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पश्चिम बंगाल: कोविड-19 के अहम इंजेक्शन की कालाबाज़ारी, घपले की वायरल क्लिप जांच में सही साबित

वायरल ऑडियो क्लिप टोसिलिजुमैब इंजेक्शन की जमाखोरी करने में तृणमूल कांग्रेस के विधायक निर्मल माजी की भूमिका की तरफ इशारा करते हैं। प्रथम दृष्टया रिपोर्ट इस घपले के केंद्र में एक फिजिशियन के होने की तस्दीक करती है।
पश्चिम बंगाल: कोविड-19 के अहम इंजेक्शन की कालाबाज़ारी, घपले की वायरल क्लिप जांच में सही साबित
तस्वीर साभार: रायटर

कोलकाता: कोविड-19 के इलाज में एक अति महत्वपूर्ण इंजेक्शन टोसिलिजुमैब (Tocilizumab) की तथाकथित जमाखोरी और कालाबाजारी को उजागर करते वायरल हुए ऑडियो की प्रामाणिकता रविवार (6 जून) को तब स्थापित हो गई जब मेडिकल कॉलेज (एमसीएच) एवं अस्पताल, कोलकाता की सात सदस्यीय टीम तथा राज्य स्वास्थ्य विभाग एवं स्वास्थ्य भवन के प्रतिनिधियों की तीन सदस्यीय टीम ने इस बारे में अपनी रिपोर्ट पेश की।

उस ऑडियो क्लिप में एमसीएच के कोविड-19 वार्ड में काम करने वाले एक फिजिशियन के विरुद्ध इंजेक्शन की जमाखोरी और कालाबाजारी के आरोप लगाए गए हैं, जो तृणमूल कांग्रेस के एक विधायक डॉ. निर्मल माजी का करीबी है। इस क्लिप में कहा गया है कि फिजिशियन ने माजी के निर्देश पर टोसिलिजुमैब इंजेक्शन के 26 वायल की जमाखोरी की थी। बाद में उस इंजेक्शन को प्राइवेट मार्केट में बेच दिया गया। यहां गौर करने वाली बात है कि एक इंजेक्शन को खुले बाजार में 1.5 लाख रुपये में बेचा गया।

रिपोर्ट कहती है कि यह वाकया आज से 45 दिनों पहले का है। लेकिन इस मामले की जांच के आदेश तभी दिए गए जब सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हो गया और इस प्रसंग में खुद प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लेकर सवाल उठाए जाने लगे थे। कहा जाता है कि मुख्यमंत्री ने पहले तो अपने विधायक को बचाने की कोशिश की, जिससे हंगामा और बढ़ गया।

माजी तृणमूल कांग्रेस के मेडिकल डॉक्टर्स एसोसिएशन के नेता हैं। उनका स्वास्थ्य भवन में अक्सर आना-जाना होता है। वे मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की रोगी कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं।

रिपोर्ट कहती है कि यह भी कहा जाना चाहिए कि माजी ने इसके पहले भी उस इंजेक्शन की जमाखोरी करने का प्रयास किया है।

दो जून को जब इस घपले का खुलासा हुआ तो इस मामले में तथ्यों को जुटाने के लिए दो आदेश दिए गए-पहला, एमसीएस के अधीक्षक द्वारा और दूसरा, स्वास्थ्य भवन द्वारा। दोनों टीमों द्वारा दी गई जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मामले में संबद्ध दोनों चिकित्सकों द्वारा टोसिलिजुमैब इंजेक्शन हासिल करने की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का उल्लंघन किया गया है।

एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स (एएचएसडी) ने इस घपले की निंदा की और मामले की विधिवत जांच किए जाने की मांग की।

रिपोर्ट में इस बात पर भी गौर किया गया है कि जीवनरक्षक दवाओं की प्रदेश में धड़ल्ले से कालाबाजारी हो रही है। एमसीएच की ग्रीन बिल्डिंग के सीसीयू में 60 वायल इंजेक्शन का स्टॉक था। इनमें से कुछ इंजेक्शन को ग्रीन बिल्डिंग ने आंतरिक प्रक्रिया के तहत उधार दिया था, रिपोर्ट्स में यह बताया गया है। यह भी कि, आरोपित फिजिशियन ने तभी सीसीयू की एक नर्स से 26 वायल ले लिए थे।

हालांकि, रिपोर्ट में उस फिजिशयन और निर्मल माजी के बीच करीबी संपर्क पर कोई खुलासा नहीं किया है। जबकि वायरल वीडियो सीधे-सीधे माजी पर उंगली उठाता है। जांच रपटें प्रथमदृष्टया उस फिजिशियन को इस घपले में प्रमुख बताती है। सत्ताधारी विधायक को बचाने के प्रयास की चौतरफा आलोचना की जा रही है।

दोनों जांच टीमों द्वारा रिपोर्ट जमा करने के बाद, एएचएसडी के महासचिव डॉ. मानस गुप्ता ने कहा कि इन रिपोर्ट को सार्वजनिक समीक्षा के दायरे में लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह ऐसा मामला नहीं है कि इसका निपटारा एक सीमित दायरे में ही कर लिया जाए। यह खतरनाक मामला है और यह कोविड-19 के इलाज की एक बेहद अहम दवा की जमाखोरी के बारे में है। अगर जांच रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गईं तो आम लोग प्रदेश के सभी स्वास्थ्यकर्मियों की भूमिका पर सवाल उठाने लगेंगे।”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।

West Bengal: Fact-finding Probes Establish Authenticity of Clip Alleging Black Marketing of Crucial COVID-19 Injection

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