सिल्क्यारा के हीरो का दर्द: “41 जान बचाने का सिला मेरा घर तोड़कर दिया”
दिल्ली के खजूरी ख़ास में भगवान राम के नाम पर एक कॉलोनी है श्रीराम कॉलोनी। इसी कॉलोनी में दाख़िल होते ही जगह-जगह घरों और दुकानों पर वो झंडा दिखाई देता है जिस पर भगवान राम की छवि बनी है। ये झंडे पूरे देश में 22 जनवरी को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के वक़्त लगे थे। इस झंडे के साथ ही एक गीत बहुत वायरल हुआ था ''राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी''। दिल्ली के खजूरी ख़ास में जब हम रैट होल माइनर टीम के सदस्य वक़ील हसन का उजड़ा घर-आंगन देख रहे थे तो उनके घर के अगल-बग़ल की दुकानों में लहराते उसी ध्वज पर निगाह जाकर ठहर रही थी।
28 फरवरी, 2024 को DDA ने वक़ील हसन के घर पर बुलडोज़र चला दिया और उनका परिवार सड़क पर आ गया। उनका घर मलबे में तब्दील हो चुका था। जब हम वहां पहुंचे तो जिस जगह घर था वहां बुलडोज़र चलाने के बाद DDA ने दीवार खड़ी कर दी थी, दीवार का प्लास्टर अभी सूखा नहीं था। लेकिन वक़ील हसन और उनके परिवार की आंखें रोते-रोते खुश्क हो चुकी थीं। पत्नी की सूजी आंखें घर टूटने का दर्द बयां कर रही थीं। DDA के द्वारा बनाई दीवार के आगे ही परिवार ने दो तख़्त लगा दिए थे और घर का सामान बिखरा पड़ा था, और उसी दीवार के सहारे रखी गई थी घड़ी। वही घड़ी जो कभी घर में लगी थी लेकिन अब सड़क और टूटे घर के बीच खड़ी दीवार के सहारे लगी थी और बता रही थी कि वक़्त बदल गया है।
दो महीने पहले हम इस घर में आए थे जब वक़ील हसन और उनकी रैट होल माइनिंग टीम उत्तरकाशी में एक करिश्मा कर लौटी थी, इसी घर में 30 नवंबर, 2023 को ईद का सा माहौल था, वक़ील हसन, मुन्ना कुरैशी समेत पूरी टीम इसी घर में बैठी थी और आने-जाने वाले लोग उनका स्वागत कर रहे थे, उनके साथ तस्वीर खिंचवा रहे थे, आज भी घर के बाहर भीड़ लगी है और आने-जाने वाले लोग घर से सड़क पर आए वक़ील हसन और उनके परिवार को देख रहे हैं।
बगैर नोटिस कार्रवाई का आरोप
वक़ील हसन का आरोप है कि उनका घर बग़ैर नोटिस दिए उस वक़्त तोड़ा गया जब उनके घर पर कोई बड़ा नहीं था घर में सिर्फ बच्चे थे। उस वक़्त घर में मौजूद वक़ील हसन की 14-15 साल की बेटी अलिज़ा से हमने बात की वे बताती हैं कि '' उस वक़्त सुबह के दस-साढ़े दस बज रहे थे दरवाज़े पर बहुत सारे लोग खड़े थे (पुलिस-प्रशासन के) उन्होंने बहुत तेज़ आवाज़ में कहा— दरवाज़ा खोलो। मैं घबरा गई और मैंने कुंडी लगा ली। पापा किसी काम से बाहर गए थे और मम्मी अपने मायके गई थीं मैंने पापा को फोन किया तो उन्होंने कहा ''डरो मत मैं आ रहा हूं तुम दरवाज़ा मत खोलना'' जैसे ही मेरे पापा आए और जब उन्होंने पूछा कि आप हमारा घर क्यों तोड़ रहे हो तो उन्हें धक्का दिया और पुलिस स्टेशन ले गए, उनका फोन छीन लिया गया''
वक़ील हसन की बेटी का बोर्ड का पेपर छूट गया
अलिज़ा हसन 10वीं में पढ़ती हैं और उनके बोर्ड के एग्जाम चल रहे हैं वो बताती हैं कि '' आज (29 फरवरी) मेरा साइंस का एग्ज़ाम था छूट गया, मेरा एडमिट कार्ड नहीं मिल रहा, मेरी सारी किताबें मलबे में दब गईं''
अपने टूट घर के बाहर बैठे रैट होल माइनर टीम के सदस्य वक़ील हसन
घर के बाहर तख़्त पर बैठे वक़ील हसन के साथ ही उनके वो सभी साथी धरने पर बैठे हैं जो उत्तरकाशी में रैट होल माइनिंग टीम के हिस्सा थे। लगातार मीडिया से बात कर रहे वक़ील हसन ने कहा कि '' मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा, मुझे किस बात का फल मिला है, क्योंकि जिस तरह से हम लोग उत्तरकाशी में अपनी जान हथेली पर लेकर सिल्क्यारा टनल में गए थे, उस हिसाब से मेरा ये मकान बनना चाहिए था, लेकिन ये देखिए मेरे साथ क्या हुआ है मेरे बच्चों को रोड पर बैठा दिया गया है, बच्ची का बोर्ड का एग्ज़ाम था वो पेपर भी नहीं दे पाई, मेरा जो छोटा सा घर था, वो मुझसे छीन लिया गया, अब मैं कहीं किराए पर जाऊंगा और जिन्दगी भर इसी चीज़ में लगा रहूंगा, कभी इधर जाऊंगा कभी उधर जाऊंगा जिन्दगी भर यही करता रहूंगा''
वक़ील हसन से जब पूछा गया कि क्या उन्हें उनकी कम्यूनिटी की वजह से टारगेट किया गया है? तो उनका कहना था कि '' मैं ऐसा इसलिए फील कर रहा हूं क्योंकि उस वक़्त भी मीडिया और पब्लिक की तरफ से हमें मान-सम्मान मिला था, सरकार की तरफ से जो सम्मान प्रोत्साहन मिलना चाहिए था वो हमें कहीं से नहीं मिला। उस वक़्त लोगों ने ये बात उठाई थी लेकिन उस टाइम मैंने सोचा ऐसा नहीं होता क्योंकि हम लोग यहां सब प्यार मोहब्बत से रहते हैं, हमारी टीम में हिंदू-मुसलमान दोनों ही थे हमने मिलकर ही काम किया था और हमारे भारत देश में ऐसा कुछ है नहीं''
''क्या एक मेरा घर ही अवैध है'' ?
वक़ील हसन सवाल उठाते हैं कि '' मुझे तो समझ में नहीं आ रहा कि यहां पर हज़ारों मकान बने हैं मेरे आजू-बाजू सब तरफ मकान बने हुए हैं मेरे घर के सामने मकान बने हुए क्या एक मेरा घर ही अवैध बना हुआ है, जबकि मैंने इसके पैसे भी दिए हुए हैं, बिजली का मीटर भी लगा हुआ था, मैं इसमें 12-13 साल से रह रहा था।''
''क्या ये भी अधिकार नहीं कि मैं अपने बच्चों के साथ अपने घर में रह पाऊं''?
वे आगे कहते हैं कि ''जब यहां कच्ची रोड बनी थी मैं तब से यहां रह रहा हूं, मैंने किसी से कुछ छीना नहीं है, ना मैंने किसी से ज़बरदस्ती लिया है, मैंने पैसे देकर ये घर लिया है, क्या ये भी अधिकार नहीं कि मैं अपने बच्चों के साथ अपने घर में रह पाऊं? मनोज तिवारी (बीजेपी सांसद) जी हमसे मिले थे उन्होंने हमसे कहा था कि आपके साथ खाना खाएंगे - अब कहां खाना खाएंगे? कहां बैठेंगे मेरे साथ''?
वक़ील हसन बहुत ही मायूस हो गए हैं कि उनके बच्चों की पढ़ाई ख़राब हो गई, बेटी का बोर्ड का एग्ज़ाम छूट गया, बच्चों को मानसिक रूप से तनाव झेलना पड़ा। उन्हें चिंता है कि उनके बच्चे इस हादसे को कभी भूल भी पाएंगे कि नहीं। वक़ील हसन उस दिन को याद करते हैं जब उनके साथ एक लोकल नेता से लेकर सांसद तक मिलने पहुंचा था वे कहते हैं कि '' कोई नहीं आया सबकी बातें, बातें रह गईं, हमने सुना था कि ये लोग बातें करते हैं काम कुछ नहीं करते।''
रात सड़क पर गुज़ार रहा परिवार
DDA की तरफ से घर तोड़कर तुरंत दीवार खड़ी करने की फुर्ती पर वक़ील हसन कहते हैं कि '' ऐसा काम तो वो बहुत ही तेज़ करेंगे, लेकिन अभी किसी की ज़रूरत का काम हो तो उसे सालों-साल, दस साल तक लटका देते हैं, मेरा सामान अब भी अंदर दबा है, कैसे निकालूं, मेरे बहुत से पुरस्कार थे जो मुझे पूरे देश से मिले थे सब दब गए। मुझे निकालने तक का मौका नहीं दिया, मेरा पूरा परिवार यहीं बैठा है, रातभर हम यहीं बैठे थे, कहां जाएंगे हम। रही बात रिश्तेदारों की तो रिश्तेदार कितने दिन रखेंगे? हमें तो हमारा घर चाहिए हमारी पूरी टीम यहीं बैठी है, मुझे मेरा घर चाहिए और कुछ नहीं चाहिए।
''क्या कहूं सरकार ने हमें बर्बाद कर दिया''
वक़ील हसन की पत्नी से जब हम दो महीने पहले मिले थे तो बहुत ही चहकते हुए मिली थीं, घर में आने जाने वालों को मिठाई खिला रही थीं, 17 दिन बाद सिल्क्यारा से निकले मजदूरों के लिए खुश थीं, साथ ही उन्हें इस बात पर बहुत नाज़ था कि उनके पति उस टीम का हिस्सा थे जिन्होंने उस वक़्त देश का साथ दिया जब सबकी उम्मीदें टूटने लगी थीं, उनके पति एक हीरो बनकर लौटे थे लेकिन घर टूटने पर वो भी पूरी तरह से टूट गई, रोते-रोते कहने लगीं ''क्या कहूं सरकार ने हमें बर्बाद कर दिया, हमें कहीं का भी नहीं छोड़ा, अब से दो महीने पहले मेरे शौहर इतने ख़ुश थे लेकिन कल (28 फरवरी) सरकार ने हमारे साथ ऐसा कर दिया कि लग रहा है हमारा दुख तो कभी ख़त्म ही नहीं होगा, सरकार ने ये सिला दिया है हमें''।
''उन्हें पानी नहीं मिला तो उन्होंने नाली का पानी लेकर मसाला बनाया और 11 बंदों ने दीवार खड़ी कर दी''
वो भी DDA की तरफ से बुलडोज़र चलाने और आनन-फानन में दीवार खड़ी करने पर कहती हैं कि '' उन्हें लगा कि अगर हमने दीवार नहीं बनाई तो ये फिर शिफ्ट हो जाएंगे, उन्होंने हाथ के हाथ दीवार खड़ी कर दी, उन्हें पानी नहीं मिला तो उन्होंने नाली का पानी लेकर मसाला बनाया और 11 बंदों ने दीवार खड़ी कर दी।''
वे आगे कहती हैं कि '' जिस वक़्त कार्रवाई शुरू हुई घर में कोई बड़ा नहीं था जैसे ही मेरे पति (वक़ील हसन) आए उन्हें पीटा, बेटी को पीटा, बेटे को पीटा और पुलिस वाले उन्हें ले गए, मुन्ना कुरैशी को भी ले गए उसे भी मारा, मैं तो रास्ते में थी ख़बर मिलते ही मैं वहां से (भाभी के घर से) चल दी, मैं ड्राइवर को बार-बार कर रही थी भइया मुझे जल्दी पहुंचा दे मेरा घर उजड़ गया, फिर भी मुझे डेढ़ बज गया था (दोपहर के) जब तक मैं आई मेरा घर ख़त्म हो चुका था ये दीवार खड़ी कर दी गई थी, कुछ भी नहीं बचा था।''
''इस तरह से मेरा घर तोड़ा गया है जैसे किसी क्रिमिनल का घर तोड़ा जाता है''
और फिर सुबकते हुए उन्होंने कहा कि '' मेरे पति का फोन तक ज़ब्त कर लिया गया था, इस तरह से मेरा घर तोड़ा गया है जैसे किसी क्रिमिनल का घर तोड़ा जाता है, मेरी बेटी का पेपर छूट गया, उसका भी फोन तोड़ दिया उसमें जो नंबर था वो स्कूल से जुड़ा था, उसमें उसकी सारी डिटेल थी''।
''हमें आश्वासन नहीं चाहिए हमें हमारा मकान चाहिए''
जब हमने वक़ील हसन की पत्नी से कहा कि क्या वो न्यूज़क्लिक के माध्यम से कुछ कहना चाहती हैं तो उन्होंने एक गहरी सांस लेते हुए कहा कि '' जब ये (वक़ील हसन और उनकी टीम) बहुत बड़ा काम करके आए थे तो ये हीरो थे सब फोटो खिंचवाना चाहते थे, आज एक भी नेता, सांसद तिवारी जी या किसी मंत्री का कॉल नहीं आया कि तुम इस देश के हीरो थे, तुमने नाम रौशन किया था तुम्हारे साथ ऐसा नहीं होना चाहिए था, आश्वासन तक के लिए भी फोन नहीं आया मगर हमें आश्वासन नहीं चाहिए हमें हमारा मकान चाहिए।''
रैट होल माइनर टीम के दूसरे सदस्य मुन्ना कुरैशी जो उस वक़्त सबसे ज़्यादा चर्चा में आए थे वे भी वक़ील हसन के साथ धरने पर बैठे हैं, बेहद नाराज़ मुन्ना कुरैशी ने मीडिया से कहा कि ''और ये जो बोल रहे थे ना कि हमें तो भाई ऊपर से ऑर्डर आया था, इसलिए हमें आना पड़ा, ये कैसा ऑर्डर है किसी को भी घर से बेघर कर दो, बस एक ही मकान के लिए ऊपर से ऑर्डर आया और किसी के लिए नहीं। इनके सभी बिल आ रहे हैं, तमाम टैक्स दे रहे हैं, सारे कागज दिखा रहे हैं, नोटिस भी नहीं दिया कम से कम नोटिस तो देते, ये कह रहे थे हम नोटिस नहीं देते हम ऐसे ही तोड़ देते हैं ये तो DDA की बदमाशी चल रही है।''
वक़ील हसन का साथ देने के लिए धरने पर बैठे टीम के दूसरे साथी
मुन्ना कुरैशी ने आगे कहा कि ''हम तो धरने पर बैठे हैं जब तक घर बना कर नहीं देंगे हम यहां ऐसे ही बैठे रहेंगे'' मुन्ना उन वादों पर हंसते हुए कहते हैं कि ''जिन्होंने हमें ये कहा था कि जब ज़रूरत हो तो हमें आधी रात को कॉल करना हम हाज़िर हो जाएंगे उन्होंने पूरे-पूरे दिन फोन नहीं उठाया, अब मकान टूटने के बाद कह रहे हैं कि हमें बहुत अफसोस है कि इनका मकान टूट गया।''
''पुलिस ने मुझे चांटा मारा, मेरे साथ गाली गलौज की''
वे आगे कहते हैं कि ''अवाम ने जिन्हें हीरो बनाया आज उनके साथ इतना बुरा व्यवहार हो रहा है, घर तोड़ दिया गया, वक़ील हसन के बच्चे, पत्नी सड़क पर आ गए, उनका सामान सड़क पर पड़ा रहा, हमें थाने में बैठा कर रखा गया, ये कहां का कानून है। पुलिस ने मुझे चांटा मारा, मेरे साथ गाली गलौज की। हम सिर्फ उनसे इतना पूछ रहे थे कि सर कोई नोटिस है? तो सीधा गाली-गलौज शुरू कर दिया। हमने 41 लोगों की जान बचाई कम से कम कुछ तो सम्मान करो, मगर ये हमें सीधा थाने ले गए और रात के 8 बजे तक भूखा-प्यासा बैठा के रखा। वो तो SHO साहब ने हमें पहचाना और पुलिस वालों को डांटा।''
पुलिस DDA की कार्रवाई में शामिल थी जिस पर मुन्ना कुरैशी सवाल उठाते हुए कहते हैं कि '' DDA की तो पूरी दिल्ली है इसका मतलब ये कोई ना है कि सबका घर तोड़ दोगे? सबसे पहले ग़रीब के घर पर ही बुलडोज़र क्यों चलाया जाता है''
''41 लोगों को बचाने के लिए ये हमारा सम्मान किया है, घर तोड़कर''
मुन्ना क़ुरैशी आगे कहते हैं कि '' हमने अपनी जान की बाज़ी लगाई थी, अपने देश के भाइयों के लिए क्योंकि वे 41 लोग नहीं थे वो 41 परिवार थे, हमने सोचा था हम चाहे मर जाते लेकिन उन्हें निकालते। ऐसे ही जब तक हमारा घर नहीं मिलता हम मर जाएंगे लेकिन यहां (धरने) से हटेंगे नहीं, ऐसा लगता है कि 41 लोगों को बचाने के लिए ये हमारा सम्मान किया है, घर तोड़कर''
''ऐसे तो ये पूरी कॉलोनी ही अवैध है''
DDA की इस कार्रवाई पर वक़ील हसन के घर से सटी एक दुकान के मालिक से जब हमने पूछा कि ''उनका इस कार्रवाई पर क्या कहना है'' तो उन्होंने गोल गोल बात घुमाते हुए कहा कि हम क्या कह सकते हैं, लेकिन जब उनसे ये पूछा गया कि क्या पूरी गली में सिर्फ यही एक घर अवैध है तो उनका कहना था कि '' ऐसे तो ये पूरी कॉलोनी ही अवैध है, ये सारी कॉलोनी तो ऐसी ही बसी हुई है ये तो कच्ची कॉलोनी है''
DDA की प्रतिक्रिया
वक़ील हसन ने हमें DDA ( Delhi Development Authority ) की तरफ से जारी एक प्रेस रिलीज़ दिखाई जिसमें DDA की तरफ से साफ किया गया है कि ये अतिक्रमण हटाने की एक रेगुलर ड्राइव थी। लेकिन जब उन्हें वक़ील हसन के योगदान के बारे में पता चला तो उन्होंने परिवार की मदद के लिए हाथ बढ़ाया लेकिन वक़ील हसन ने इनकार कर दिया।
वक़ील हसन का घर गिराए जाने पर सांसद मनोज तिवारी और दिल्ली के एलजी ने दुख व्यक्त किया और उनके नुकसान की जल्द भरपाई के बारे में कहा लेकिन वहीं दूसरी तरफ वक़ील हसन ने साफ कर दिया है कि जहां उन्हें घर दिया जा रहा है वो वहां नहीं जाएंगे।
VIDEO | “They (the BJP government) are trying to put me at a place in Narela where even dogs don’t go. LG sir (LG VK Saxena) and Manoj Tiwari (BJP MP) won’t be able to help me if in future any incident happens with my children there,” says Wakeel Hassan.
A demolition drive by… pic.twitter.com/qtDAH0TcLm
— Press Trust of India (@PTI_News) March 1, 2024
''मुझे मुसलमान होने की वजह से टारगेट किया''
वक़ील हसन कह रहे हैं कि '' मुझे मुसलमान होने की वजह से टारगेट किया जा रहा है मेरी जगह अगर कोई हिन्दू भाई होता तो उसको करोड़ों रुपए दे दिए जाते।''
उत्तरकाशी में दिवाली के दिन जब 41 मजदूर सिल्क्यारा टनल में फंस गए थे तो पूरा देश उनके बाहर निकलने की दुआ मांग रहा था 17 दिन बाद वक़ील हसन, मुन्ना क़ुरैशी की टीम ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर उन 41 मजदूरों के परिवार को दोबारा जिन्दगी दी थी लेकिन आज वक़ील हसन ख़ुद अपने परिवार के साथ खुले आसमान के नीचे रात गुज़ार रहे हैं और वो तमाम नेता ग़ायब हैं जो उस वक़्त इस सफल ऑपरेशन का क्रेडिट ले रहे थे।
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