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पीसीआई ने ‘द कारवां’ को सेना से जुड़ी स्टोरी को लेकर कारण बताओ नोटिस भेजा

काउंसिल ने पत्रिका से स्पष्टीकरण मांगा है। यह नोटिस 1 अक्टूबर को जारी किया गया था, और जवाब 14 अक्टूबर तक देने के लिए कहा गया है।
The Caravan

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने द कारवां पत्रिका को जम्मू-कश्मीर में सेना द्वारा नागरिकों की कथित हत्या से जुड़ी एक रिपोर्ट पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इससे पहले पत्रिका को आईटी अधिनियम के तहत एक नोटिस मिला था, जिसमें उसे इस रिपोर्ट को अपनी वेबसाइट से हटाने के लिए कहा गया था।

पीसीआई ने द कारवां पत्रिका को उसकी एक रिपोर्ट के संबंध में कारण बताओ नोटिस भेजा है। काउंसिल ने पत्रिका से स्पष्टीकरण मांगा है। यह नोटिस 1 अक्टूबर को जारी किया गया था, और जवाब 14 अक्टूबर तक देने के लिए कहा गया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, द कारवां ने 12 अक्टूबर को जवाब दिया। 15 अक्टूबर को पत्रिका ने अपनी वेबसाइट पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया का नोटिस और अपना जवाब दोनों सार्वजनिक किए हैं।

यह विवाद पत्रिका के फरवरी अंक में प्रकाशित पत्रकार जतिंदर कौर तूर की रिपोर्ट से जुड़ा है, जिसका शीर्षक था 'स्क्रीम्स फ्रॉम द आर्मी पोस्ट'। यह एक लंबी रिपोर्ट थी।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के उप सचिव अमरेंद्र सिंह की शिकायत के बाद वैधानिक निकाय द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। पत्रिका के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए सिंह ने अपनी शिकायत में दावा किया कि पत्रिका ने एक “भ्रामक” और “एकतरफा” लेख प्रकाशित किया था। शिकायत में कहा गया है, “यह प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पत्रकारिता आचार संहिता 2022 का उल्लंघन करता प्रतीत होता है, जो विशेष रूप से (i) सटीकता और निष्पक्षता (ii) अनुमान, टिप्पणी और तथ्य (iii) खोजी पत्रकारिता (iv) सर्वोपरि राष्ट्रीय हित और (v) प्रकाशन-पूर्व सत्यापन से संबंधित है।”

द कारवां के अनुसार, यह रिपोर्ट 22 दिसंबर, 2023 को जम्मू-कश्मीर के पुंछ और राजौरी जिलों में भारतीय सेना के जवानों द्वारा नागरिकों पर किए गए अत्याचारों से संबंधित है, जिसमें घायल होने के कारण तीन लोगों की मौत हो गई थी।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय के एक आदेश के कारण यह रिपोर्ट अब पत्रिका की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है।

पत्रिका द कारवां का उत्तर

द कारवां ने अपने उत्तर में कहा है, "हम प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा सात महीने बाद कारण बताओ नोटिस जारी करने के फैसले से हैरान हैं। शिकायत की प्राथमिक जांच से यह स्पष्ट होता है कि मंत्रालय की कार्रवाई सेंसरशिप और प्रेस की स्वतंत्रता का दमन है।"

इसमें आगे लिखा है, "प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया का काम प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करना और जनहित की खबरों को सामने लाने के अधिकार को बनाए रखना है।"

अपने उत्तर में द कारवां ने कहा कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया जिन मानदंडों के कथित उल्लंघन की बात कर रही है, वे उनकी रिपोर्ट पर लागू नहीं होते।

प्रेस काउंसिल में मामला कैसे पहुंचा?

12 फरवरी को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने द कारवां की उक्त स्टोरी को हटाने का आदेश दिया था। इस आदेश में कहा गया था कि ऐसा न करने पर द कारवां की पूरी वेबसाइट ब्लॉक कर दी जाएगी।

एक मार्च को द कारवां ने दिल्ली उच्च न्यायालय में इस आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की। पत्रिका ने कोर्ट को बताया कि मंत्रालय का आदेश प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है और यह फ्री स्पीच व अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

इसके बाद 5 मार्च को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपनी शिकायत भेजी, जबकि द कारवां ने पहले ही अपनी वेबसाइट से स्टोरी हटा दी थी।

साभार : सबरंग 

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