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योगी सरकार ने 25 प्रतिशत रियायत पर दिया बाबा रामदेव को फूड पार्क का तोहफा

ग्रेटर नोएडा स्थित यमूना एक्सप्रेस्वे के समीप 425 एकड़ वाले फूड पार्क को सब्सिडी के साथ कैबिनेट ने दी मंजू़री I
baba ramdev
image courtesy: NDTV

उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट की बैठक के बाद बाबा रामदेव के पतंजलि मेगा फूड पार्क को मंजू़री दे दी। यह फैसला उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में प्रस्तावित मेगा फूड पार्क को प्रदेश से किसी और राज्य में हस्तांतरित करने की चेतावनी के बाद आया है। इस महीने की शुरूआत में ही आचार्य बालकृष्ण ने चेतावनी दी थी कि सरकार की उदासीनता के कारण 6000 करोड़ रुपये का यह मेगा प्रोजेक्ट कहीं और ले जाना पड़ेगा। ज्ञात हो कि इस  चेतावनी के अगले दिन ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह संपर्क फॉर समर्थन अभियान के तहत बाबा रामदेव से मिले थे। उसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद इस मसले में हस्तक्षेप करते हुए इस समस्या को हल करने का आश्वासन दिया था।

'गौडमेन' से बिजनेसमैन बने योग गुरू बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की कंपनी पतंजलि को 425 एकड़ की यह ज़मीन राज्य सरकार ने मुहैया कराई है। अचंभित करने वाली बात यह है 6000 करोड़ रुपये के इस मेगा प्रोजेक्ट के लिए बाकी राज्यों की तरह भाजपा सरकार ने पतंजलि को यह जमीन 25 प्रतिश्त सब्सिडी के साथ मुहैया कराई है। ग्रेटर नोएडा स्थित यमूना एक्सप्रेस्वे के समीप इस 425 एकड़ के क्षेत्रफल वाली जमीन पर कंपनी मेगा फूड पार्क का निर्माण करने जा रही है। कुछ समय पहले आचार्य बालकृष्ण ने सरकार से मांग की थी कि पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क नोएडा प्रा. लि. के लिए ज़मीन 25 प्रतिशत रियायत पर दी है, साथ ही इस प्रोजेक्ट की शुरूआत करने के लिए 150 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी सहायता भी दी। इन सारी मागों को योगी सरकार ने दरियादिली के साथ स्वीकार कर लिया है।

दरअसल 2006 में अस्तित्व में आई कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के ऊपर सरकार काफी मेहरबान दिखती है खासकर वतर्मान समय में सत्ता पर आसीन भारतीय जनता पार्टी। पतंजलि अपने मेगा फूड पार्क का विस्तार कई राज्यों में कर रही है। राजस्थान,आसाम, हरियाणा और महाराष्ट्र के साथ-साथ और भी कई राज्यों में पतंजलि मेगा फूड पार्क का निर्माण कर रही है। लेकिन अगर रिपोर्टों की समीक्षा की जाए तो पता चलता है कि लगभग सारी ज़मीन की खरीद में सरकार की मेहरबानी ज़रूर दिखती है।

अगर हम बात करें महाराष्ट्र की तो यहां पतंजलि 600 एकड़ ज़मीन पर फूड पार्क बना रही है। यहां देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने पतंजलि आयुर्वेद को 1 करोड़ प्रति एकड़ वाली जमीन 25 लाख प्रति एकड़ में रातों-रात दे दी थी वह भी बिना किसी टेंडर निकाले। पीटीआई के मुताबिक देवेंद्र फडणवीस ने कहा की बिडिंग देने वाली यह इकलौती कंपनी थी इसलिए हमने यह ज़मीन कंपनी को हस्तांतरित कर दी। कंपनी ऋषिकेश की ही तर्ज पर नागपुर में भी फूड पार्क बनाना चाहती है।

राजस्थान में पतंजलि को भी फूड पार्क बनाने की परियोजना है। यहां कंपनी ने न केवल 401 एकड़ जमीन अवैध तरीके से लीज़ पर ली है बल्कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे नियमों का उलंघन कर किसी भी तरह वहां पर कंपनी का प्रोजेक्ट चालू करवाने की तैयारी में है। द वायर की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि बाबा रामदेव के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट ने इस ज़मीन को अवैध तरीके से हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। भारत स्वाभिमान ट्रस्ट ने 11 अगस्त 2016 को यह जमीन श्री गोविंद देव जी ट्रस्ट से लीज़ पर ली है जो कानून की दृष्टि से अवैध है। सरकारी रिकार्ड के मुताबिक यह ज़मीन 50 अलग-अलग खसरों में बंटी हुई है और यह ज़मीन श्री गोविंद देव जी मंदिर के नाम पर है। नियमों के मुताबिक मंदिर की ज़मीन न तो कोई बेच सकता है और न ही इसपर कोई गैर कृषि कार्य कर सकता है। हालांकि समस्या का समाधान न देखते हुए हालीया रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने यहां फूड पार्क न बनाने की घोषणा की है बल्कि वह यहां औषधीय पौधे लगाएगी। वहीं उसने सरकार से फूड पार्क बनाने के लिए किसी दूसरी जगह ज़मीन देने की सिफारिश की है।

वहीं एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार आसाम में पहली बार भाजपा की सरकार बनते ही दलितों की 3800 हेक्टेयर जमीन बाबा रामदेव को फैक्ट्री लगाने के लिए तोहफे में दे दी। आसाम के चिरांग जिले में सरकार के द्वारा पतंजली को दी जाने वाली जमीन में 400 हेक्टेयर पर खेती होती है और बाकी 3400 हेक्टेयर पर लोग बसे हुए हैं।

न सिर्फ पतंजलि  कंपनी बल्कि बाबा रामदेव भी हमेशा विवादों में रहते हैं। इतने कम समय में योग गुरू से बिजनेस टाईकून बनने का सफर बड़ा दिलचस्प है और इन आंकड़ो के बिनाह पर ये कहा जा सकता है भारतीय जनता पार्टी उन्हें मंजिल का रास्ता दिखाने के साथ-साथ मंज़िल तक पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। 

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