बिना चर्चा के बजट को मंजूरी देना संसदीय लोकतंत्र का ‘‘सबसे खराब संदेश’’ :चिदंबरम
नयी दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि बिना चर्चा के बजट को मंजूरी देना संसदीय लोकतंत्र का ‘‘सबसे खराब संदेश’’ है।
लोकसभा द्वारा एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष के लिए लगभग 45 लाख करोड़ रुपये के खर्च की परिकल्पना वाले केंद्रीय बजट को बिना किसी चर्चा के मंजूरी देने के एक दिन बाद चिदंबरम ने यह बयान दिया है।
चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘‘संसदीय लोकतंत्र का सबसे खराब संदेश बिना चर्चा के बजट को मंजूरी देना है।’’
The worst message from a parliamentary democracy is to approve a Budget without discussion
Rs 45,03,097 crore will be raised and spent for the 'people' in 2023-24 without the people's representatives offering their views on the Budget
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) March 24, 2023
उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2023-24 में 45,03,097 करोड़ रुपये जनप्रतिनिधियों द्वारा बजट पर अपने विचार पेश किए बिना ‘‘लोगों’’ के लिए जुटाए एवं खर्च किए जाएंगे। ’’
भारत के लोकतंत्र के बारे में लंदन में दिए गए बयान पर सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी से माफी की मांग और अडाणी समूह से जुड़े मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की विपक्ष की मांग को लेकर संसद में हंगामा जारी है।
मजबूत राजनीतिक विमर्श लोकतंत्र का सार है।
लोकतांत्रिक विपक्ष की प्रमुख आवाजों को चुप कराने के लिए कानून को आगे नहीं लाना चाहिए।
कानून की 'ताकत' की शोरगुल भरी सराहना को लोकतांत्रिक आवाजों की 'दर्द' पर, शांत आत्मनिरीक्षण द्वारा संयमित किया जाना चाहिए।
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) March 24, 2023
इस हंगामे के बीच संसद के निचले सदन में अनुदान व विनियोग विधेयकों की मांगों को सदन की मंजूरी के लिए पेश किया गया था।
(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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