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कांग्रेस ने यूपीपीएससी के प्रदर्शनकारी छात्रों पर 'पुलिस कार्रवाई' को लेकर उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की आलोचना की

कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि प्रयागराज में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर 'लाठीचार्ज' किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
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कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि प्रयागराज में पुलिस ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की 'मनमानी' के खिलाफ आवाज उठा रहे छात्रों पर लाठीचार्ज किया और दावा किया कि इससे पहले भी नौकरी की मांग कर रहे युवाओं की आवाज को दबाने की कोशिश की गई है।

कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि प्रयागराज में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर 'लाठीचार्ज' किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर हिंदी में एक पोस्ट में कहा, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की 'मनमानी' के खिलाफ आवाज उठा रहे छात्रों की बात को ध्यान से सुना जाना चाहिए।

रमेश ने दावा किया, "यह पहली बार नहीं है जब भाजपा इस तरह से युवाओं की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। इससे पहले भी नौकरी की मांग करने या भर्ती घोटाले और पेपर लीक के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों की आवाज को दबाने की कोशिश की गई है।"

कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि प्रयागराज में पुलिस ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की मनमानी के खिलाफ आवाज उठा रहे छात्रों पर लाठीचार्ज किया और दावा किया कि इससे पहले भी नौकरी की मांग कर रहे युवाओं की आवाज को दबाने की कोशिश की गई है।

उन्होंने कहा कि युवाओं की इन समस्याओं को समझते हुए कांग्रेस पार्टी ने युवा न्याय गारंटी के तहत ठोस पहल करने की बात कही थी।

रमेश ने कहा, "इसके तहत हमने पांच वादे किए थे, जिनमें 30 लाख सरकारी पदों पर तत्काल स्थायी नियुक्ति की गारंटी, पेपर लीक से मुक्ति और जॉब कैलेंडर के जरिए समय पर भर्ती शामिल है।"

यूपीपीएससी द्वारा आरओ-एआरओ और पीसीएस प्रारंभिक परीक्षाएं अलग-अलग तारीख पर कराने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों ने सोमवार को प्रयागराज में यूपीपीएससी मुख्यालय का घेराव किया और धरना दिया, जबकि बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने की कोशिश की।

यूपीपीएससी कार्यालय और उसके आसपास तैनात पुलिसकर्मियों ने छात्रों को गेट नंबर दो तक पहुंचने से रोकने की कोशिश की, लेकिन भीड़ ने धक्का-मुक्की करते हुए आयोग के खिलाफ नारेबाजी की।

पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए उनका पीछा भी किया, लेकिन आंदोलनकारी छात्र जल्द ही फिर से इकट्ठा हो गए और सड़कों पर लगाए गए बैरिकेड्स हटाकर आगे बढ़ने लगे।

सोमवार देर शाम तक अभ्यर्थी वहां इकट्ठा रहे और अपनी एकजुटता दिखाने के लिए अपने मोबाइल फोन की लाइट जलाए रहे। उनके हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था, "हम बंटेंगे नहीं, हम छोड़ेंगे नहीं, हम न्याय मिलने तक एकजुट रहेंगे" और "एक दिन, एक परीक्षा"।

पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी राज्य की भाजपा सरकार को "युवा विरोधी" और "छात्र विरोधी" कहा था।

अभ्यर्थियों के आंदोलन के बीच यूपीपीएससी ने सोमवार को कहा कि परीक्षा की शुचिता बनाए रखना और अभ्यर्थियों की सुविधा सुनिश्चित करना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।

नॉर्मलाइजेशन प्रोसेस के बारे में कुछ अभ्यर्थियों द्वारा उठाई गई चिंताओं को लेकर आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि अपनी परीक्षाओं की शुचिता बनाए रखने और छात्रों के भविष्य की सुरक्षा के लिए परीक्षाएं केवल उन्हीं केंद्रों पर आयोजित की जाती हैं, जहां अनियमितताओं की संभावना पूरी तरह समाप्त हो जाती है।

प्रवक्ता ने आगे कहा कि अतीत में दूरस्थ परीक्षा केंद्रों पर विभिन्न अनियमितताएं सामने आई हैं, जिससे योग्य छात्रों के लिए अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है।

उन्होंने कहा कि इसे रोकने और योग्यता आधारित परीक्षा प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए अब ऐसे केंद्रों को हटा दिया गया है।

प्रांतीय सिविल सेवा (पीसीएस) प्रारंभिक परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को दो दिनों में आयोजित की जाएगी, जबकि समीक्षा अधिकारी (आरओ) और सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा 2023 तीन पालियों में 22 और 23 दिसंबर को आयोजित की जाएगी।

साभार : सबरंग 

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