हैं। वैसे ये विडंबना ही है कि राजधानी दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में इतना कुछ घटित हो रहा है और शासन-प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। और यही कारण है कि ये कर्मचारी अब अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए मजबूर हैं।

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