दुनिया COVID-19 से लड़ रही है, पर अमेरिका वेनेज़ुएला पर दबाव बनाने में व्यस्त है
26 मार्च को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में वेनेज़ुएला के प्रेसिडेंट निकोलो मादुरो, उनकी सरकार और दूसरे नेताओं पर ड्रग्स ट्रैफिकिंग का आरोप लगाते समय अमेरिका द्वारा अपनी दलील के पक्ष में पेश किए गए सबूत बेहद हास्यास्पद थे। अमेरिका ने मादुरो की गिरफ्तारी के लिए 15 मिलियन डॉलर और दूसरे नेताओं की गिरफ्तारी के लिए 10 मिलियन डॉलर के ईनाम की घोषणा की है। अमेरिकी अटॉर्नी जोफ्री बर्मन ने कहा, ''मादुरो ने जानबूझकर कोकीन को एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया।'' लेकिन इस बात के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया।
प्रतिबंध
यह सच्चाई है कि जब दुनिया एक वैश्विक महामारी से लड़ रही है, तब अमेरिका ने इस तरह का हास्यास्पद काम किया है। मादुरो और उनकी सरकार के दूसरे सदस्यों पर बिना सबूत के आरोप लगाए गए हैं। इन नेताओं की गिरफ्तारी पर जो ईनाम रखा गया है, उस पैसे का बेहतर इस्तेमाल न्यूयॉर्क सिटी के भीड़ से भरे अस्पतालों में हो सकता था।
अमेरिका पर ईरान और वेनेज़ुएला जैसे देशों पर प्रतिबंधों में कटौती करने के दबाव है (यहां तक कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी 25 मार्च को ईरान पर प्रतिबंधों में कटौती करने की बात कही)। WHO साफ कर चुका है कि यह वह वक़्त नहीं है, जब किसी देश पर ऐसी बाध्यताएं लगाई जाएं, जिनसे महामारी के खिलाफ़ इस्तेमाल किए जाने वाले जरूरी सामान के आयात में भी दिक्कतों का सामना करना पड़े। संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने फिलहाल विवादों पर लगाम लगाने के लिए कहा है। कुछ दिनों में गुटेरेस प्रतिबंधों पर अपना बयान जारी करेंगे। इसलिए अब जल्दबाजी में अमेरिका ने धारणाएं बदलने के लिए कोरोना के बजाए नार्को-आतंकवाद का राग अलापना शुरू किया है।
एक वैश्विक महामारी के दौर पर में जब ऐसे आरोप लगाने पर सवाल उठाए गए, तो अमेरिकी अटॉर्नी जनरल विलियम बार ने इसको वेनेज़ुएला पर मढ़ने की कोशिश की। उन्होंने बिना सबूत के दावा किया कि वेनेज़ुएला अपने देश में ''मदद'' को आने ही नहीं दे रहा है। इससे ज़्यादा झूठी बात नहीं हो सकती। क्योंकि वेनेज़ुएला ने में चीन, क्यूबा और रूस समेत WHO से मेडिकल सप्लाई और स्वास्थ्य कर्मचारियों का स्वागत किया है।
बल्कि WHO ने अमेरिका पर दबाव बनाया है कि वह वेनेज़ुएला में ज्यादा माल पहुंचाने की अनुमति दे। बता दें अमेरिका ने ईरान के लिए WHO की स्वास्थ्य आपूर्ति में भी अडंगा लगाया था। जब वेनेज़ुएला कोरोना वायरस संबंधी खरीददारी के लिए IMF के पास पांच बिलियन डॉलर लेने के लिए गया, तो अमेरिका ने IMF पर दबाव डालकर मांग पूरी नहीं होने दी। विलियम बार प्रेस कॉ़न्फ्रेंस में आसानी से यह कह सके, क्योंकि वहां मौजूद किसी भी मीडिया समूह ने उनसे इस बारे में सवाल नहीं किए, जबकि यह चीजें सार्वजनिक रिकॉर्ड में भी मौजूद हैं।
व्यवस्था में बदलाव
1989 में अमेरिका अपने पुराने सहयोगी और पनामा के राष्ट्रपति मैनुएल नोरिएगा की छवि धूमिल करने के लिए नार्को-ट्रैफिकिंग के आरोपों का सहारा लिया था। इसी आरोप और फ्लोरिडा में एक मुक़दमे को आधार बनाकर अमेरिका ने पनामा पर हमला किया था और पनामा सिटी में अपनी कठपुतली को सत्ता सौंपी थी। नोरिएगा को गिरफ़्तार कर फ्लोरिडा की एक जेल में डाल दिया गया था। अमेरिका ने नोरिएगा के साथ जिस तरीके का व्यवहार किया था, वैसी ही छाया अब काराकस के ऊपर छाने लगी है। क्या इस नए मुक़दमे के आधार पर अमेरिका वेनेज़ुएला पर हमला करेगा? यह कोई थ्योरी नहीं है। अमेरिका जनवरी 2019 से लगातार वेनेज़ुएला की सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में लगा है, ताकि निकोलस मादुरो की सरकार को हटाया जा सके। इस नए मुक़दमे के ज़रिए मामले को हल्का किया जा रहा है।
मादुरो और उनके सहयोगियों पर ईनाम रखकर अमेरिका ने उनके ऊपर माफिया हमले को आमद दी है। अमेरिका का यह कदम बेहद ख़तरनाक है। इससे अपराधियों को वेनेज़ुएला के नेताओं की हत्या का खुला न्योता दिया गया है। मादुरो को वेनेज़ुएला के बाहर यात्रा भी नहीं करने दी जा रही है। यह उन सारी अंतरराष्ट्रीय संधियों का खुला उल्लंघन है, जिनमें भावनाओं से ज्यादा कूटनीति को तरज़ीह दी जाती है। लेकिन अमेरिका ने जिस अराजक तरीके से वेनेज़ुएला में सत्ता परिवर्तन सकी रणनीति अपनाई है, शायद ही कोई इसकी आलोचना करे।
इस घोषणा के पहले ऐसी बातें आना शुरू हुई थीं कि अमेरिका वेनेज़ुएला को ''राज्यों द्वारा प्रायोजित आतंकवाद'' की सूची में डाल सकता है। यह किसी भी सरकार की सबसे बड़ी निंदा होती है। लेकिन अमेरिका को रुकना पड़ा। यह रुकावट भी एक अजीबो-गरीब़ वजह़ से आई। अगर अमेरिका मादुरो सरकार को राज्यों द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की सूची में डालता, तो उसे इस तथ्य को मानना पड़ता कि वेनेज़ुएला में वाकई मादुरो सरकार सत्ताधारी है।
पिछले साल से अमेरिका वेनेज़ुएला सरकार को अस्थिर करने के क्रम में मादुरो सरकार को वैध नहीं मानता। बल्कि अमेरिका इसे सरकार ही नहीं मानता। बिना यह माने कि वेनेज़ुएला में मादुरो सरकार सत्ताधारी है, उसे राज्यों द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की सूची में नहीं डाला जा सकता। इसलिए अमेरिका को अपने ही तर्क के चलते रुकना पड़ा।
इस बीच अमेरिकी सरकार ने होंडुरास और कोलंबिया जैसे मुख्य ड्रग्स उत्पादक देशों के खिलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की। यह दोनों देश अमेरिका के सहयोगी हैं। पूर्व कोलंबियाई राष्ट्रपति और मौजूदा सीनेटर एलवारो उरिब वेलेज़ पर 270 मामले दर्ज हैं। इनमें वायरटेपिंग, सांगठनिक अपराध, चुनिंदा हत्याएं और जबदस्ती गुमशुदगी के मामले शामिल हैं। उरिब और उनके परिवार के सदस्यों का संबंध एंटिओकिया के अर्द्धसैनिक समूह मेट्रो ब्लॉक से भी साबित हो चुका है, जो हजारों हत्याओं और बड़े स्तर की नार्को ट्रैफिकिंग का ज़िम्मेदार है। उरिब और उनके सहयोगी इवान डुके की अमेरिकी सरकार से गहरी मित्रता है। वेनेज़ुएला पर अमेरिकी हमले की कई योजनाओं में दोनों का अहम किरदार रहा है।
होंडुरास के मौजूदा प्रेसिडेंट जुआन ओरलेंडो हर्नांडेज़ न्यूयॉर्क के एक फेडरल कोर्ट द्वारा लाए गए मामले में आरोपी भी रहे। यह मामला उनके भाई एंटोनियो हर्नांडेड़ के खिलाफ़ दायर किया गया था। इसमें ओरलेंडो पर ड्रग तस्करों से 25,000 डॉलर की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था, इस पैसे का इस्तेमाल 2013 के राष्ट्रपति चुनाव में किया गया था।
यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस द्वारा जारी किया गया स्टेटमेंट किसी थ्रिलर की तरह लगता है और इसमें सबूतों की कमी है। यह पूरी तरह गल्प महसूस होता है। इसमें नाम और आरोप हैं, स्टेटमेंट लगातार ''नार्को-टेरेरिज़्म'' की बात करता है और दावा करता है कि वेनेज़ुएला सरकार, अमेरिका में कोकीन की बाढ़ लाना चाहती है। इन बकवास और बेबुनियाद बातों पर भरोसा करने के लिए पूरा अंधा होना पड़ेगा। लेकिन वेनेज़ुएला के लोगों को इसे गंभीरता से लेना होगा। क्योंकि यह उनके प्रति अमेरिकी सरकार की भावनाओं को दर्शाता है। वेनेज़ुएला के लोगों को पनामा याद है। अमेरिकी सरकार का इतिहास ऐसा ही रहा है।
वैश्विक महामारी के ख़िलाफ़ एकजुट होने की बात करते हुए संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव ने मौजूदा विवादों पर विराम लगाने की बात कही है। यह अमेरिका पर भी लागू होना चाहिए। वेनेज़ुएला के खिलाफ़ अमेरिका को हायब्रिड जंग रोकनी होगी। यह वक़्त मरहम लगाने और दया दिखाने का है, न कि ज़हर भरा दमखम जताने और जंग का ऐलान करने का।
विजय प्रसाद एक भारतीय इतिहासकार, संपादक और पत्रकार हैं। वे इंडिपेंडेट मीडिया इंस्टीट्यूट के प्रोजेक्ट Globetrotter के मुख्य संवाददाता और राइटिंग फैलो हैं। विजय प्रसाद लेफ्टवर्ड बुक्स के मुख्य संपादक और ट्राईकांटिनेंटल: इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च के निदेशक भी हैं।
पॉलो एस्त्रादो, इंटरनेशनल पीपल्स असेंबली की सचिव और ALBA आंदोलन (कांटिनेंटल कोऑर्डिनेशन ऑफ सोशल मूवमेंट्स टूवार्ड्स द बोलिवेरियन अलायंस फॉर द पीपल्स ऑफ अवर अमेरिका) के ब्राजील चैप्टर की सदस्य हैं।
एना मालडोनाडो, फ्रेंटे फ्रांसिस्को डि मिरांडा (वेनेज़ुएला) में हैं।
ज़ो पीसी, पीपल्स डिस्पैच में पत्रकार हैं और वे लातिन अमेरिका में जनआंदोलनों पर रिपोर्टिंग करती हैं। वे कोलंबिया में कांग्रेसो डि लॉस प्यूब्लॉस से भी जुड़ी हैं।
यह आर्टिकल इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टीट्यूट के प्रोजेक्ट Globetrotter द्वारा उत्पादित किया गया है।
अंग्रेजी में लिखे गए मूल आलेख को आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं
As the World Tackles the COVID-19 Pandemic, the U.S. Raises the Pressure on Venezuela
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