विस्थापित जनजातीय छात्रों के स्कूल पर पुलिस छापेमारी को लेकर फ़िलीपींस में नाराज़गी
एक्टिविस्ट, मानवाधिकार से जुड़े वकीलों और वामपंथी नेताओं ने विस्थापित जनजातीय छात्रों के एक स्कूल में फिलीपींस नेशनल पुलिस (पीएनपी) द्वारा की गई छापेमारी की कड़ी निंदा की है। सोमवार 15 फरवरी को सेबू शहर के एक स्कूल में हुई इस छापेमारी में पुलिस कर्मियों ने 26 शिक्षकों, छात्रों और समुदाय के सदस्यों को गिरफ्तार किया। इसकी पुष्टि नेशनल यूनियन ऑफ पीपल्स लॉयर्स (एनयूपीएल) के स्थानीय इकाई ने की।
ये स्कूल कैथोलिक द्वारा संचालित यूनिवर्सिटी ऑफ सैन कार्लोस (यूएससी) के तालंबन परिसर में विस्थापित लुमाड लोगों के एक समूह के लिए एक शरण स्थल है। रैप्लर के अनुसार, पीएनपी के स्थानीय प्रभाग द्वारा ये छापेमारी की गई। इसके साथ समाज कल्याण एवं विकास विभाग (डीएसडब्ल्यूडी) और फिलीपींस के सशस्त्र बलों (एएफपी) के साथ मिलकर कथित रेस्क्यू ऑफरेशन के रुप में की गई।
गिरफ्तार किए गए 28 लोगों में 21 लुमाड के छात्र शामिल हैं जिनमें से 19 नाबालिग बताए जाते हैं जबकि बाकी में शिक्षक और इस समाज के बुजुर्ग शामिल हैं। स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि इस स्कूल में बच्चों को "युद्ध" के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा था और माओ विद्रोहियों के खिलाफ युद्ध के नाम पर रोड्रिगो डुटेर्टे सरकार की दमनकारी रणनीति के विस्तार के रूप में देखा जाता है।
बंदियों की गिरफ्तारी और हिरासत बिना किसी वारंट के किया गया है और लुमाड स्कूलों को बंद करने के खिलाफ वकालत करने वाले अभियान सेव अवर स्कूल्स नेटवर्क (एसओएस) द्वारा पोस्ट किए गए छापे के वीडियो के दौरान बच्चों को रोते और चिल्लाते हुए दिखाया गया है जिसमें उन्हें अधिकारी जबरन घसीट रहे हैं।
एसओएस ने एक बयान में कथित ऑपरेशन को छापेमारी बताते हुए निंदा की। उन्होंने इस स्कूल से जनजातीय बच्चों की इसी तरह की गिरफ्तारी और छापेमारी को लेकर कहा कि "अक्सर पुलिस और अधिकारियों रेस्क्यू शब्द का इस्तेमाल किया है लेकिन इसने विस्थाफित लुमाड और छात्रों की शांति को भंग कर दिया जैसा कि पहले 2015 और जनवरी 2020 में दावाओ में हरन में यूसीसीपी (यूनाइटेड चर्च ऑफ क्राइस्ट इन पैलेस्टाइन) हुआ था।"
प्रगतिशील राजनीतिक दल अकबायान की स्थानीय इकाई द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि, "स्पष्ट रूप से 'रेस्क्यू ऑपरेशन' तर्कहीन है क्योंकि यह विश्वविद्यालय के भीतर लोकतांत्रिक स्थानों के लिए एक जबरन घुसपैठ और खतरा है।"
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