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निकट भविष्य में यूक्रेन शांति वार्ता की संभावना?

रुसी रक्षा मंत्री सेर्गेई शोइगू ने कल रुसी सैन्य बलों की दक्षिणी एवं केंद्रीय समूहों के कमांड पोस्ट का “निरीक्षण दौरा” किया, जो यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियानों का नेतृत्व कर रहे हैं। सेना के कमांडरों द्वारा उन्हें “वर्तमान हालात, शत्रु की कार्रवाई और युद्ध के लिए मिले हुए कार्यभारों की प्रगति से अवगत कराया गया।”  
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कलिनिनग्राद में एक माल यार्ड का दृश्य, रुसी हिस्सा जो यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से ही लगातार अलग-थलग हो गया है

वैश्विक अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के मामले में वित्त मंत्री एकांत जानवरों और शिकारी प्रवृति वाले छिपकलियों की प्रवृति के होते हैं, जो विदेश मंत्रियों के विपरीत हैं, जो जुगनू की तरह सम्मोहक और शानदार जीव की तरह हैं जो अपनी पूँछ के जरिये प्रकाश पैदा करते हैं। जहाँ एक तरफ अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने जी20 देशों की विदेश मंत्रियों की बाली में हो रही बैठक में एक सप्ताह पूर्व हिस्सा लिया था, ने नाटकीय ढंग से बैठक का बहिष्कार कर दिया जब रुसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव बोलने के लिए खड़े हुए। वहीं दूसरी तरफ वित्त सचिव जेनेट येलेन शुक्रवार को बाली में शुरू हुई जी20 की वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के प्रमुखों की बैठक के दौरान रुसी मंत्री एन्टोन सिलुअनोव के भाषण के दौरान पूरी ख़ामोशी के साथ बैठी रहीं।

निस्संदेह येलेन ने अपने भाषण के दौरान- यूक्रेन में रूस के युद्ध को वैश्विक अर्थव्यस्था के लिए “सबसे बड़ी चुनौती” बताते हुए कहा - जबकि रुसी उप वित्त मंत्री तिमुर मक्सिमोव जो वहां पर मौजूद थे, ने इसे शांतिपूर्वक सुना। लेकिन इस पर एक संयुक्त विज्ञप्ति की संभावना नहीं है, क्योंकि अमेरिका जी20 सहयोगियों पर रुसी तेल की मूल्य सीमा के लिए लगातार दबाव बनाये हुए है। जबकि इस मामले में आम सहमति का अभाव है। इस सबके बावजूद, येलेन के संयमित बर्ताव से ध्यान आकृष्ट होता है, क्योंकि संभवतः वे इस बात को महसूस कर रही हैं कि वे अब वैश्विक एजेंडा को तय करने की स्थिति में नहीं रह गई हैं।

यहाँ तक कि अमेरिका के बेहद करीबी मित्र जैसे कि पूर्व इसरायली विदेश मंत्री श्लोमो बेन-अमी इस बारे में सलाह दे रहे हैं कि “रूस सामान्य तौर पर यूक्रेन के युद्धक्षेत्र के ज्वार को काबू में कर पाने में सफल रहा है” और “भू-राजनीतिक स्तर पर रूस के पक्ष में कुछ इसी प्रकार का बदलाव काम कर रहा है।” जिसका अर्थ यह हुआ कि “मौजूदा राह पर बने रहने के नतीजे और भी बदतर साबित हो सकते हैं।” 

इस प्रकार की तार्किक आवाजों को निश्चित रूप से वाशिंगटन अपने संज्ञान में ले रहा होगा। अकेले पिछले सप्ताह ही, वाशिंगटन ने तीन अवसरों पर रूस के खिलाफ जारी प्रतिबंधों पश्चिमी प्रतिबंधों में “फेरबदल” करने की इच्छा प्रदर्शित की है, जिसने मास्को की चिंताओं को संबोधित किया है।”

इसमें सबसे नवीनतम प्रतिबन्ध खाद्य संकट को लेकर है जहाँ रूस और यूक्रेन एक समझौते पर पहुँच गये हैं, जिसमें कीव अपने दक्षिणी बंदरगाहों के आसपास के पानी में बिछाये गये सुरंगों को हटा देगा जिससे कि बोस्फोरस के लिए “अनाज गलियारा” खुल सके। इसी बीच, वाशिंगटन ने अंतर्राष्ट्रीय बैंकों, समुद्री जहाजों और बीमा कंपनियों को अधिसूचित कर दिया है कि पश्चिमी प्रतिबंधों को रूस के द्वारा विश्व बाजार में खाद्यान्न और उर्वरकों के निर्यात पर अमल में न लाया जाए।    

एक बार फिर से संभावित विस्फोटक स्थिति तब उत्पन्न हो गई थी जब 18 जून को लिथुआनिया ने रुसी माल के पारगमन को कालिनिनग्राद में अवरुद्ध कर दिया था। मास्को के उग्र विरोध और बदले की कार्यवाही की चेतावनी के बाद, यूरोपीय आयोग ने 13 जुलाई को एक संशोधित निर्णय को प्रकाशित किया था, जो “यथार्थ और सहज बुद्धि के प्रदर्शन” का परिचायक है, जैसा कि रुसी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस बारे में कहा था।

यूरोपीय संघ के दिशानिर्देश के अनुसार, प्रतिबंधों के तहत तेल और पेट्रोलियम उत्पादों के साथ-साथ कोयले, स्टील और लोहे, लकड़ी, सीमेंट एवं अन्य गैर-सैन्य वस्तुओं का कलिनिनग्राद तक रेल पारगमन को प्रतिबंधित नहीं किया जायेगा। इस बात की कल्पना भी नहीं की जा सकती है कि यूरोपीय संघ ने इस बारे में वाशिंगटन से सलाह-मशविरा किये बगैर ही इस बारे में कदम उठाया होगा, जिसके संभावित रूप से खतरनाक टकराव को शांत करने के लिए हस्तक्षेप करने की संभावना है।

इसी प्रकार 11 जुलाई को अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता ने इस बात को स्वीकार किया कि कनाडा के द्वारा प्रतिबंधों पर छूट दिए जाने को वाशिंगटन का समर्थन प्राप्त है, जो सीमेंस को गजप्रोम के नोर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइन से यूरोप को जाने वाले गैस की आपूर्ति के संचालन को दुरुस्त करने के लिए तत्काल आवश्यक टरबाइन को यूरोप में स्थानांतरित करने में सक्षम बनाता है, ताकि जर्मनी की उर्जा संकट की स्थिति और अधिक न बिगड़ने पाए। 

उपरोक्त तीनों परिस्थितियों में से प्रत्येक में, वाशिंगटन का रुख रूस और यूरोप के बीच वर्तमान टकराव को और अधिक बढ़ाने से रोकने का नजर आता है। निश्चित रूप से वाशिंगटन इस बारे में पूरी तरह से सचेत है कि यूरोप में युद्ध की थकान एक बाध्यकारी वास्तविकता है। नीदरलैंड्स में चल रहा किसानों का विरोध बड़ी तेजी से पूरे यूरोप में फ़ैल गया है। 

भले ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन स्वयं निर्मित राजनीतिक विस्फोट के चलते अपने पद से हटने के लिए मजबूर हुए हों, लेकिन यह एक घटना के बजाय एक प्रक्रिया भी है, और इसके पीछे का प्रमुख कारक ब्रिटिश अर्थव्यस्था का मंदी के कगार पर खड़े होना है। इसी प्रकार इटली की सरकार भी अब ढहने की कगार पर है और एक बार फिर से, जीवनयापन की लागत के संकट को दूर करने के लिए किये जा रहे उपाय प्रधानमंत्री मारियो द्राघी के व्यापक गठबंधन के भीतर तनाव को पैदा करने के प्रमुख केंद्र बिंदु बन गये हैं।

जब बात जर्मनी की आती है, जोकि यूरोप का पॉवरहाउस है तो सभी दावं धरे के धरे रह जाते हैं। परमाणु उर्जा उत्पादन को फिर से पुनर्जीवित करने की व्यवहार्यता; मुद्रास्फीति और इससे लड़ने के लिए सबसे प्रभावी कदम; लगातार बढ़ती कीमतें, उर्जा सुरक्षा का संकट; बढ़ते औद्योगिक बंदी एवं रोजगार में बड़े पैमाने पर कमी जैसी चीजों ने चासंलर ओलाफ शोल्ज के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के भीतर अंतर-दलीय असहमति को बढ़ा दिया है और जनता के बीच समर्थन में बड़ी तेजी से कमी आ रही है। 

प्रमुख मुद्दों पर आतंरिक असहमतियों के चलते सरकार के निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित हो रही है और गठबंधन मंत्रिमंडल की प्रतिष्ठा बुरी तरह से तार-तार हो रही है। ब्रिटिश टेलीग्राफ अखबार ने कल अपनी रिपोर्ट में “कभी बेहद प्रशंसित और ईर्ष्या की नजर से देखे जाने वाले जर्मनी को अब एक पाठ्यपुस्तक उदाहरणस्वरूप देखा जा सकता है कि कैसे एक गुमराह विदेश एवं उर्जा नीति से कितना अधिक नुकसान किसी देश को हो सकता है।”

समाचार पत्र ने इस बात को खास तौर पर रेखांकित किया है कि शोल्ज एक ही समय में नाटो देशों और रूस दोनों को ही खुश रखने की कोशिश में हैं। जबकि उनमें से कोई भी ‘उनका सम्मान नहीं कर रहा है’ और आगे के विकासक्रम के लिए कुछ अन्य विकल्प मौजूद हैं। इसके पूर्वानुमान के मुताबिक :”या तो बर्लिन को बड़े जोर का झटका मिलने जा रहा है, और साथ ही साथ सत्तारूढ़ गठबंधन के ‘ट्रैफिक लाइट’ के पतन की संभावना है, या यह पुतिन के आगे आत्मसमर्पण कर सकता है।”

वास्तव में देखें तो मास्को शिकंजा कस रहा है। गजप्रोम ने बुधवार को चेतावनी दी कि नोर्ड स्ट्रीम 1 के गैस पाइपलाइन के टरबाइन की कनाडा द्वारा आवश्यक मरम्मत के बाद इसे वापस करने के फैसले के बावजूद पाइपलाइन के “महत्वपूर्ण” उपकरण के सही ढंग से संचालन के बारे में गारंटी नहीं दे सकता है। 

हालाँकि, एक समय वह भी हुआ करता था जिसे बीते लंबा अर्सा नहीं गुजरा है, जब पुतिन ने भविष्यवाणी की थी कि जर्मनी दुनिया की अगली महाशक्ति होगी। रूस के खिलाफ अमेरिका के लड़ाकू रवैये का दुमछल्ला बनने की जर्मनी निश्चित रूप से बहुत भारी कीमत चुका रहा है। शोल्ज के गठबंधन में ग्रीन पार्टी ने विशेषकर लिफाफे को धक्का देने का काम किया है। आज के दिन वाशिंगटन के पास कोई ठोस प्रस्ताव रखने के लिए कोई विकल्प मौजूद नहीं है क्योंकि जर्मनी की अर्थव्यस्था इस समय रूस के खिलाफ लगाये गए प्रतिबंधों के चलते ढहने के कगार पर है।

जबकि पीड़ादायक सच्चाई यह है कि, जैसा कि चाइना डेली ने उल्लेख किया है, “2011 के यूरोपीय कर्ज संकट के अवसर पर, जर्मनी ने रुसी उर्जा की पर्याप्त आपूर्ति के साथ, तत्कालीन चांसलर एंजेला मेर्केल के द्वारा मास्को के साथ स्थिर संबंधों के चलते जर्मनी ने तब यूरोपीय संघ के उद्धारक के तौर पर कार्य किया था…क्या जर्मनी इस बार भी यूरोपीय संघ को बचा पाने में सक्षम रहेगा?

निश्चित ही बाईडन प्रशासन इस बात को समझता है कि पश्चिमी गठबंधन को इस समय सच के क्षण का अनुभव हो रहा है। पिछले एक सप्ताह में तीन दफा प्रतिबन्धों में ‘फेरबदल’ करना ही काफी कुछ बताता है।

प्रभावशाली रुसी दैनिक इजवेस्तिया ने बुधवार को लिखा कि समूचे काला सागर में “अनाज गलियारे” पर समझौता कीव और मास्को के मध्य शांति वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए माहौल बना सकता है। दैनिक अख़बार ने आर्थिक नीति पर संघीय परिषद (संसद के उपरी सदन) समिति के उपाध्यक्ष इवान अब्रामोव के हवाले से कहा है:

“निश्चित रूप से, अब कोई भी समझौता स्थितियों को और करीब ला सकता है। कालिनिनग्राद में कई बदलाव किये गये हैं। संभवतः अनाज पर वार्ता की सफलता यूक्रेन के साथ शांति वार्ता को फिर से बहाल करने के लिए एक प्रोत्साहन का काम करे। हालाँकि, कीव को इसके लिए तैयार रहना चाहिए।” 

अब्रामोव ने संकेत किया कि राष्ट्रपति पुतिन और तुर्की के उनके समकक्ष एर्दोगन मंगलवार को तेहरान में होने जा रही अपनी आगामी बैठक में नई शांति वार्ता पर चर्चा कर सकते हैं। राज्य ड्यूमा (संसद के निचले सदन) परिषद के उपाध्यक्ष अर्तेम किर्यनोव ने भी आर्थिक नीति पर इजवेस्तिया को बताया कि यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान को रोकने के लिए, मास्को ने जिन शर्तों को रखा था उसे पूरा किया जाना चाहिए। लेकिन कीव लगता है अभी भी वार्ता की मेज पर बैठने के बजाय पश्चिमी हथियारों की आपूर्ति पर भरोसा बनाये हुए है। 

इस पृष्ठभूमि में, रुसी रक्षा मंत्री सेर्गेई शोइगू ने आज रुसी सैन्य बलों के दक्षिणी एवं मध्य समूहों के कमांड पोस्ट का “निरीक्षण दौरा” किया, जो यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियानों की अगुवाई कर रहे हैं। यहाँ पर उन्हें सेना के कमांडरों के द्वारा “मौजूदा हालात, शत्रु की कार्यवाई और युद्ध कार्यों की प्रगति के बारे में अवगत कराया गया”। 

रक्षा मंत्रालय ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि शोइगू ने “नागरिक बुनियादी सुविधाओं सहित डोंबास और अन्य क्षेत्रों की आबादी पर कीव शासन के द्वारा शुरू किये गये बड़े पैमाने पर मिसाइल एवं तोपखाने के हमलों को रोकने के लिए सभी मोर्चों पर सैनिक टुकड़ियों के समूहों की कार्यवाई को तेज करने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश दिए हैं।” शोइगू का मुख्य जोर नए आक्रमण के बजाय सैन्य लाभ को मजबूत करने पर था।

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः

Ukraine Peace Talks on the Cards?

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