भुखमरी एक युद्ध अपराध है: फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ इज़राइली नरसंहार की दर्दभरी दास्तान
रोम में बोलते हुए, संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रमुख, सिंडी मैक्केन ने कहा: "अगर हम गज़ा के उत्तरी इलाकों में पहुंचाने वाली मदद के आकार में तेजी से वृद्धि नहीं करते हैं, तो अकाल का आना तय है। यह आना ही है।"
इजराइली युद्ध के ज़रिए किए जा रहे नरसंहार में गज़ा में अब तक 30,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, और आम लोग अकाल के कगार पर पहुंच गए हैं। संयुक्त राष्ट्र में फ़िलिस्तीन के स्थायी ऑब्जर्वर रियाद मंसूर ने कहा कि पांच लाख से अधिक लोग "अकाल से सिर्फ एक कदम की दूरी पर हैं।" उन्होंने कहा, "माताओं और पिताओं के लिए अपने बच्चों को दिन-रात भूख से रोते हुए सुनना, न दूध, न रोटी और कुछ भी नहीं होने का और क्या मतलब है।"
दरअसल, गज़ा में अकाल जैसी स्थिति है जिसके कारण शिशुओं और बच्चों की मृत्यु होने लगी है। रमज़ान शुरू होने से हालात न केवल शारीरिक रूप से गंभीर है, बल्कि मानसिक रूप से भी यातनापूर्ण और तनावपूर्ण है।
वर्तमान में 2,000 चिकित्सा कर्मचारी हैं, जो उत्तरी गज़ा में बुनियादी चिकित्सा सुविधा चलाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। वे किसी भी अस्पताल की सुविधा के बिना और अक्सर बिना बिजली या पानी के काम कर रहे हैं, जिसमें दवाओं की बहुत सीमित आपूर्ति भी शामिल है। अब गज़ा में फ़िलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ये कर्मचारी खुद एक गंभीर स्थिति में आ गए हैं।
मंत्रालय के प्रवक्ता अशरफ अल-कुद्रा ने कहा कि, कर्मचारी इस बार "सेहरी या इफ्तार के बिना रमजान शुरू करेंगे यानी भूखे पेट रमज़ान करेंगे।" वे आगे कहते हैं, “डॉक्टर मर जायेंगे। वहां की नर्सें मर जाएंगी। और दुनिया, आने वाले दिनों में फ़िलिस्तीन में भूख से पीड़ितों की सबसे बड़ी संख्या देखेगी।”
युद्ध अपराध
जून 1977 में, सशस्त्र संघर्ष में मानवीय कानून पर एक सम्मेलन में, संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों प्रोटोकॉल II को जोड़ने के लिए जिनेवा कन्वेंशन (1949) का विस्तार किया था। उस प्रोटोकॉल के अनुच्छेद 14 में कहा गया है कि "युद्ध की एक विधि के रूप में नागरिकों का उत्पीड़न निषिद्ध है।" हमलावर बलों को नागरिक आबादी के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए किसी भी ऐसी वस्तु, जैसे खाद्य पदार्थ, खाद्य पदार्थों के उत्पादन के लिए कृषि क्षेत्र, फसलें, पशुधन, सिंचाई कार्य, पेयजल प्रतिष्ठान और आपूर्ति पर हमला करना, नष्ट करना, हटाना या बेकार करना निषिद्ध है।”
दो दशक बाद, जब संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने रोम क़ानून (1998) के तहत लिखा था तब उन्होंने युद्ध अपराधों के शीर्षक के तहत भुखमरी पर एक खंड (अनुच्छेद 8) जोड़ा था; जिसमें कहा गया था कि, "जानबूझकर नागरिकों के लिए भुखमरी को युद्ध के एक तरीके के रूप में इस्तेमाल करना, उन्हें उनके ज़िंदा रहने वाली किन्हीं भी जरूरी वस्तुओं से वंचित करना, जिसमें जानबूझकर राहत आपूर्ति में बाधा डालना भी शामिल है" एक युद्ध अपराध माना जाएगा। रोम संविधि वह संधि है जिसकी बिना पर अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) का गठन किया गया, जो अब तक अपने खुद के संस्थापक दस्तावेज़ के आधार पर कार्य नहीं कर पाया है और अपने दायित्वों पर चुप रहा है।
29 फरवरी को मानवीय सहायता वाले ट्रक गज़ा के उत्तरी भाग में आये। जब हताश लोग इन ट्रकों की ओर बढ़े तो इज़राइली सैनिकों ने उन पर गोलीबारी की और कम से कम 118 निहत्थे नागरिकों को मार डाला गया। इसे अब आटा नरसंहार के नाम से जाना जाता है। इसके बाद, संयुक्त राष्ट्र के 10 विशेषज्ञों ने एक सख्त बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि, "इजराइल 8 अक्टूबर से गज़ा में फ़िलिस्तीनी लोगों को जानबूझकर भूखा मार रहा है। अब वह मानवीय सहायता और मानवीय काफिलों की तलाश करने वाले नागरिकों को निशाना बना रहा है।"
भोजन पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत, माइकल फाखरी, जिन्होंने उस बयान पर हस्ताक्षर किए, ने बाद में इज़राइल के खिलाफ इस आरोप में जोड़ा। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को बताया, "इजराइल ने गज़ा में फ़िलिस्तीनी लोगों के खिलाफ भुखमरी अभियान चलाया हुआ है।" ये बयान बेहद तीखे हैं। "जानबूझकर" जैसे शब्द और "भुखमरी अभियान" जैसे वाक्यांश सीधे प्रोटोकॉल II और रोम संविधि के आधार पर इज़राइल पर युद्ध अपराधों का आरोप लगाते हैं।
फाखरी ने गज़ा के मछली पकड़ने के उद्योग पर ध्यान केंद्रित किया, जिसने वहां रहने वाले 2.3 मिलियन फ़िलिस्तीनियों के लिए महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा प्रदान की थी। उन्होंने कहा कि, "इजराइली बलों ने गज़ा के बंदरगाह को नष्ट कर दिया है, मछली पकड़ने वाली हर नाव और झोपड़ी को नष्ट कर दिया है।" रफ़ा में 40 में से केवल दो नावें बची हैं। खान यूनिस में, इज़राइल ने लगभग 75 छोटे पैमाने के मछली पकड़ने वाले जहाजों को नष्ट कर दिया है। फाखरी ने कहा कि, इस विनाश ने गज़ा को "भुख और भुखमरी" की तरफ धकेल दिया है। उन्होंने आगे कहा कि, "वास्तव में इजराइल 17 वर्षों से नाकाबंदी के माध्यम से गज़ा का गला घोंट रहा है, जिसमें छोटे पैमाने के मछुआरों को उनके क्षेत्रीय जल तक पहुंच से वंचित करना और प्रतिबंधित करना शामिल है।"
संयुक्त राष्ट्र महासभा में फ़िलिस्तीन के रियाद मंसूर ने कहा कि इज़राइल ने "हर बेकरी और फार्म पर बमबारी की है, पशुधन और खाद्य उत्पादन के सभी साधनों को नष्ट कर दिया है।"
बमबारी के पहले महीने में इजराइल ने गज़ा शहर की प्रमुख बेकरियों पर बमबारी की। नवंबर 2023 में, गज़ा पट्टी में बेकरी ओनर्स एसोसिएशन के अब्देलनासिर अल-जरमी ने कहा कि ईंधन और आटे की कमी के कारण बेकरियां काम करने में सक्षम नहीं हैं। रोटी की कमी के परिणामस्वरूप, परिवारों ने खुबैज़ा (या मालवा पारविफ्लोरा) नामक खरपतवार इकट्ठा करना शुरू कर दिया है और इसे मुख्य भोजन के रूप में उबालना शुरू कर दिया है। उत्तरी गज़ा में अपने दो बेटों और उनके बच्चों के लिए भोजन बनाते समय फातिमा शाहीन ने कहा, "हम रोटी के एक टुकड़े के लिए मर रहे हैं।"
चौराहा
इज़राइल ने गज़ा में बेत हनौन और करेम अबू सलेम में चौराहे को पूरी तरह से खोलने से इनकार कर दिया है और साथ ही गज़ा को मिस्र से जोड़ने वाले राफा को पूरी तरह से खोलने की अनुमति देने से भी इनकार कर दिया है। चूंकि ये भूमि क्रॉसिंग बंद हैं, और चूंकि इज़राइल ने 2001 में यासर अराफात अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को नष्ट कर दिया था, इसलिए गज़ा में खाद्य सहायता लाने का कोई आसान समाधान नहीं है। हवा के माध्यम से भोजन और आपूर्ति की डिलीवरी पर्याप्त नहीं है- वास्तव में यह समुद्र में एक बूंद जैसा है (जहां कुछ खाने के पैकेज उतारे जाते हैं)।
अब समुद्री गलियारे बनाने की बात हो रही है, लेकिन चूंकि इजराइल ने गज़ा के बंदरगाह पर बमबारी की है, इसलिए यह कोई आसान विकल्प नहीं है। यह हास्यास्पद है कि अमेरिका ने कहा है कि वह गज़ा के दक्षिणी हिस्से के तट पर एक अस्थायी घाट का निर्माण करेगा। गज़ा में एक दिन में कम से कम 500 ट्रकों को अनुमति देने के लिए राफा क्रॉसिंग को खोलना बहुत आसान होगा। लेकिन इजराइल इस विकल्प की इजाजत नहीं देगा।
युद्ध अपराध के रूप में भुखमरी के मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय कानून बिल्कुल स्पष्ट है। प्रोटोकॉल II (1977) या रोम क़ानून (1998) में कोई खामियां नहीं हैं।
गज़ा में दोस्तों को यह रमज़ान महीना पहले की तुलना में अधिक कठिन लग रहा है। भुखमरी उनकी सामान्य स्थिति है। लेकिन, अन्य रमज़ानों के विपरीत, इसमें सुबह का भोजन (सुहूर) और देर रात का भोजन (इफ्तार) नहीं मिल रहा है। वहां केवल इजराइली लड़ाकू विमानों का बारहमासी शोर है जो उनके पेट में भूख की कराहों से प्रतिबिंबित होता है।
विजय प्रसाद एक भारतीय इतिहासकार, संपादक और पत्रकार हैं। वह ग्लोबट्रॉटर में राइटिंग फेलो और मुख्य संवाददाता हैं। वे लेफ्टवर्ड बुक्स के संपादक और ट्राइकॉन्टिनेंटल: इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च के निदेशक हैं।
स्रोत: यह लेख पहले ग्लोबट्रॉटर में प्रकाशित हो चुका है।
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