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प्रगति नहीं तो प्रज्ञा का श्राप लो!

अर्थ के मोर्चे पर फेल होती सत्ताधारी पार्टी को अब अनर्थ का ही सहारा है! इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश की यह गौरतलब टिप्पणी:

भाजपा और उसके शीर्ष नेता नरेंद्र मोदी ने 2014 का चुनाव भ्रष्टाचार मिटाने, काला धन लाने और 'सबका साथ सबका विकास' के नारे पर लड़ा था! बाद में भाजपा नेता और आम लोग भी उन नारों को मोदी जी का जुमला कहने लगे! 2019 के चुनाव में वही सत्ताधारी पार्टी भूलकर भी प्रगति, विकास, भ्रष्टाचार मिटाने और काला धन लाने की बात नहीं कर रही है! कैसे करेगी? नोटबंदी, जीएसटी, रफ़ाल ने उनकी पोल खोल दी! बीएसएनएल सहित अनेक पब्लिक सेक्टर कंपनियों की बेहाली, निजी क्षेत्र में पसरी चौतरफा उदासी और बढ़ती बेरोज़गारी के इस भयावह दौर में मोदी-शाह को संघी राष्ट्रवाद, हिन्दू-मुस्लिम टकराव और कट्टरता-आतंक के शोर में कुछ राहत और संभावना नज़र आ रही है! इस चुनाव में प्रज्ञा सिंह ठाकुर जैसे आतंकी हमले में अभियुक्त व्यक्ति को इसीलिए मैदान में उतारा गया है! अर्थ के मोर्चे पर फेल होती सत्ताधारी पार्टी को अब अनर्थ का ही सहारा है! इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश की यह गौरतलब टिप्पणी:

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